गोरखा रेजीमेंट की खुखरी और शौर्य देख कांप उठे थे पाक सेना के जवान, कारगिल में ऐसे बजाया था डंका
भारतीय फील्ड मार्शल रहे सैम मनेकशॉ ने कहा था कि 'अगर कोई यह कहता है कि उसे मरने से डर नहीं लगता तो या तो वह शख्स झूठ बोल रहा है या फिर वह एक गोरखा है।'
कारगिल युद्ध का वीर सपूत जिसने हथियार खत्म होने के बाद भी दुश्मनों का डटकर किया था मुकाबला
युद्ध में दुश्मनों से लड़ते वक्त हथियार खत्म हो गए लेकिन देश के लिए कुछ कर गुजरने की दृढ़ इच्छा ने उन्हें पीछे हटने नहीं दिया और वह आगे बढ़ते रहे।
कारगिल विजय: मेरठ से भेजी गई थी सेना की ये खास रेजीमेंट, शौर्य की गाथा सुन सीना हो जाएगा गर्व से चौड़ा
जंग में मेरठ के रणबांकुरों ने भी अद्भुत पराक्रम का परिचय दिया था। मेरठ से सेना की दो रेजीमेंट खास तौर पर कारगिल हिल पर कब्जा करने के लिए रवाना की गईं।
Kargil Vijay Diwas: “जमाने भर में मिलते हैं आशिक कई‚ मगर वतन से खूबसूरत कोई सनम नहीं होता”
कारगिल में शहीद हुए जवानों की शहादत को कोई नहीं भुला सकता। संपूर्ण कृतज्ञ राष्ट्र असंख्य वीर शहीदों का हमेशा ऋणी रहेगा‚ जिन्होंने कारगिल की लड़ाई (Kargil War) में अपने अतुल्य साहस का प्रदर्शन करते हुए देश की एकता एवं अखंडता की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया।
कारगिल युद्ध: अकेले ही दुश्मनों से भिड़ गया था भारतीय सेना का ये जवान, आज भी दी जाती है मिसाल
कौशल को लगा कि दुश्मन उनकी टीम को वहां से बेदखल करना चाहता है। वह खुद की चिंता किए बगैर आमने-सामने भिड़ गए।
दुश्मनों को धूल चटाने वाली भारतीय सेना का एक दूसरा चेहरा भी है! क्या जानते हैं आप?
Indian Army: फिल्मों में भी दिखाया जाता है कि जवानों के हाथों में हथियार होता है, वो गोला-बारूद के बीच रहते हैं, आतंकवाद और देश के बाहरी दुश्मनों से लड़ते हैं। लेकिन सेना का एक दूसरा चेहरा भी है, जो फिल्मों में दिखाई जाने वाली सेना से बहुत अलग है।
भारत और पाक के बीच 1972 में क्यों हुआ था शिमला समझौता? कारगिल से भी जुड़ा है कनेक्शन
भारत ने समझौते के तहत सेना को पीछे बुला लिया पर पाक ने ऐसा नहीं किया। पाकिस्तानी सेना के 5 हजार जवानों ने कारगिल की महत्वपूर्ण पोस्टों पर कब्जा कर लिया।
कारगिल पर कब्जा करने की नापाक कोशिश में PAK ने रची थी ये साजिश, सेना ने ऐसे सिखाया था सबक
सेना ने एक के बाद एक ऑपरेशन लॉन्च कर पाक सेना के कब्जे वाली पोस्ट पर फतह हासिल कर तिरंगा लहराया और पाकिस्तानियों को कारगिल से ही खदेड़ दिया गया।
कारगिल युद्ध में 527 जवान हो गए थे शहीद, पाकिस्तान को हर मोर्चे पर फेल कर दी कुर्बानी
युद्ध में भारत के 1300 से ज्यादा जवान घायल हुए थे। पाक सेना को भारत से कहीं ज्यादा नुकसान हुआ। उसने अपने सैनिकों की लाशें लेने से भी इनकार कर दिया था।
गलवान घाटी: फौलादी इरादों के साथ डटी हुई है भारतीय सेना, इस चुनौती से हो सकता है सामना
सर्दियों का समय आने को है और ठंड में गलवान घाटी का तापमान शून्य से 20 से 30 डिग्री नीचे चला जाता है। इस समय सैनिकों को तमाम मुश्किलों से गुजरना पड़ता है।
कारगिल: 3 तरफ से घिरे होने के बाद भी इस भारतीय वीर ने पाकिस्तान को सिखाया था सबक
क्या आपने कभी कल्पना भी की है, क्या मंजर होता होगा युद्ध के मैदान में। भारत-पाक सीमा के सबसे खतरनाक चेक पोस्ट पर तैनात महेंद्र प्रताप सिंह राणा ने इस युद्ध के संघर्ष की कहानी के बारे में मीडिया से बात की।
कारगिल युद्ध का ‘हीरो’ था मिग-27 विमान, पायलटों की पत्नियों ने दिया था ये खास नाम
युद्ध के दौरान इंडियन एयर फोर्स ने दुश्मनों का सफाया करने के लिए ऑपरेशन 'सफेद सागर' चलाया था। उस दौरान मिग-27 के अलावा मिग 21 का भी इस्तेमाल किया गया था।
कारगिल युद्ध: नागा रेजीमेंट के अशुली माओ आज ही के दिन हुए थे शहीद, मरणोपरांत ‘वीर चक्र’ से किए गए सम्मानित, जानें स्टोरी
'ऑपरेशन विजय' के दौरान, सिपाही अशुली माओ नागा रेजीमेंट का हिस्सा था, जिसने द्रास सेक्टर में स्थित 'ब्लैक टूथ' पर हमला किया था।
लांस नायक मोहिंदर सिंह: उग्रवादियों के मशीन गन का मुंह हाथ से दबोच लिया, वीर जवान की अमरगाथा
16 सिख की दो कंपनियों ने तय किया कि वो LTTE के ठिकानों पर दो तरफ से हमला करेंगे। ब्रावो कंपनी की एक प्लाटून ने LTTE के ठिकाने पर पश्चिम दिशा की तरफ से पहुंची लेकिन उग्रवादियों ने उन पर भीषण फायरिंग शुरू कर दी।
कारगिल युद्ध: पिता की चिट्ठी मिली तो रोम-रोम देश पर मर-मिटने के जज्बे से भर उठा, जांबाज जवान राजेश ढ़ुल की कहानी
हवलदार के पद से रिटायर हुए सैनिक राजेश ढुल ने कारगिल की लड़ाई में दुश्मन से लोहा लिया था। उन्होंने बताया कि युद्ध के दौरान उनका काम माइंस बिछाने का था।
INDIAN ARMY की इस खास ट्रिक से मिली थी कारगिल युद्ध में विजय, PAK के उड़ गए थे होश
परमवीर चक्र विजेता सूबेदार संजय कुमार ने बताया कि मुश्किल हालात से निपटने के लिए सेना ने युद्ध में एक खास ट्रिक 'साइलेंट मूवमेंट' का इस्तेमाल किया था।
मेजर रामास्वामी परमेश्वरन: गोली लगने के बावजूद दुश्मनों को किया ढेर, मरणोपरांत मिला था ‘परमवीर चक्र’, जानें पूरी कहानी
25 नवंबर 1987 को 'ऑपरेशन पवन' के दौरान जब महार रेजिमेंट की आठवीं बटालियन के मेजर रामास्वामी परमेश्वरन श्रीलंका में एक तलाशी अभियान से लौट रहे थे।