नायब रिसालदार मोहम्मद अयूब खान ने कर दिया था दुश्मन सेना को तितर-बितर, पढ़ें इनकी बहादुरी का किस्सा

आज हम भारतीय सेना (Indian Army) के एक और वीर की कहानी आपको बता रहे हैं। उस शूरवीर का नाम है नायब रिसालदार मोहम्मद अयूब खान (Mohammed Ayyub Khan)।

Mohammed Ayyub Khan

नायब रिसालदार अयूब खान।

साल 1965 के जंग के बाद मोहम्मद अयूब खान (Mohammed Ayyub Khan) को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर तत्कालीन राष्ट्रपति राधाकृष्णन के हाथों ‘वीर चक्र’ (Vir Chakra) से सम्मानित किया गया था।

आज हम भारतीय सेना (Indian Army) के एक और वीर की कहानी आपको बता रहे हैं। उस शूरवीर का नाम है नायब रिसालदार मोहम्मद अयूब खान (Mohammed Ayyub Khan)। बात 1965 के जंग की है। नायब रिसालदार मोहम्मद अयूब खान सैनिकों की एक टुकड़ी का नेतृत्व कर रहे थे। उन्हें पाकिस्तानी सीमा के पास सियालकोट सेक्टर में सुचेत गढ़ में दुश्मनों के हमले को रोकने की जिम्मेदारी सौंपी गई।

क्योंकि दुश्मन की ओर से अगर यह हमला हो जाता तो हमारे फोर्स तक सूचना पहुंचाने के सभी रास्ते बंद हो जाते। इस हमले से उस सेक्टर में हमारे जवानों से संचार के सभी माध्यम खत्म हो जाते। यह हमला रोकना एक बहुत ही अहम जिम्मेदारी थी, जो नायब रिसालदार मोहम्मद अयूब खान (Mohammed Ayyub Khan) को दी गई थी। स्थिति काफी संवेदनशील थी।

LAC पर बढ़ते तनाव के बीच चीन ने किया नई मिसाइलों का परीक्षण, सीमा पर बढ़ा रहा सैनिकों की तैनाती

ऐसे में अयूब खान ने अपनी बहादुरी और सूझ-बूझ का परिचय दिया। वे तेजी से आगे बढ़े और अपनी टुकड़ी के जवानों के साथ दुश्मन सेना को तितर-बितर कर दिया। दुश्मन सेना की एक कंपनी और आधा दर्जन टैंक बिखर गए। अयूब खान की सूझ-बूझ भरी कार्रवाई से दुश्मनों के चार टैंक खो गए। अपने से मजबूत पोजिशन पर होने के बावजूद इस बहादुर सिपाही ने दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए।

वाकया कुछ ऐसा था कि भारत-पाक युद्ध के दौरान 9 सितंबर, 1965 को अयूब खान ने सुचेतगढ़ क्षेत्र में पाकिस्तानी टैंकों से टकराते हुए अपने टैंक को दुश्मन के कई टैंकों के बीच ले गए और खिलौने की तरह पाकिस्तान के चार टैंकों को अपने निशाने से तोड़ डाला। इससे पाकिस्तानी फौज में भगदड़ मच गई और उनके हौसले पस्त हो गए। युद्ध के दौरान कैप्टन अयूब खान द्वारा कब्जा किए गए पाकिस्तानी टैंकों में से एक पैटन टैंक भी भारतीय अयूब अपने साथ ले आए थे, जिसे जम्मू में रखा गया था।

जम्मू कश्मीर: आतंकी वारदातों को अंजाम देने के लिए अपनाया जा रहा ये पैंतरा, हुआ चौंकाने वाला खुलासा

बता दें कि साल 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध को दोनों सेनाओं के टैंकों की लड़ाइयों के लिए भी याद किया जाता है। उस समय पाकिस्तान को अपने पैटन टैंकों पर बहुत घमंड था। ये टैंक उसे अमेरिका से मिले थे। पाकिस्तान कहता था कि इन टैंकों का मुकाबला कोई नहीं कर सकता। उस युद्ध में भारतीय सेना (Indian Army) के रिसालदार अयूब खान ने पाकिस्तान के इन्हीं चार पैटन टैंकों को ध्वस्त कर उसका घमंड तोड़ दिया था।

