Bijapur Sukma Encounter: अयोध्या के जवान राजकुमार यादव शहीद, बार-बार बेहोश हो रहीं पत्नी
छत्तीसगढ़ के बीजापुर-सुकमा बॉर्डर पर शनिवार को हुए नक्सली हमले में यूपी के अयोध्या निवासी जवान राजकुमार यादव भी शहीद हुए हैं।
Bijapur Sukma Encounter: गरियाबंद के सुखराम फरस शहीद, डेढ़ साल पहले हुई थी शादी
इस नक्सली घटना में गरियाबंद जिले के मौहदा गांव के रहने वाले एसटीएफ जवान सुखराम फरस (Sukhram Fars) भी शहीद हुए हैं। खबर सुनते ही उनके घर में मातम पसर गया है।
Bijapur Sukma Encounter: शहीद रमेश कुमार जुर्री तीन दिन पहले ही मां से मिले थे, चार साल की बेटी के सिर से उठा पिता का साया
Bijapur Sukma Encounter: मां तीन दिन पहले ही बेटे से मिलकर अपने गांव लौटी थी। मां से मिलने के बाद जुर्री ड्यूटी पर लौटकर सर्च ऑपरेशन में लग गए थे।
India Pakistan War 1971: पाकिस्तान की कैद में है हमारा ये वीर सपूत, परिवार कर रहा लौटने का इंतजार
India Pakistan War 1971: सुरजीत सिंह का परिवार आज भी अपने वीर सपूत के जिंदा होने की उम्मीद लगाए बैठा है। पंजाब के गांव टहना फरीदकोट के रहने वाले हैं।
गांव में मंदिर बनवाकर लगवाई इकलौते शहीद बेटे की मूर्ति, ऐसी होती है मां की ममता
भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में कारगिल युद्ध (Kargil War) लड़ा गया था। इस युद्ध में भारतीय सेना ने पाकिस्तान को बुरी तरह से हराया था। पाकिस्तान को ऐसा सबक सिखाया गया था जिसे वो आज तक याद रखता है।
इस तरह इंडियन आर्मी के पहले भारतीय अध्यक्ष बने केएम करिअप्पा, दिलचस्प है किस्सा
कोडंडेरा मडप्पा करिअप्पा इंडियन आर्मी (Indian Army) के पहले भारतीय अध्यक्ष थे। वे केएम करिअप्पा (K M Cariappa) के नाम से विख्यात थे। आजादी के बाद भारतीय सेना का भारतीयकरण करने का श्रेय करिअप्पा को ही दिया जाता है।
War of 1971: जख्मी होने पर खुद का पैर काटने वाले कार्डोजो की आंखों देखी, जानें कैसा था अनुभव
इस युद्ध (War of 1971) में यूं तो सभी जवानों का योगदान अहम था लेकिन एक जवान ऐसे भी थे जिन्होंने जख्मी होने पर अपना पैर खुद काट लिया था। इस जवान का नाम कार्डोजो है और वह गोरखा रेजीमेंट के मेजर पद पर थे।
लांस नायक मंगल सिंह: 1971 में लापता हुए थे, 49 साल बाद परिवार को मिली जिंदा होने की सूचना
भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 के युद्ध के दौरान लांस नायक मंगल सिंह (Lance Naik Mangal Singh) लापता हो गए थे। परिवार 49 साल से उनकी राह देख रहा है। इस दौरान उनका कुछ अता-पता नहीं था।
स्वतंत्रता संग्राम में छुड़ा दिए थे अंग्रेजों के पसीने, पढ़ें वीर योद्धा बुधू भगत की कहानी
वीर शहीद बुधु भगत (Budhu Bhagat) छोटानागपुर के उस जन आन्दोलन के नायक थे, जिसे अंग्रेजों ने 'कोल विद्रोह' का नाम दिया, जैसे 1857 के पहले स्वतंत्रता आन्दोलन को सिपाही विद्रोह का नाम दिया गया है।
डोगराई की लड़ाई: … 1965 के युद्ध में जब भारतीय सेना के जवानों ने पाकिस्तानी सीमा में किया प्रवेश
भारत ने सीमित संसाधनों के बावजूद स्ट्रेटजी बनाकर लाहौर से कुछ मील पहले डोगराई शहर पर कब्जा कर लिया था। इस युद्ध में 3 बटालियन जाट रेजीमेंट का बड़ा योगदान था।
कारगिल युद्ध: … जब गांव के युवाओं ने की सेना की मदद, 20 किलोमीटर पैदल चलकर पहुंचाते थे सामान
Kargil War 1999: लद्दाख के लोअर लेह गांव के मोहम्मद अख्तर ने 1999 में भारतीय सेना के लिए स्वेच्छा से कई हफ्तों तक युद्ध के मैदान में मदद की थी।
Kargil War 1999: युद्ध में एक पैर गंवाया पर नहीं छोड़ी नौकरी, इस जवान की बहादुरी है मिसाल
भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में कारगिल युद्ध (Kargil War) लड़ा गया था। इस युद्ध में भारतीय सेना (Indian Army) की जीत हुई थी। युद्ध में हमारे वीर सपूतों ने ऐसा पराक्रम दिखाया था, जिसे यादकर दुश्मन देश के जवान आज भी कांप उठता होगा।
Kargil War 1999: जब पिता दुश्मनों से ले रहे थे लोहा, गर्भ में थी ये बच्ची; अब पापा को मानती है भगवान
भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में लड़े गए युद्ध (Kargil War) में भारतीय सेना (Indian Army) के वीर सपूतों ने दुश्मनों को बुरी तरह से परास्त किया था। पाकिस्तानी सैनिकों पर हमारा एक-एक जवान कहर बनकर टूटा था।
दोनों देशों के लिए क्यों महत्वपूर्ण है गलवान घाटी? 1962 के युद्ध में भी थी विवाद की वजह
भारत और चीन के बीच 1962 में भीषण युद्ध लड़ा गया था। इस युद्ध में चीन ने भारत को हराया था। चीन हमेशा से विस्तारवाद की नीति पर चलता आया है और अबतक ऐसा ही कर रहा है।
ITBP: हिमालय पर तिरंगा लहराने वाले जवान, कई खेलों में भी बढ़ा चुके हैं देश का मान
Indo-Tibetan Border Police यानी (ITBP), भारत-तिब्बत सीमा की रखवाली करने वाले ये बहादुर जवान जब हिमालय की चोटियों पर तिरंगा फहराते हैं तो सारा आकाश इन्हें गर्व से निहारता है।
कंधे पर 10 किलो का बम लेकर दौड़ गया था यह जांबाज सिपाही, बचाई 400 बच्चों की जान
कॉन्स्टेबल अभिषेक पटेल (Head Constable Abhishek Patel) ने फर्ज के आगे अपनी जिंदगी को दांव पर लगा दिया। परिसर में मौजूद लगभग 400 लोगों की जान बचाने के लिए इस हीरो ने अपनी जान जोखिम में डालने का फैसला किया।
एयर कमोडोर जे एल भार्गव ने दुश्मनों से 12 घंटे तक छुपाई थी अपनी पहचान, पढ़ें इस युद्ध बंदी सैनिक की कहानी
पूर्व सैनिक, जो पिछले युद्धों में पाकिस्तान में युद्ध बंदी के रह चुके हैं। एयर कमोडोर जे एल भार्गव भी उन्हीं सैनिकों में एक हैं जो प्रिजनर ऑफ वॉर रह चुके हैं। वे 1971 के युद्ध में 1 साल तक पाकिस्तान में बंदी रहे थे।