17 गोलियां खाने के बाद भी मार गिराए थे 70 पाकिस्तानी सैनिक, जानें इस ‘परमवीर चक्र’ विजेता की बहादुरी की कहानी
सूबेदार मेजर योगेंद्र सिंह यादव एकमात्र ऐसे सैनिक हैं, जिन्हें जिंदा रहते सेना के सर्वोच्च सम्मान 'परमवीर चक्र' से सम्मानित किया गया है।
बर्फीले तूफान के बीच ‘ऑपरेशन मेघदूत’ को सेना ने दिया था अंजाम, 3 दिनों तक हुई थी भीषण सैन्य कार्रवाई
युद्ध के इतिहास में यह एक अद्वितीय अभियान था। बाद में पोस्ट का नाम इस अभियान में विशिष्ट योगदान के लिए एक बहादुर सैनिक के नाम पर 'बाना टॉप' रख दिया गया था।
शहीद जवान मनीष की अंतिम यात्रा में उमड़ी भीड़, परिवार को मिलेगा 1 करोड़ रुपए और एक नौकरी
शहीद मनीष कारपेंटर मध्य प्रदेश के राजगढ़ के रहने वाले थे। शहीद का पार्थिव शरीर 26 अगस्त उनके गृह नगर खुजनेर पहुंचा। यहां पर मनीष को अंतिम विदाई देने के लिए हजारों लोग इकट्ठे हुए।
भारतीय सेना ने बीते 32 सालों में खोए इतने जवान, यहां जानें रक्षा मंत्रालय के आंकड़े
जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) से आतंकवाद (Terrorism) को उखाड़ फेंकने के लिए शुरू किए गए अभियानों में भारतीय सेना (Indian Army) और सुरक्षाबलों को भारी कीमत चुकानी पड़ी है।
भारतीय सैनिकों के बलिदान की शौर्य गाथा हैं युद्ध स्मारक, युवाओं के लिए हैं प्रेरणा
जवानों के बलिदान को याद रखने और युद्ध में उनकी शौर्य गाथा को बताने के लिए युद्ध स्मारक बनाए जाते हैं। देश में कई जगहों पर युद्ध स्मारक बनाए गए हैं।
1962 का युद्ध: रेजांगला दर्रे पर चीन के 1300 सैनिकों को हमारे 120 जवानों ने कर दिया था ढेर, जानें पूरा कहानी
चीनी सेना का उद्देश्य रेजांगला दर्रे पर कब्जा कर सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण चुशूल गैरिसन का लेह से एकमात्र सड़क संपर्क तोड़ना था।
Shivaram Rajguru Birth Anniversary: राजगुरु को क्रांतिकारी साथी कहते थे- ‘द मैन ऑफ एचएसआरए’
आजादी की लड़ाई के दौरान क्रांतिकारियों के संगठन हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (एचएसआए) में चंद्रशेखर आजाद (Chandra Shekhar Azad) के अलावा दूसरा शानदार शूटर था, तो वो थे शिवराम राजगुरु (Shivaram Rajguru)।
1948 में कश्मीर के तिथवाल में लंबे समय तक चली थी भीषण लड़ाई, युद्ध में सेना ने ऐसे किया था पाक सेना का सफाया
दुश्मनों को खदेड़ना भारतीय सेना के लिए बड़ी चुनौती थी। इस युद्ध के दौरान जम्मू-कश्मीर स्थित तिथवाल क्षेत्र में लंबे समय तक एक भीषण लड़ाई लड़ी गई।
‘ऑपरेशन विजय’ की भीषण लड़ाइयों में से एक थी प्वाइंट 4875 की लड़ाई, जानें कैसे सेना ने दिखाया था पराक्रम
भीषण गोलाबारी के बीच, 15000 फीट से अधिक ऊंचाई वाले खड़ी ढाल के पहाड़ पर चढ़ाई कर, आमने-सामने की लड़ाई में घुसपैठियों को मार गिराया था।
महज 10 महीने पहले हुई थी मनीष विश्वकर्मा की शादी, आतंकी हमले में हो गए शहीद
जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) के बारामूला में आतंकियों (Terrorists) ने विस्फोट कर दिया। इस विस्फोट में सेना का एक जवान शहीद हो गया। शहीद जवान का नाम मनीष विश्वकर्मा (Martyr Manish Vishwakarma) है।
बारामूला एनकाउंटर: दीपावली पर किया था घर आने का वादा लेकिन आतंकियों से मुठभेड़ में शहीद हो गए रवि सिंह
रवि सिंह (Ravi Singh) की 2 साल पहले ही शादी हुई थी। रवि के घरवाले चाहते थे कि जल्द से जल्द उनके घर में किलकारियां गूंजें लेकिन ये इच्छा अधूरी ही रह गई।
1971 की लड़ाई: परमवीर चक्र से सम्मानित अरुण खेत्रपाल ने पाक के 10 टैंकों के उड़ा दिए थे चिथड़े
जंग के मैदान में उतरे तो उनकी उम्र उस वक्त महज 21 साल थी। उनके इस शौर्य के लिए उन्हें सेना के सर्वोच्च सम्मान 'परमवीर चक्र से नवाजा गया।
1948 का युद्ध: ‘वीर चक्र’ से सम्मानित होने वाले छोगसिंह राठौड़ ने कई दुश्मन सैनिकों को मार गिराया था, जानें कहानी
युद्ध में वीरता का प्रदर्शन करने के लिए उन्हें तत्कालीन राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने 26 जनवरी 1950 को 'वीर चक्र' से सम्मानित किया था।
1971 का युद्ध: हवलदार उदयराज सिंह की वीरता को देखकर थर-थर कांपते थे दुश्मन, मिला था ‘वीर चक्र’
युद्ध में उनके पराक्रम का परिचय तब देखने को मिला जब वह अपने साथियों के साथ फीचूगंज पहुंचे थे। दरअसल यहां पर उन्हें नदी को रेलवे पुल के रास्ते पार करना था।
1999 का युद्ध: 18 हजार फीट की ऊंचाई और भारतीय सेना का शौर्य, जानें युद्ध से जुड़ी ये खास बातें
युद्ध 18 हजार फीट की ऊंचाई पर लड़ा गया। पाकिस्तान मानता है कि उसके करीब 357 सैनिक ही मारे गए थे। वहीं युद्ध में भारत के 527 जवान शहीद हुए।
भारतीय सेना के इस शहीद के कपड़े आज भी होते हैं प्रेस, मिलता है प्रमोशन और छुट्टियां
चौबीस घंटे उनकी सेवा में भारतीय सेना के पांच जवान लगे रहते हैं। उनका बिस्तर लगाया जाता है। प्रमोशन और छुट्टियां उन्हें आज भी मिलते हैं।
1971 का युद्ध: भारतीय नौसेना ने कराची बंदरगाह पर किया था जबरदस्त हमला, Pak सेना को हुआ था भारी नुकसान
8 और 9 दिसंबर की रात को इस ऑपरेशन लागू किया गया। एक मिसाइल शिप और दो युद्ध-पोत के जरिए कराची के तट पर मौजूद जहाजों के ग्रुप पर हमला किया गया था।