1948 में कश्मीर के तिथवाल में लंबे समय तक चली थी भीषण लड़ाई, युद्ध में सेना ने ऐसे किया था पाक सेना का सफाया

दुश्मनों को खदेड़ना भारतीय सेना के लिए बड़ी चुनौती थी। इस युद्ध के दौरान जम्मू-कश्मीर स्थित तिथवाल क्षेत्र में लंबे समय तक एक भीषण लड़ाई लड़ी गई।

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भारतीय सेना के जवान। (फाइल फोटो)

कश्मीर से दुश्मनों को खदेड़ना भारतीय सेना के लिए बड़ी चुनौती थी जिसे बखूबी निभाया गया। इस युद्ध के दौरान जम्मू-कश्मीर स्थित तिथवाल क्षेत्र में लंबे समय तक एक भीषण लड़ाई लड़ी गई।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1948 के दौरान पहला युद्ध लड़ा गया था। युद्ध के पीछ कश्मीर सबसे बड़ी वजह था। पाकिस्तान चाहता था कि कश्मीर उसका हो जाए जबकि कश्मीर के तत्कालीन राजा हरि सिंह ने भारत में शामिल होने का फैसला किया था। इस वजह से युद्ध में दोनों देश आमने-सामने खड़े हुए। पाकिस्तान ने भारत के सामरिक रूप से महत्वपूर्ण इलाकों पर कब्जा कर लिया था। पाकिस्तान ने इसके लिए सेना के साथ-साथ पाकिस्तान समर्थित कबाइलियों की भी मदद ली थी।

कश्मीर से दुश्मनों को खदेड़ना भारतीय सेना के लिए बड़ी चुनौती थी जिसे बखूबी निभाया गया। इस युद्ध के दौरान जम्मू-कश्मीर स्थित तिथवाल क्षेत्र में लंबे समय तक एक भीषण लड़ाई लड़ी गई। युद्ध के शुरुआत में पाकिस्तान समर्थित कबाइलियों ने सीमा पार कर सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण तिथवाल पर कब्जा कर लिया था। इस क्षेत्र पर अधिकार के लिए इसके बाद भारत और पाकिस्तान की सेनाओं के बीच काफी संघर्ष चला।

पाकिस्तानी आक्रमणकारियों का मुख्य उद्देश्य तिथवाल क्षेत्र में भारतीय सेना के कब्जे में स्थित रीछमार गली और नस्ताचुन दर्रे पर कब्जा जमाना था। 13 अक्टूबर 1948 को दुश्मन देश की सेना ने भारतीय सेना के कब्जे में इन पोस्टों पर फिर से जबरदस्त हमला बोल दिया था।

हमारे देश के वीर सैनिकों ने अदम्य साहस और वीरता का परिचय देते हुए, दुश्मन के नापाक मंसूबों को विफल कर बड़ी संख्या में सैनिकों को हताहत कर दिया था। भारतीय सैनिकों ने दृढ़निश्चय और इच्छा शक्ति का प्रदर्शन कर तिथवाल की पोस्टों पर अपना कब्जा बनाए रखा। इस भित्ति चित्र में 6 राजपूताना राईफल्स के सैनिक, शत्रु के साथ आमने-सामने की लड़ाई करते देखे जा सकते हैं।

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