मेजर परमेश्वरन जयंती: भारतीय सेना का शूरवीर, गोली लगने के बावजूद दुश्मन की बंदूक छीन उसे किया ढेर, मरणोपरांत मिला ‘परमवीर चक्र’

25 नवंबर 1987 को ‘ऑपरेशन पवन’ के दौरान जब महार रेजिमेंट की आठवीं बटालियन के मेजर रामास्वामी परमेश्वरन (Major Ramaswamy Parameswaran) श्रीलंका में एक तलाशी अभियान से लौट रहे थे।

Major Ramaswamy Parameswaran मेजर रामास्वामी परमेश्‍वरन

Major Ramaswamy Parameswaran Birth Anniversary II मेजर रामास्वामी परमेश्‍वरन जयंती

मेजर रामास्वामी परमेश्वरन जयंती: देश की रक्षा के लिए भारतीय सेना (Indian Army) के जवान किसी भी हद तक गुजर सकते हैं। ऐसा एक बार नहीं कई बार देखा जा चुका है। सेना के जवान अपनी अंतिम सांस तक दुश्मनों को ढेर करते हैं। सेना के वीरों के शौर्य को सम्मान भी दिया जाता है। ऐसे ही एक वीर जवान थे महार रेजिमेंट की आठवीं बटालियन के मेजर रामास्वामी परमेश्वरन (Major Ramaswamy Parameswaran)। परमेश्वरन ने ऐसी बहादुरी दिखाई थी जिसे याद कर आज पूरा देश गौरव महसूस करता है। उनके शौर्य और बलिदान के लिए उन्हें मरणोपरांत सेना के सर्वोच्च सम्मान ‘परमवीर चक्र’ से सम्मानित किया गया।

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दरअसल श्रीलंका के जाफना के गांव में इंडिया की पीस टीम और टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम के आतंकियों के बीच एनकाउंटर चल रहा था। आतंकियों ने पूरे इलाके में बारूदी सुरंग बिछाई थी। भारत के इस शांति अभियान का नेतृत्व मेजर रामास्‍वामी कर रहे थे। भारत और श्रीलंका के बीच एक अनुबंध हुआ था जिसके बाद भारत की इंडियन पीस कीपिंग फोर्स का श्रीलंका जाना तय हुआ था। इस पूरे ऑपरेशन को ‘ऑपरेशन पवन’ नाम दिया गया था।

घायल परमेश्वरन (Major Ramaswamy Parameswaran) ने दुश्मन को किया ढेर

25 नवंबर 1987 को ‘ऑपरेशन पवन’ के दौरान जब महार रेजिमेंट की आठवीं बटालियन के मेजर रामास्वामी परमेश्वरन (Major Ramaswamy Parameswaran) श्रीलंका में एक तलाशी अभियान से लौट रहे थे तब उनके सैन्य दल पर आतंकवादियों के समूह द्वारा घात लगाकर आक्रमण किया गया। धैर्य और सूझ-बूझ से उन्होंने आतंकवादियों को पीछे से घेरा और उन पर हमला कर दिया जिससे आतंकी पूरी तरह से स्तब्ध रह गए।

आमने-सामने के लड़ाई में एक आतंकवादी ने उनके सीने में गोली मार दी। निडर होकर मेजर परमेश्वरन ने आतंकवादी से राइफल छीन ली और उसे मौत के घाट उतार दिया। गंभीर रूप से घायल अवस्था में भी परमेश्वरन (Major Ramaswamy Parameswaran) निरंतर ऑर्डर देते रहे और अपनी अंतिम सांस तक अपने साथियों को प्रेरित करते रहे।

उनकी इस वीरतापूर्ण कार्रवाई के परिणाम स्वरूप पांच आतंकवादी मारे गए और भारी मात्रा में हथियार और गोला बारूद बरामद किए गए। मेजर रामास्वामी परमेश्वरन ने असाधारण शौर्य और प्रेरक नेतृत्व का प्रदर्शन करते हुए सर्वोच्च बलिदान दिया जिसके लिए मेजर रामास्वामी परमेश्वरन को मरणोपरांत सेना के सर्वोच्च सम्मान ‘परमवीर चक्र’ से सम्मानित किया गया।

बता दें कि परमेश्वरन (Major Ramaswamy Parameswaran) का जन्म 13 सितंबर 1946 को बम्बई में हुआ था। उनके सैन्‍य जीवन की शुरुआत 16 जनवरी 1972 को महार रेजिमेंट से हुई थी। उन्होंने मिजोरम और त्रिपुरा में युद्ध में भाग लिया था। वह अपने स्वभाव में अनुशासन और सहनशीलता की वजह से भी बहुत लोकप्रिय अधिकारी थे और उन्हें उनके साथी ‘पेरी साहब’ कहा करते थे।

 

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