1971 का युद्ध: हवलदार उदयराज सिंह की वीरता को देखकर थर-थर कांपते थे दुश्मन, मिला था ‘वीर चक्र’

युद्ध में उनके पराक्रम का परिचय तब देखने को मिला जब वह अपने साथियों के साथ फीचूगंज पहुंचे थे। दरअसल यहां पर उन्हें नदी को रेलवे पुल के रास्ते पार करना था।

हवलदार उदयराज सिंह।

युद्ध में उनके पराक्रम और बुद्धिमत्ता का परिचय तब देखने को मिला जब वह अपने साथियों के साथ फीचूगंज पहुंचे थे। दरअसल यहां पर उन्हें नदी को रेलवे पुल के रास्ते पार करना था।

1971 में बांग्लादेश के लिए पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध में भारतीय सेना ने हिस्सा लिया था। यह युद्ध एक तरह से बांग्लादेश की आजादी और पाकिस्तान की मानवता पर प्रताड़ना के खिलाफ लड़ा गया था। 1971 के आखिरी महीनों में लड़े गए इस युद्ध में भारतीय सेना ने ऐसा पराक्रम दिखाया था जिसे यादकर दुश्मन देश की सेना आज भी थर-थर कांप उठती होगी।

युद्ध में वैसे तो पूरी सेना की भूमिका अहम थी और इसी वजह से हमें जीत भी हासिल हुई थी। लेकिन जैसा कि हर युद्ध में होता है सेना के कुछ जवान अपना ऐसा शौर्य दिखाते हैं जिसे सालों साल याद रखा जाता है। ऐसे ही हवलदार उदयराज सिंह भी थे। युद्ध के दौरान वह यशपुरा पल्टन में हवलदार पद पर तैनात थे।

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युद्ध में उनके पराक्रम और बुद्धिमत्ता का परिचय तब देखने को मिला जब वह अपने साथियों के साथ फीचूगंज पहुंचे थे। दरअसल यहां पर उन्हें नदी को रेलवे पुल के रास्ते पार करना था। चुनौती यह थी कि इस दौरान दुश्मनों की तरफ से जबरदस्त फायरिंग हो रही थी। थोड़ी सी भी गलती पूरी टुकड़ी के लिए भारी पड़ सकती थी। लेकिन हवलदार उदयराज सिंह ने बुद्धिमत्ता का परिचय देते हुए भीषण गोलीबारी के बीच रेंगते हुए उनके नेतृत्व में सेना की टुकड़ी ने पुल पार किया था।

यही नहीं इस दौरान दुश्मनों पर जोरदार हमला भी किया गया था। इस दौरान दुश्मन देश के कई सैनिक मारे गए थे। इसके साथ ही 11 पाकिस्तानी सैनिकों को मौके से सैनिकों ने हिरासत में ले लिया था। पराक्रम और बुद्धिमत्ता का परिचय देने के लिए उन्हें तत्कालीन राष्ट्रपति वीवी गिरि ने वीर चक्र से सम्मानित किया था।

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