अपने इस कारनामे के बाद वे अखबारों के माध्यम से देश में ‘इंडियन अयूब’ के नाम से प्रसिद्ध हो गए। क्योंकि उस समय पाकिस्तानी के राष्ट्रपति और सेनाध्यक्ष का नाम भी जनरल अयूब खान था, जिसके नेतृत्व में युद्ध लड़ा गया था। तब के अखबारों में यह लिखा गया था कि पाकिस्तानी अयूब खान के मुबाकले भारत के पास भी एक अयूब खान है जो पाकिस्तान के पैटन टैंकों को मिट्टी में मिला सकता है।

बैटल ऑफ फिल्लौर: सेना के इतिहास की सबसे खतरनाक लड़ाई, 35 KM तक पाक में घुस गए थे वीर

साल 1965 के जंग के बाद मोहम्मद अयूब खान (Mohammed Ayyub Khan) को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर तत्कालीन राष्ट्रपति राधाकृष्णन के हाथों ‘वीर चक्र’ (Vir Chakra) से सम्मानित किया गया था। तब लाल बहादुर शास्त्री ने कहा था कि हम पाकिस्तान के जनरल अयूब खान से तो नहीं मिले लेकिन हमें अपने रिसालदार अयूब खान पर गर्व है। 

Mohammed Ayyub Khan
तत्कालीन राष्ट्रपति राधाकृष्णन के हाथों ‘वीर चक्र’ से सम्मानित होते नायब रिसालदार अयूब खान।

बाद में नायब रिसालदार अयूब खान (Mohammed Ayyub Khan) दो बार राजस्थान से लोकसभा चुनाव जीते। अयूब खान राजस्थान से एकमात्र मुस्लिम नेता थे, जिन्होंने दो बार लोकसभा सदस्य का चुनाव जीता। साल 1984 में अयूब खान कांग्रेस टिकट पर झुंझुनू से लाकसभा चुनाव लड़ा और जीते। 1991 में वे दूसरी बार लोकसभा चुनाव में विजयी हुए थे। अयूब खान साल 1995 में नरसिम्हा राव सरकार में केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री बनाए गए। उन्होंने कांग्रेस पार्टी में प्रदेश स्तर पर कई वरिष्ठ पदों पर काम किया।

अयूब खान (Mohammed Ayyub Khan) का जन्म साल 1932 में राजस्थान के झुंझुनू जिले के नूआं गांव में हुआ था। उनके पिता इमाम अली खान किसान थे। माता का नाम मिमन था। वे चार भाइयों में सबसे बड़े थे। जून, 1950 में अयूब खान 18 कैवेलरी में भर्ती हुए थे। वे साल 1982 में सेना की 86 आमर्ड से ओनरेरी कैप्टन पद से रिटायर हुए थे। अयूब खान के परिवार में उनकी पत्नी ताज बानो, बेटी नसीम बानो, नसरीन बानो, पुत्रवधू शबनम खान, पोता आदिल खान हैं।

ये भी देखें-

इसके अलावा इनके एक दत्तक पुत्र भी थे। जिनका नाम सलाउद्दीन था। सलाउद्दीन का कुछ साल पहले इंतकाल हो चुका है। 15 सितंबर, 2016 को कैप्टन अयूब खान का 84 साल की उम्र में हार्ट अटैक से निधन हो गया। अयूब खान (Mohammed Ayyub Khan) के दादाजी, पिताजी भी भारतीय सेना में काम कर चुके हैं। अब उनके परिवार के चचेरे भाइयों और उनके बच्चे सेना में काम कर रहे हैं। कैप्टन अयूब खान के परिवार की पांचवीं पीढ़ी अभी सेना में कार्यरत है।

Hindi News के लिए हमारे साथ फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, यूट्यूब पर जुड़ें और डाउनलोड करें Hindi News App

यह भी पढ़ें