कारगिल ‘हीरो’ कर्नल जेके चौरसिया, पाक सेना के हथियारों का जखीरा पलभर में कर दिया था खाक

सेना के जवानों ने सबसे पहला हमला पाकिस्तानी सीमा में घुसकर उरी सेक्टर पर किया था। दुश्मन को घुटनों पर लाने के लिए उन्हें दुश्मनों की पोस्ट और रसद भंडार को खाक करने की जिम्मेदारी दी गई थी जो कि उरी के पास स्थित था।

कर्नल जेके चौरसिया।

सेना के जवानों ने सबसे पहला हमला पाकिस्तानी सीमा में घुसकर उरी सेक्टर पर किया था। दुश्मन को घुटनों पर लाने के लिए उन्हें दुश्मनों की पोस्ट और रसद भंडार को खाक करने की जिम्मेदारी दी गई थी जो कि उरी के पास स्थित था।

कारगिल की लड़ाई दुनिया की सबसे ऊंचाई पर लड़ा गया युद्ध था। 1999 में लड़े गए इस युद्ध में पाकिस्तान के धोखे का भारत ने ऐसा जवाब दिया जिसे याद कर दुश्मन देश आज भी कांप उठता है। पाकिस्तान को हार का मुंह हमारे देश के वीर जवानों और शहीदों की वजह से देखना पड़ा। शहीदों ने दुश्मन को खुली चुनौती और नुकसान पहुंचाते हुए देश के लिए कुर्बानी दी। वहीं कुछ जवान ऐसे थे जिन्होंने दुश्मन को नुकसान पहुंचाया लेकिन दुश्मन उनका कुछ बिगाड़ न सका।

इन्हीं में से एक हैं कर्नल जेके चौरसिया। कर्नल चौरसिया उस दौरान 16 मराठा लाइट रेजिमेंट की कमान संभाल रहे थे। उन्होंने पाक फौज के हथियारों का जखीरा पलभर में खाक कर दिया था। सेना के जवानों ने सबसे पहला हमला पाकिस्तानी सीमा में घुसकर उरी सेक्टर पर किया था। दुश्मन को घुटनों पर लाने के लिए उन्हें दुश्मनों की पोस्ट और रसद भंडार को खाक करने की जिम्मेदारी दी गई थी जो कि उरी के पास स्थित था।

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दुश्मनों की पोस्ट और रसद भंडार को खाक करने के लिए सर्जिकल स्ट्राइक जैसी प्लानिंग की गई। उनके नेतृत्व में सेना के जवानों ने रात के अंधेरे में ही पाकिस्तानी सीमा में करीब 800 मीटर घुसकर हथियार और रसद भंडार उड़ाने के साथ ही कई पोस्ट तबाह करके टाइगर हिल पर फतह का रास्ता साफ किया था।

उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान ने 1999 में भारत को धोखा दिया था। शिमला समझौते के तहत भारत-पाक के बीच 1972 में एग्रीमेंट हुआ था। पर तत्कालीन पाक सेना के जनरल परवेज मुशर्रफ ने सैनिकों को कारगिल के सामरिक रूप से महत्वपूर्ण इलाकों में भेजकर कब्जा करवा दिया था।

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