कारगिल युद्ध: अकेले ही दुश्मनों से भिड़ गया था भारतीय सेना का ये जवान, आज भी दी जाती है मिसाल

कौशल को लगा कि दुश्मन उनकी टीम को वहां से बेदखल करना चाहता है। वह खुद की चिंता किए बगैर आमने-सामने भिड़ गए।

Kargil Vijay Diwas

वीर कौशल यादव

भारत को वीरों की भूमि कहा गया है। यहां के जवानों ने कारगिल युद्ध (Kargil War) में अपनी शहादत देकर मातृभूमि की रक्षा की थी। आज हम आपको भारत माता के सपूत कौशल यादव के बारे में बताएंगे।

छत्तीसगढ़ के भिलाई में जन्मे स्क्वाड कमांडर नायक कौशल यादव 25 जुलाई 1999 को भारत-पाकिस्तान (Pakistan) युद्ध के दौरान शहीद हो गए थे। टीम के स्क्वाड कमांडर कौशल यादव को “ऑपरेशन विजय” के अंतर्गत जूलु टॉप पर कब्जा करने की जिम्मेदारी दी गई थी। 5100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित जूलु टॉप का रास्ता आड़ा तिरछा होने की वजह से वहां तक पहुंच पाना आसान काम नहीं था। वहां का तापमान भी शून्य से 15 डिग्री नीचे था, चारों तरफ दुश्मनों द्वारा बनाई बारूदी सुरंगें थीं।

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कौशल की टीम के सभी सिपाही जूलु टॉप कॉम्प्लेक्स पर थे। कौशल ने अपनी पर्वतारोहण की तकनीकों का उपयोग करके वहां रो फिक्स किया था। सुबह के पांच बजे दुश्मनों ने इनकी टीम के 25 जवानों पर ऑटोमेटिक बंदूकों से ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी।

कौशल को लगा कि दुश्मन उनकी टीम को वहां से बेदखल करना चाहता है। वह खुद की चिंता किए बगैर आमने-सामने भिड़ गए। दोनों तरफ से लगातार गोलियां चल रही थीं। कौशल के हौसले बुलंद थे, वह ग्रेनेड लेकर आगे बढ़े। उनकी इस वीरता को देख दुश्मनों के पसीने छूट गए।

कौशल ने पांच दुश्मनों को मार गिराया। इसी बीच दुश्मन की एक गोली कौशल के कंधे पर लगी और भारत मां का यह वीर सपूत देश रक्षा में शहीद हो गया। स्क्वाड कमांडर नायक कौशल यादव को उनकी इस वीरता, साहस और बलिदान के लिए मरणोपरांत वीर चक्र से सम्मानित किया गया।

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