1948 का युद्ध: ‘वीर चक्र’ से सम्मानित होने वाले छोगसिंह राठौड़ ने कई दुश्मन सैनिकों को मार गिराया था, जानें कहानी

युद्ध में वीरता का प्रदर्शन करने के लिए उन्हें तत्कालीन राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने 26 जनवरी 1950 को ‘वीर चक्र’ से सम्मानित किया था।

Kargil War 1999

फाइल फोटो

युद्ध में अपनी वीरता का प्रदर्शन करने के लिए उन्हें तत्कालीन राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने 26 जनवरी 1950 को ‘वीर चक्र’ से सम्मानित किया था।

भारत और पाकिस्तान (Pakistan) के बीच 1948 के दौरान लड़े गए युद्ध में भारतीय सेना ने अपना पराक्रम दिखाया था। इस युद्ध में सेना के कई जवानों ने अपने शौर्य का परिचय देकर दुश्मन देश के कई सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया था। कश्मीर हड़पने आए पाकिस्तानी सैनिकों को हमारे जवानों ने भगा-भगाकर मारा था।

ऐसे ही एक जवान थे छोगसिंह राठौड़ जो कि 11 जुलाई 1939 में राजपूताना राइफल्स का हिस्सा बने थे। युद्ध के दौरान नौशहरा राजौरी क्षेत्र में वीरता पूर्वक दुश्मन का सामना करते हुए जख्मी भी हुए थे। जख्मी होने के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और कई दुश्मन सैनिकों को मार गिराया था।

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युद्ध में वीरता का प्रदर्शन करने के लिए उन्हें तत्कालीन राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने 26 जनवरी 1950 को ‘वीर चक्र’ से सम्मानित किया था। वह राजस्थान के पहले ऐसे सैनिक थे जिन्हें ये पुरस्कार मिला था। छोगसिंह भारतीय सेना में 21 वर्ष की गौरवपूर्ण सेवा कर 1 जनवरी 1960 को सेवानिवृत हुए। छोगसिंह के तीनों बेटों ने भी सेना में सेवाएं दी हैं।

मालूम हो कि भारत और पाकिस्तान का 1947 के में विभाजन हो गया था। पाकिस्तान हमसे वह सब छीन लेना चाहता था जो बेशकीमती था। भारत ने ऐसा नहीं होने दिया। भारत ने अपने मुताबिक जो पाकिस्तान को देना था वो दिया। पाकिस्तान ने कश्मीर की मांग की तो इसे पूरा नहीं किया गया। कश्मीर को भारत में शामिल करवा लिया गया।

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