Indian Army के वे साजो-सामान जो आपात स्थिति में आते हैं बेहद काम
भारतीय सेना (Indian Army) देश की सीमा की रक्षा के लिए तत्पर रहती है। सेना के जवान हर मोर्चे पर तैनात रहते हैं ताकि हम सुकून की नींद ले सकें। सेना के इस जज्बे को हर नागरिक सलाम करता है।
सरहद पर जवानों को दिए जाते हैं पर्वतारोहण उपकरण, ताजा खाने के लिए फूड कंटेनर
सीमा पर तैनात हमारे वीर सपूतों को पूरा ख्याल रखा जाता है। जवानों को सरहद पर किसी तरह की कमी न हो इसके लिए कई इंतजाम किए जाते हैं। हमारे जवान सर्दी हो चाहे गर्मी, हर वक्त देश की रक्षा के लिए खड़े रहते हैं।
पहाड़ पर युद्धाभ्यास के हैं कई फायदे, 1962 और 1999 के युद्ध के बाद सेना के लिए हो गया बेहद जरूरी
बीते कुछ दशकों में पहाड़ पर अपने युद्धाभ्यास को काफी गंभीरता से लिया गया है। सियाचिन इनमें से एक है। यहां जवानों ने तमाम चुनौतियों का सामना किया।
Kargil War 1999: युद्ध में पाकिस्तानी सेना की हालत थी खराब! न खाना था न थे कपड़े
भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में कारगिल युद्ध (Kargil War) लड़ा गया था। इस युद्ध में पाकिस्तान (Pakistan) को बुरी तरह से हराया गया था। पाकिस्तान को हराने के लिए हमारे वीर सपूतों ने जमकर मेहनत की थी।
Indo-China War 1962: युद्ध में हार और फिर Indian Army में बदलाव, ऐसे थे जंग के दिन
हार के बाद सैन्य स्तर पर कई बदलाव हुए। सेना में नीचे से लेकर ऊपर तक व्यापक बदलाव हुए। भारत को समझ आ गया था कि ऐसे संघर्ष के लिए तैयार रहने की जरूरत है।
Kargil War 1999: तो इसलिए नहीं लग पाई थी भारत को घुसपैठ की भनक! धोखेबाजी का दिया था माकूल जवाब
भारत और पाकिस्तान के बीच साल 1999 में कारगिल युद्ध (Kargil War) लड़ा गया था। इस युद्ध में भारतीय वीर सपूतों ने दुश्मन देश पाकिस्तान को माकुल जवाब दिया था।
Indian Army के मेजर कमलेश मनी ने पेश की इंसानियत की मिसाल, VIDEO इमोशनल कर देगा
आतंकियों से लड़ने के साथ सेना को आम लोगों की भी परवाह होती है। उनके दुख-तकलीफों को दूर करने के लिए अगर उन्हें किसी हद तक भी जाना पड़े तो वह परवाह नहीं करते।
साल 1947-48 में लड़ा था सबसे लंबा युद्ध, 441 दिनों तक आमने-सामने थे भारत और पाकिस्तान
भारत और पाकिस्तान के बीच आजादी के तुरंत बाद ही युद्ध लड़ा गया था। अगर ये कहें कि भारत पर पहला युद्ध आजादी के एक साल बाद ही थोप दिया गया था, तो ऐसा कहना गलत नहीं होगा।
India Pakistan War 1971: महज 13 दिन में ढेर कर दिए थे पाकिस्तान के 9 हजार जवान! भारत को हुआ था इतना नुकसान
भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में युद्ध लड़ा गया था। इस युद्ध में पाकिस्तानी सेना को भारी नुकसान झेलना पड़ा था। सैनिक तो मारे ही गए थे, साथ ही साथ पाकिस्तान का एक प्रांत यानी पूर्वी पाकिस्तान अलग हो गया था।
India Pakistan War 1965: इतने दिनों तक चला था युद्ध, पाकिस्तान को हुआ था इतना नुकसान
भारत और पाकिस्तान के बीच 1965 का युद्ध लड़ा गया था। इस युद्ध में पाकिस्तान को भारी नुकसान झेलना पड़ा था। पाकिस्तान यह सोचकर युद्ध के मैदान में उतरा था कि भारतीय सेना 1962 का युद्ध हारी हुई है, ऐसे में उसे फिर से हराया जा सकता है।
War of 1962: इतने दिन चला था युद्ध, हमें हुआ था चीन से दोगुना नुकसान
भारत और चीन के बीच 1962 में भीषण युद्ध लड़ा गया था। इस युद्ध में चीनी सेना भारतीय सेना पर भारी पड़ी थी। भारत को आजादी मिले महज 14 साल ही हुए थे लेकिन 1947-48 युद्ध के बाद एक और युद्ध लड़ना पड़ा था।
कारगिल युद्ध: शुरुआत में पाकिस्तानी सेना का सीमा पार करना घुसपैठ माना गया, बाद में पता चली थी रणनीति
शुरुआत में इसे घुसपैठ माना गया और दावा किया गया कि इन्हें कुछ ही दिनों में बाहर कर दिया जाएगा। लेकिन खुफिया तंत्र अनुमान पूरी तरह से गलत निकला था।
Kargil War: 22 ग्रेनेडियर के सूबेदार रहे बोदूलाल मीणा का ऐसा रहा अनुभव, जानें क्या थीं चुनौतियां
भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में लड़ा गया कारगिल का युद्ध (Kargil War) भारतीय सेना (Indian Army) की बहादुर की कहानी है। इस युद्ध में भारतीय जवानों ने दुश्मनों को जो सबक सिखाया था, उसे यादकर पाकिस्तान आज भी थर-थर कांप उठता होगा।
पैर लैंडमाइन पर पड़ा और तेज धमाका हुआ, युद्ध में ऑफिसर इयान कार्डोजो ने खुद को ऐसे संभाला
गोरखा रेजीमेंट के मेजर कार्डोजो के मुताबिक जंग के दौरान बारूदी सुरंग में ब्लास्ट हुआ था और एक पैर उड़ गया था। कुछ क्षण के लिए दिमाग सुन्न हो गया था।
1999 के युद्ध के दौरान कारगिल में रहने वाले लोगों की जिंदगी पर क्या गुजरी थी? ऐसा था माहौल
पाकिस्तान ने कारगिल के सामरिक रूप से महत्वपूर्ण इलाकों पर धोखे से कब्जा किया था। कारगिल को अगास की भूमि के नाम से भी जाना जाता है।
1962 के युद्ध की कहानी फुंचुक अंगदोस की जुबानी, ऐसा था इनका अनुभव
अंगदोस ने इस युद्ध से जुड़े अपने उन दिनों के अनुभव को साझा किया है। वे बताते हैं कि किस तरह उन दिनों युद्ध लड़ा और चुनौतियों का सामना किया था।
1962 का युद्ध: सूबेदार कपूर सिंह का ऐसा था अनुभव, हथियार और संख्या बल में हम थे कमजोर
युद्ध में सूबेदार कपूर सिंह ने भी हिस्सा लिया था। लद्दाख के गलवन घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई झड़प में उन्होंने भी हिस्सा लिया था।