सच के सिपाही

Gopalbabu Shukla मूल रूप से यूपी के कन्नौज के रहने वाले थे। परिजनों का कहना है कि सेना ने उन्हें अभी ये जानकारी नहीं दी है कि गोपालबाबू कैसे शहीद हुए।

Badole Umrao Naresh मूल रूप से नागपुर के रहने वाले थे। एक सीआरपीएफ अधिकारी ने बताया कि मोटरसाइकिल सवार आतंकी ने बांदीपोरा, चदूरा में CRPF पर हमला किया।

सेना नायक के पद से रिटायर होने वाले भरत सिंह के मुताबिक वह सर्चिंग ड्यूटी में थे तभी फायरिंग हो गई थी। गोली लगने पर मुझे मेडिकल स्टाफ ने संभाला।

Pakistan के रोड बनाने के चलते कच्छ के रण में झड़पें शुरू हो गई थीं। शुरू में तो इनमें केवल सीमा सुरक्षा बल ही शामिल थे, बाद में सेना भी शामिल हो गई।

Tanot Mata Mandir सेना के लिए आस्था के प्रतीकों में से एक है। जवान आज भी इस मंदिर का रख-रखाव खुद ही करते हैं। मंदिर का रख-रखाव सीमा सुरक्षा बल के जिम्मे है।

सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स (CRPF) के डिप्‍टी कमांडेंट राहुल माथुर (Rahul Mathur) बहादुरी की जीती-जागती मिसाल हैं। राहुल के सीने और पेट में आतंकियों की गोली लगी थी।

Indian Army: दुश्मनों ने 8 सितंबर 1965 को खेमकरण सेक्‍टर के उसल उताड़ गांव पर धावा बोल दिया था। ये हमला पैटन टैंक के साथ किया गया था।

पाकिस्तान आजादी के बाद से अबतक भारत के साथ विश्वासघात करता आया है लेकिन हर बार नुकसान झेलकर वापस लौटा है। ऐसा ही 1971 में भी हुआ था।

उत्तराखंड के नैनीताल में जन्में वीर योद्धा मेजर राजेश सिंह अधिकारी ने अपनी दिलेरी का परिचय देते हुए मातृभूमि के लिए अपने प्राणों की बाजी लगा दी थी।

सिपाही नरेंद्र सिंह चौधरी (Narendra Singh Chaudhary) अब इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन लोग आज भी उनकी बहादुरी के किस्से याद करते हैं।

भारत तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) सरहद पर निगेहबानी तो करती ही है, साथ ही देश की जनता की हर संभव मदद के लिए भी तत्पर रहती है। कोरोना काल में इस बल के जवानों ने लोगों के लिए संकट मोचन बनकर काम किया।

25 नवंबर 1987 को 'ऑपरेशन पवन' के दौरान जब महार रेजिमेंट की आठवीं बटालियन के मेजर रामास्वामी परमेश्वरन (Major Ramaswamy Parameswaran) श्रीलंका में एक तलाशी अभियान से लौट रहे थे।

हिमाचल प्रदेश के शिमला (Shimla) के चौपाल उपमंडल की कुपवीं तहसील के अतर राणा (Atar Rana) देश की सेवा करते हुए शहीद हो गए। वह LAC पर तैनात थे।

वीर अब्दुल हमीद (Abdul Hamid) भारत माता के वो वीर सिपाही थे, जिन्होंने अपने सेवा काल में सैन्य सेवा मेडल, समर सेवा मेडल और रक्षा मेडल जैसे सम्मान प्राप्त किए थे।

'मुझे पांच गोलियां भी लगी, फिर भी कुल 48 पाकिस्तानी सैनिकों और घुसपैठियों को मार गिराया था। 5 हजार फुट ऊपर पहाड़ियों पर यह लड़ाई लड़ी गई थी।'

आज हम भारतीय सेना (Indian Army) के एक और वीर की कहानी आपको बता रहे हैं। उस शूरवीर का नाम है नायब रिसालदार मोहम्मद अयूब खान (Mohammed Ayyub Khan)।

Battle Of Phillaur: अमेरिका की ओर से सबसे मजबूत और खतरनाक बताए जा रहे पैटर्न टैंक से सीधी लड़ाई में भारतीय सेना (INDIAN ARMY) ने पाकिस्तान को धूल चटा दी थी।

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