Captain Sandeep Shankla: जांबाजी की वह दास्तां जो बन गई मिसाल, आज ही के दिन हुई थी शहादत
कैप्टन संदीप सांखला (Captain Sandeep Shankla) 8 अगस्त, 1991 को जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा के जफरखान गांव में आतंकवादियों (Terrorists) से लोहा लेते हुए देश के लिए शहीद हो गए थे।
1967 में चीनी सेना के 400 जवान Indian Army ने कर दिए थे ढेर, तोपों से उड़ा दिया था सबकुछ!
युद्ध की वजह थी नाथू ला में भारतीय सीमा से सटे इलाके में चीनी द्वारा गड्ढों की खुदाई। चीनी सैनिकों ने नाथू ला में सेना की चौकियों पर हमला कर दिया था।
1971 का युद्ध: गंगासागर में भारत-पाक की लड़ाई और 14 गार्डस रेजिमेंट का कहर, जानें पूरी कहानी
Indian Army ने योजनाबद्ध तरीके से 3 दिसंबर, 1971 की सुबह कार्रवाई शुरू की। भारी गोलाबारी के बीच, बंकरों को ध्वस्त करते हुए, वे अपने लक्ष्य की ओर आगे बढ़ते चले गए।
1971 की लड़ाई में एयरफोर्स के इस अफसर ने छुड़ाए थे PAK के छक्के, बहादुरी के लिए मिला था ‘परमवीर चक्र’
14 दिसंबर 1971 को श्रीनगर एयरफील्ड पर दुश्मन के 6 सेबर एयरक्राफ्ट ने हमला कर दिया था। सेखों उस समय ड्यूटी के लिए तैयार थे।
…जब 1967 में नाथु ला दर्रे पर हुआ टकराव, भारत माता के वीरों ने चीनी सैनिकों को भगा-भगाकर मारा
नाथु ला विवाद का केंद्र इसलिए है क्योंकि 1965 के भारत और पाकिस्तान के युद्ध के दौरान चीन ने इस इलाके को खाली करने के लिए बोला था लेकिन भारतीय सेना वहां से पीछे नहीं हटी थी।
पाकिस्तानी कबायली 1947 में कश्मीर हड़पने के लिए करते थे घुसपैठ और हमले, जानें कौन थे ये
1947-48 के युद्ध के बाद जम्मू-कश्मीर के दो तिहाई हिस्सा भारत में ही रहा जबकि एक तिहाई हिस्से पर आज भी पाकिस्तान का कब्जा है।
हाथ में बम लेकर PAK बंकरों पर कूद पड़े थे एक्का, ‘परमवीर चक्र’ से हुए थे सम्मानित, जानें पूरी कहानी
जंग में वे और उनके 14 गार्ड्स रेजिमेंट के साथियों ने अगरतला को पाक के हमलों से बचाया था। गंगासागर स्टेशन के पास इस जंग में दुश्मनों की कमर तोड़कर रख दी थी।
1971 का युद्ध: …जब भारतीय जवान ने पत्र लिखकर दुश्मन देश के सैनिक को मरणोपरांत दिलवाया था सैन्य सम्मान!
रजा इस युद्ध में सबसे आगे होकर लड़ रहे थे। भारतीय सेना ने मुंहतोड़ जवाब देते हुए पाकिस्तान के 250 से अधिक सैनिक मार गिराए। 17 दिसंबर की रात युद्ध खत्म हुआ।
…जब हार के बावजूद Pak ने कश्मीर से अपने सैनिकों को निकालने से कर दिया इनकार, जानें पूरी कहानी
युद्धविराम पर सहमत होने के बाद दुश्मन देश ने अपने सैनिकों को निकालने से इनकार कर दिया नतीजन कश्मीर दो भागों में विभाजित हो गया।
1971 की जंग: …जब भारत ने पाकिस्तान के पूर्वी हिस्से पर कब्जा किया, जानें पूरा घटनाक्रम
साल 1971 भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश के लिए बेहद अहम था। 1971 में पूर्वी पाकिस्तान में आजादी का आंदोलन दिन ब दिन तेज होता जा रहा था।
1962 में भारत की हार की ये थी वजह! जानें क्यों चीनी सैनिकों को हरा नहीं पाए हमारे जवान
हथियार भी उतने एडवांस नहीं थे जितना चीनी सैनिकों के पास थे। हालांकि इस युद्ध में सेना के कई जवानों ने हैंड टू हैंड फाइट कर कई चीनी सैनिकों को ढेर किया था।
माइनस 30 डिग्री में भी पाक सेना को कर दिया तहस-नहस, जानें ‘परमवीर चक्र’ विजेता बाना सिंह की कहानी
दुश्मनों ने 6500 मीटर की ऊंचाई पर स्थिति चोटिंयों पर कब्जा जमा लिया था। ग्लेशियर पर बर्फं ने पाकिस्तानी घुसपैठियों की स्थिति को बेहद मजबूत कर दिया था।
ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान को जिन्ना ने दिया था आर्मी चीफ पद का ऑफर, फिर मिला ये जवाब
बंटवारे के वक्त ब्रिटिश इंडिया सैन्य टुकड़ियों को भी भारत-पाक के बीच बांटा जा रहा था। ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान भीड़ में शामिल नहीं हुए।
भारतीय सेना के इस राइफलमैन ने अकेले ही 300 सैनिकों को कर दिया था ढेर, जानें वीरता की कहानी
चीनी सेना के हमले में गढ़वाल राइफल्स की चौथी बटालियन के ज्यादातर जवान शहीद हो गए थे। जसवंत सिंह अकेले ही 10 हजार फीट ऊंची अपनी पोस्ट डटे हुए थे।
आजादी के बाद हर युद्ध में गोरखा रजिमेंट ने लिया हिस्सा! जानें ट्रेनिंग से लेकर खुखरी तक हर खासियतें
भारतीय सेना में गोरखा सैनिकों के भर्ती को लेकर नेपाल से समझौता किया हुआ है। इसी के तहत गोरखाओं की भर्ती आर्मी में होती है।
1965 की जंग: भारतीय सेना लाहौर तक कर सकती थी कब्जा, इस वजह से हटी थी पीछे
लड़ाई में भारतीय सेना लाहौर तक पहुंच चुकी थी लेकिन बॉर्डर पर ही रुक गई। सेना चाहती तो पाकिस्तानी के कई इलाकों पर कब्जा कर सकती थी लेकिन ऐसा नहीं किया गया।
पाकिस्तान की ओर से हुई गोलीबारी में 22 साल का जवान शहीद, कुछ समय पहले तय हुई थी सगाई
22 साल के बेटे को तिरंगे में लिपटा देख पिता अपने आंसू नहीं रोक सके। उधर उनकी मां समेत पूरे परिवार का रो रो कर बहुत बुरा हाल हो गया था।