1965 का युद्ध एक सड़क की वजह से शुरू हुआ था! पाकिस्तान ने 18 मील लंबी एक कच्ची सड़क बना ली थी

Pakistan के रोड बनाने के चलते कच्छ के रण में झड़पें शुरू हो गई थीं। शुरू में तो इनमें केवल सीमा सुरक्षा बल ही शामिल थे, बाद में सेना भी शामिल हो गई।

Kargil

सांकेतिक तस्वीर

पाकिस्तान (Pakistan) के रोड बनाने के चलते कच्छ के रण में झड़पें शुरू हो गई थीं। शुरू में तो इनमें केवल सीमा सुरक्षा बल ही शामिल थे पर बाद में दोनो देशों की सेना भी युद्ध में शामिल हो गईं।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1965 के युद्ध की नींव कच्छ के लगभग अनजान और बियाबान इलाके में हुई सीमित मुठभेड़ से रखी गई थी। भारत और पाकिस्तान (Pakistan) के बंटवारे के समय से ही कई मुद्दो पर तनातनी चल रही थी जिनमें जम्मू और कश्मीर का मुद्दा सबसे बड़ा था। इसके साथ ही अन्य सीमा विवाद भी युद्ध की प्रमुख वजहों में से एक थे। 1965 के युद्ध में कच्छ के रण इलाके की अहम भूमिका रही जो कि एक बंजर इलाका है।

झगड़े की शुरुआत तब हुई जब भारतीय सुरक्षा बलों को पता चला कि पाकिस्तान ने डींग और सुराई को जोड़ने के लिए 18 मील लंबी एक कच्ची सड़क बना ली है। पाकिस्तान के लिए कच्छ के रण में मौजूद इन दोनों इलाकों पर पहुंचना बेहद आसान था जबकि भारत के लिए इन इलाकों में पहुंचना बिल्कुल भी आसान नहीं था।

ये भी पढ़ें- Coronavirus: देश में संक्रमितों का आंकड़ा हुआ 55 लाख के करीब, 24 घंटे में आए 86,961 नए मामले

लिहाजा पाकिस्तान के रोड बनाने के चलते कच्छ के रण में झड़पें शुरू हो गई थीं। शुरू में तो इनमें केवल सीमा सुरक्षा बल ही शामिल थे पर बाद में दोनो देशों की सेना भी युद्ध में शामिल हो गईं। कच्छ के रण में मिली सफलता से उत्साहित पाकिस्तान के राजनेताओं खासकर तत्कालीन विदेशमंत्री ज़ुल्फिकार अली भुट्टो ने राष्ट्र्पति और सेनाध्यक्ष जनरल अयूब खान पर दबाव डाला कि वे कश्मीर पर हमले का आदेश दें। फिर क्या था कश्मीर हड़पने के मकसद से पाकिस्तान और ज्यादा आक्रमक हो गया और भारी भरकम हमले बोलने लगा।

भारतीय सेना भी कमजोर नहीं थी लिहाजा पाकिस्तान के हर एक हमले का सख्ती के साथ जवाब दिया गया। पाकिस्तान को इस युद्ध में भारी नुकसान झेलना पड़ा था। युद्ध में एक वक्त ऐसा आया जब दोनों देशों को संघर्ष विराम का प्रस्ताव मंजूर करना पड़ा। युद्ध को शांत करने के लिए दोनों देशों के बीच 10 जनवरी 1966 को ताशकंद समझौता हुआ था। दोनों देशों के बीच 10 जनवरी, 1966 की तारीख को समझौते पर लाल बहादुर शास्त्री और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान ने हस्ताक्षर किए।

ये भी देखें- 

Hindi News के लिए हमारे साथ फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, यूट्यूब पर जुड़ें और डाउनलोड करें Hindi News App

यह भी पढ़ें