कारगिल युद्ध: एक चरवाहे ने दी थी पाक सेना के घुसपैठ की जानकारी, इंडियन आर्मी ने ऐसे हासिल की जीत

कारगिल युद्ध, को ऑपरेशन विजय के नाम से भी जाना जाता है। ये युद्ध भारत और पाकिस्तान के बीच मई और जुलाई 1999 के बीच लड़ा गया। भारत-पाक सीमा से सटे कारगिल क्षेत्रों में सर्दियों कड़ाके की ठंड पड़ती है।

Kargil War कारगिल विजय दिवस

'26 जुलाई' हर वर्ष कारगिल दिवस के रूप में मनाया जाता है।

Kargil 1999: कारगिल युद्ध से पहले पाकिस्तान और भारत के संबंध मधूर हो रहे थे। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और पाकिस्तान के पीएम नवाज शरीफ लगातार बातचीत करते थे। संबंधों का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि 19 फरवरी, 1999 को तत्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी अपने मंत्रिमंडल के सहयोगियों, सांसदों, लेखकों, कलाकारों को लेकर बस से लाहौर पहुंचे थे।

कारगिल युद्ध, को ऑपरेशन विजय के नाम से भी जाना जाता है। ये युद्ध भारत और पाकिस्तान के बीच मई और जुलाई 1999 के बीच लड़ा गया। भारत-पाक सीमा से सटे कारगिल क्षेत्रों में सर्दियों कड़ाके की ठंड पड़ती है। दोनों देश हमेशा की तरह इस दौरान अपनी सेनाएं पीछे हटा लेते हैं। पर 1999 में भारत ने तो ऐसा किया पर पाकिस्तान ने ऐसा नहीं किया।

पाकिस्तान ने कारगिल के सामरिक रूप से महत्वपूर्ण जगहों पर कब्जा कर लिया। भारतीय सेना तो इस दौरान पीछे हट गई थीं लेकिन पाक घुसपैठ की जानकारी एक चरवाहे ने भारतीय सेना को दी थी। चरवाहे ने बताया था कि पाकिस्तानी सेना भारी संख्या में कारगिल में घुस चुकी है। दरअसल चरवाहा अपने खोए हुए यार्क को तलाश रहा था इसी दौरान उसने पाक सेना को देखा था।

जैसे ही ये सूचना सेना को मिली भारत ने अपना पराक्रम दिखाया। हालांकि बातचीत की कोशिश भी की गई लेकिन युद्ध से पहले भारतीय सैनिकों को बर्बरता के साथ मारा जाने लगा। जिसके बाद भारत का खून खौल उठा और एक के बाद एक ऑपरेशन कर पाक सैनिकों को ढेर कर कब्जे वाले इलाकों को अपने पास ले लिया गया।

भारत के लिए ये युद्ध लड़ना बेहद मुश्किल था क्योंकि पाकिस्तानी सेना ऊंचाई पर थी जबकि भारतीय सेना को चढ़ाई करते हुए पाकिस्तानी पोस्ट में जाकर सैनिकों को ढेर करना था। लेकिन भारतीय सैनिकों की शहादत के बावजूद पाकिस्तान के कब्जे वाले इलाकों को उनसे छीन लिया गया।

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