कारगिल के हीरो कैप्टन विजयंत थापर ने ऐसे की थी पाक सेना की धुलाई, सेना में शामिल हुए 6 महीने ही हुए थे

1999 में जब करगिल युद्ध (भारत-पाकिस्तान) छिड़ गया था और थापर इस जंग में देश के लिए कुर्बानी देने वाले सबसे कमउम्र जांबाज थे। 26 दिसंबर 1976 को जन्मे विजयंत सैनिकों के परिवार से आते थे।

Captain Vijayant Thapar

शहीद कैप्टन विजयंत थापर।

कारगिल युद्ध में भारत की जीत को 20 से ज्यादा साल हो गए हैं। 26 जुलाई को एकबार फिर कारगिल फतह करने पर हर साल की तरह इसबार भी कारगिल विजय दिवस मनाया जाएगा। कारगिल का नाम सुनते ही भारतीय जवानों के बहादुरी के किस्से सामने आते हैं। इस युद्ध में भारत के कई युवा सैनिकों ने अपनी जान की बाजी लगाकर देश को जीत दिलाई थी।

हम आपको एक ऐसे ही शहीद सैनिक के बारे में बता रहे हैं जिन्हें सेना में शामिल हुए महज 6 महीने ही हुए थे और उन्हें युद्ध क मैदान में जाना पड़ गया था। इस शहीद का नाम है सेना में शामिल हुए 6 महीने ही हुए थे कैप्टन विजयंत थापर। 1999 में जब करगिल युद्ध (भारत-पाकिस्तान) छिड़ गया था और थापर इस जंग में देश के लिए कुर्बानी देने वाले सबसे कमउम्र जांबाज थे। 26 दिसंबर 1976 को जन्मे विजयंत सैनिकों के परिवार से आते थे।

कारगिल फतह के लिए भारतीय सेना ने कई ऑपरेशन लॉन्च किए जिन्हें अलग-अलग नाम दिया गया था। इनमें से एक ऑपरेशन नोल एंड लोन हिल पर ‘थ्री पिम्पल्स’ नाम से भी था। इस ऑपरेशन में थापर को पाकिस्तानियों को खदेड़ने की जिम्मेदारी मिली थी। ये ऑपरेशन पूरी तरह से सफल रहा लेकिन भारत ने अपने वीर सपूत को खो दिया। 

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बता दें कि इससे पहले उन्होंने अपने साथियों के साथ लेह श्रीनगर राजमर्ग पर स्थित तोलोलिंग पर पाकिस्तानियों सैनिकों को खदेड़ा था। उन्होंने तोलोलिंग पर तिरंगा फहराया था। इस युद्ध में पाकिस्तान के करीब 500 से ज्यादा सैनिक मौत के घाट उतार दिए गए।

पाकिस्तानी सेना भारत प्रशासित कश्मीर में पहाड़ की कुछ चोटियों पर कब्जा करने की फिराक में थी लेकिन उसके मंसूबों पर पानी फेर दिया गया। शहीद होने से पहले उन्होंने एक खत लिथा था जिसमें उन्होंने कहा था कि शहीद होने के बाद अगले जन्म में भी मैं सेना में भर्ती होकर देश सेवा करना चाहूंगा।

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