सच के सिपाही

भारत और चीन के तनाव के बीच राजस्थान के झुंझुनूं जिले के गांव हुकमपुरा के शमशेर अली खान (42) गुरुवार को भारत-चीन सीमा पर पेट्रोलिंग के दौरान शहीद (Martyr) हो गए।

भूपेंद्र (Bhupendra Singh Chauhan) की शादी 18 महीने पहले ही हुई थी और उनके एक 6 महीने का बेटा भी है। भूपेंद्र अपने बेटे से केवल एक ही बार मिल पाए थे।

PAK ने जंग में अपने 170 से ज्यादा टैंकों को खो दिया था, इसमें 97 पैटन टैंक तो 'असल उत्तर' की लड़ाई में खत्म हो गए। वहीं INDIAN ARMY ने केवल 42 टैंक ही खोए।

आज भारतीय सेना (Indian Army) के लेफ्टिनेंट सुरिंदरपाल सिंह सेखों (LT Surinderpal Singh Sekhon) की पुण्यतिथि है। इस वीर ने घायल हालत में भी दुश्मनों से दो-दो हाथ किए थे।

लद्दाख में चीनियों से मोर्चा लेने के लिए देश की सीमा पर डटे कुछ जवान ऐसे भी हैं, जिसके बारे में किसी को भी शायद ही कुछ ज्यादा जानकारी हो। ऐसा ही लद्दाख सीमा पर 'स्पेशल फ्रंटियर फोर्स' (SFF) का एक जवान देश के लिए अपनी जान कुर्बान कर गया।

नायब सूबेदार शमशेर अली खान (Shamsher Ali Khan) अरुणाचल प्रदेश के टेंगा में तैनात थे और 24 ग्रेनेडियर यूनिट के नायब सूबेदार थे।

Jammu Kashmir: यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने जवान के निधन पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि यूपी सरकार उनके परिजनों की हर संभव मदद करेगी।

पाक ने राजौरी में LoC के नजदीक सीजफायर तोड़ा। इस दौरान सूबेदार राजेश कुमार (Rajesh Kumar) गंभीर रूप से घायल हो गए। बाद में उन्होंने दम तोड़ दिया।

मामला उत्तराखंड के पिथौरागढ़ से सामने आया है। यहां ITBP के जवानों ने एक व्यक्ति के शव को कंधे पर उठाया और 25 किलोमीटर की दूरी तय की।

शहीद दीवान चंद (Martyr Deewan Chand) की अंतिम यात्रा में गांव के लोगों का काफिला भारत माता और शहीद दीवान चंद अमर रहे के नारे लगाते हुए चल रहे थे।

पाकिस्तान भी टाइगर हिल (Tiger Hill) की अहमियत को जानता था और वह इस पर कब्जा करने की फिराक में था लेकिन भारतीय सेना ने पहले ही इसपर कब्जा कर लिया था।

पाकिस्तान ने वो बड़ी भूल की जिसका उसे भारी नुकसान झेलना पड़ा। भारत पर हुए हमले के साथ ही 1971 का आधिकारिक आगाज हो गया था।

प्रशांत शर्मा (Prashant Sharma) आखिरी दम तक आतंकियों से लोहा लेते रहे और उन्होंने अपने साथियों के साथ मिलकर 3 आतंकियों को मार गिराया था।

CRPF को उसके शौर्य के लिए अब तक 2036 गैलेंट्री मेडल्स से नवाजा जा चुका है। बल के इस गौरव का जश्न मनाने के लिए CRPF के महानिदेशक ने एक ‘Valour wall’ का उद्घाटन किया।

चाहे वह 1948 का युद्ध हो या फिर 1962 में चीन के साथ युद्ध और 1965 और 71 में पाकिस्तानी सेना के साथ लोहा लेना हो। Garhwal Rifles के जवानों ने हमेशा अपनी छाप छोड़ी है।

यह पदक असाधारण कर्तव्यपरायणता या अदम्य साहस के ऐसे व्यक्तिगत कारनामे के लिए प्रदान किया जाता है जो वायु सेना के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण हों।

युद्ध के दौरान वह कश्मीर में सैनिकों को लेकर ट्रक से जा रहे थे। दुश्मनों ने बस पर हमला बोला। फायरिंग के दौरान उन्हें कमर के पास गोली लगी।

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