
माता तनोट मंदिर के पास करीब 3 हजार बम गिराए थे।
मंदिर (Tanot Mata Mandir) सेना के लिए आस्था के प्रतीकों में से एक है। आर्मी के जवान खुद इस मंदिर का रख-रखाव करते हैं। मंदिर का रख-रखाव सीमा सुरक्षा बल के जिम्मे है।
भारत और पाकिस्तान के बीच 1965 में लड़े गए युद्ध में भारतीय सेना के पराक्रम को आज भी याद किया जाता है। इस युद्ध में भारत, पाकिस्तान के खिलाफ हर मोर्चे पर बेहतरीन साबित हुआ था।
इस युद्ध में पाकिस्तान ने अपने बॉर्डर से मात्र 20 किलोमीटर दूरी पर राजस्थान के जैसलमेर में स्थित माता तनोट मंदिर (Tanot Mata Mandir) के पास करीब 3 हजार बम गिराए थे। लेकिन सभी के सभी बम मां के सामने बेअसर साबित हुए थे। मंदिर को खरोंच तक नहीं आई थी।
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यह मंदिर सेना के लिए आस्था के प्रतीकों में से एक है। आर्मी के जवान खुद इस मंदिर का रख-रखाव करते हैं। मंदिर का रख-रखाव सीमा सुरक्षा बल के जिम्मे है। युद्ध की याद में एक विजय स्तंभ का भी निर्माण किया गया है।
ये स्तंभ भारतीय सेनिकों की वीरता की याद दिलाता है। माता के चमत्कारों को देखकर पाकिस्तानी ब्रिगेडियर शाहनवाज खान नतमस्तक हो गया। वहीं, मंदिर परिसर में गिरे 450 बम तो फटे ही नहीं। बीएसएफ जवानों और स्थानीय लोगों का मानना है कि उस युद्ध में तनोट माता की कृपा ने भारत को जीत दिलाई थी।
बता दें कि चारण कुल में जन्मी देवी आवड़ को तनोट माता के नाम से जाना जाता है। तनोट राय को हिंगलाज मां का ही एक रूप कहा कहा जाता है। हिंगलाज माता जो वर्तमान में बलूचिस्तान जो पाकिस्तान में है, वहां स्थापित हैं।
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