1971 के युद्ध में पाक सेना का आत्मसमर्पण, भारत-बांग्लादेश सैन्य इतिहास का सबसे यादगार पल

यह पल भारतीय और बांग्लादेश के सैन्य इतिहास का सर्वाधिक यादगार पल में से एक है। एक तरफ भारत की मजबूत और पुरानी सेना तो दूसरी तरफ बांग्लादेश की नई सेना थी।

Indian Army

फाइल फोटो।

यह पल भारतीय और बांग्लादेश के सैन्य इतिहास का सर्वाधिक यादगार पल में से एक है। एक तरफ भारत की मजबूत और पुरानी सेना (Indian Army) तो दूसरी तरफ बांग्लादेश की नई सेना थी।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में युद्ध (War of 1971) लड़ा गया था। इस युद्ध में भारतीय सेना ने ऐसा शौर्य दिखाया था जिसे देखकर दुश्मन थर-थर कांप उठे थे।युद्ध शुरू होने के पीछे ईस्ट पाकिस्तान (बांग्लादेश) में पाकिस्तानी सेना का अत्याचार और भारत में बढ़ता शरणार्थी संकट था।

पाकिस्तान ने 1971 के दिसंबर महीने में ‘ऑपरेशन चंगेज खान’ के जरिए भारत के 11 एयरबेसों पर हमला किया था जिसके बाद 3 दिसंबर 1971 युद्ध शुरू हुआ। महज 13 दिन के बाद पाकिस्तान की 92 हजार फौज ने सरेंडर कर दिया। यह पल भारतीय और बांग्लादेश के सैन्य इतिहास का सर्वाधिक यादगार पल में से एक है।

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एक तरफ भारत की मजबूत और पुरानी सेना (Indian Army) तो दूसरी तरफ बांग्लादेश की नई सेना थी। वहीं दुश्मन देश पाकिस्तान की सेना जो कभी बाज नहीं आती उसे हरा कर एक भी शर्त के बिना सरेंडर करने पर मजबूर होना पड़ा। ये भारत और बांग्लादेश दोनों की साख के लिए एक महत्वपूर्ण पल था।

पाकिस्तानी सेना के सरेंडर के दौरान दोनों देशों की सेना ने सैन्य जीत का जश्न मनाया था। युद्ध से पहले भारतीय सेना (Indian Army) ने ही मुक्तिवाहिनी (बांग्लादेश की सेना) के लड़ाकों को प्रशिक्षण दिया गया था। दोनों देशों की सेनाओं ने युद्ध में जीत के लिए सही ट्रेनिंग और सही समय का चुनाव कर दुश्मनों को मात देने में सफलता हासिल की थी।

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बता दें कि 16 दिसंबर, 1971 को पाकिस्तान की सेना के आत्मसमर्पण किया था और बांग्लादेश के जन्म के साथ युद्ध का भी समापन हुआ था। युद्ध के जरिए दोनों देशों ने पाकिस्तान की पूर्वी पाकिस्तान में अत्याचार, रेप, गिरफ्तारियां, लूट और हिंसात्मक कार्रवाई से लोगों को आजाद करवाया।

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