सच के सिपाही

शहीद के पिता ने कहा, 'मैं खुद सीआरपीएफ से रिटायर्ड हूं और मुझे अपने बेटे की शहादत पर गर्व है। वह अमर रहेगा। अगर मेरे और भी बेटे होते तो मैं उनको भी देश की सेवा में ही लगाता।'

Captain Vikram Batra: एक ऑपरेशन की सफलता के बाद पाकिस्तानियों के खिलाफ दूसरे ऑपरेशन में छाती पर गोली खाकर शहीद होने वाले बत्रा को सरकार ने सर्वोच्च वीरता पुरस्कार परमवीर चक्र से सम्मानित किया है।

सेना के जवानों ने सबसे पहला हमला पाकिस्तानी सीमा में घुसकर उरी सेक्टर पर किया था। दुश्मन को घुटनों पर लाने के लिए उन्हें दुश्मनों की पोस्ट और रसद भंडार को खाक करने की जिम्मेदारी दी गई थी जो कि उरी के पास स्थित था।

हर साल फरवरी महीने में ठंड के चलते कारगिल क्षेत्र में दोनों देशों की सेनाएं आपसी सहमति पीछे हट जाती हैं लेकिन तत्कालीन पाक सेना के जनरल परवेज मुशर्रफ ने सैनिकों को कारगिल के सामरिक रूप से महत्वपूर्ण इलाकों में भेजकर कब्जा करवा दिया था।

1999 में जब करगिल युद्ध (भारत-पाकिस्तान) छिड़ गया था और थापर इस जंग में देश के लिए कुर्बानी देने वाले सबसे कमउम्र जांबाज थे। 26 दिसंबर 1976 को जन्मे विजयंत सैनिकों के परिवार से आते थे।

कारगिल युद्ध (Kargil War) को हर साल 26 जुलाई के दिन विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भारतीय सेना ने पाकिस्तानी को कारगिल में हराकर अपना पराक्रम दिखाया था। पूरा देश एकबार फिर कारगिल दिवस के लिए तैयारी शुरू कर रहा है।

युद्ध में दोनों देशों के सैनिक शहीद होते हैं लेकिन हारने वाले के ज्यादा सैनिक और जीतने वाले के कम। ऐसा ही अमूमन देखने को मिलता रहा है। कारगिल के शहीदों का जिक्र हो तो उत्तर प्रदेश के सरसावा के चार जांबाजों के प्राणों की आहुति को कभी नहीं भुलाया जा सकता।

सेना के पास जितने ज्यादा मजबूत और मॉर्डन हथियार होंगे दुश्मन उतना ही कमजोर नजर आएगा। कारगिल में भी भारतीय सेनाओं के हथियारों ने अपनी ऐसी छाप छोड़ी जिसको याद कर आज भी पाकिस्तान थर-थर कांप उठता है।

जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) के सांभा बॉर्डर पर देश की रक्षा करते हुए हरियाणा के फतेहबाद के जवान शहीद हुए हैं। जिले के टोहाना के समैन गांव के रहने वाले ओमप्रकाश सीमा पर शहीद हो गए।

कारगिल युद्ध, को ऑपरेशन विजय के नाम से भी जाना जाता है। ये युद्ध भारत और पाकिस्तान के बीच मई और जुलाई 1999 के बीच लड़ा गया। भारत-पाक सीमा से सटे कारगिल क्षेत्रों में सर्दियों कड़ाके की ठंड पड़ती है।

कारगिल युद्ध में सेना को लीड करने वाले कई अधिकारियों ने कई मौकों पर कहा है कि भारतीय वायुसेना के हवाई हमले से दुश्मन का मनोबल टूटा था। वायुसेना ने 32 हजार फीट की ऊंचाई से जम्मू कश्मीर के द्रास-कारगिल इलाके में टाइगर हिल पर एयर पावर का इस्तेमाल किया था।

कारगिल युद्ध के दौरान सौरभ कालिया 22 दिनों तक पाकिस्तान सेना की कैद में रहे और 9 जून 1999 को पाकिस्तानी सेना द्वारा उनके शव सौंपा गया। उन्हें सिगरेट से जलाया गया था और उनके कानों में लोहे की सुलगती छड़ें घुसेड़ी गई थीं।

पलानी (Havaldar K. Palani) हमेशा ही कर्नल संतोष बाबू के साथ पेट्रोलिंग में जाया करते थे। वह उन्हें सुरक्षा कवच देते थे। उस रात भी पलानी संतोष बाबू के साथ कवच बनकर चले, लेकिन भारी भरकम दुश्मनों के हमले से उन्हें बचा नहीं पाए।

Captain Manoj Pandey: कारगिल युद्ध के दौरान कैप्टन पांडेय ने अपने मित्र पवन कुमार मिश्रा को एक खत लिखा था। अपने दोस्त को लिखा वह उनका आखिरी खत था। पवन कुमार मिश्रा ने बाद में उनके एक जीवन पर एक किताब लिखी, जिसका नाम है– 'हीरो ऑफ बटालिक', कारगिल युद्ध 1999।

गुंजन सक्सेना: 1999 में गुंजन की पोस्टिंग 132 फॉरवर्ड एरिया कंट्रोल में की गई थी। उनकी उम्र तब मात्र 25 वर्ष थी। 1975 में जन्मीं गुंजन पायलटों के दल में एकमात्र महिला थीं।

युद्ध के दौरान वह सेक्टर द्रास की टाइगर हिल पर लहूलुहान पड़े थे। चारों तरफ से दुश्मन पाकिस्तान की गोलियां बरस रही थीं। 17 गोलियां शरीर में लग चुकी थीं, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी जिस वजह से शरीर ने भी उनका साथ दिया।

बात फरवरी की है जब एलओसी पर मौजूद कारगिल की ऊंची पहाड़ियों पर कड़ाके की ठंड पड़ती है। दोनों देशों की सेनाएं इस दौरान पीछे हट जाती हैं। लेकिन सेना के जनरल परवेज मुशर्रफ ने पाकिस्तानी सेना को पीछे हटने की बजाय कारगिल में आगे बढ़ने के लिए कह दिया।

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