दुश्मनों को धूल चटाने वाली भारतीय सेना का एक दूसरा चेहरा भी है! क्या जानते हैं आप?

Indian Army: फिल्मों में भी दिखाया जाता है कि जवानों के हाथों में हथियार होता है, वो गोला-बारूद के बीच रहते हैं, आतंकवाद और देश के बाहरी दुश्मनों से लड़ते हैं। लेकिन सेना का एक दूसरा चेहरा भी है, जो फिल्मों में दिखाई जाने वाली सेना से बहुत अलग है।

Indian Army

File Photo

हम अपने मन में भारतीय सेना (Indian Army) और सेना के जवानों की रफ एंड टफ वाली छवि बना कर रखते हैं। फिल्मों में भी दिखाया जाता है कि जवानों के हाथों में हथियार होता है, वो गोला-बारूद के बीच रहते हैं, आतंकवाद और देश के बाहरी दुश्मनों से लड़ते हैं। लेकिन सेना का एक दूसरा चेहरा भी है, जो फिल्मों में दिखाई जाने वाली सेना से बहुत अलग है।

सेना के पास भी एक नरम दिल है और वह लोगों के तमाम ऐसे काम करती है जिसके बारे में आम जनता को पता नहीं चलता। आज हम बात करेंगे सेना के द्वारा किए गए ऐसे ही कुछ काम के बारे में। वैसे तो सेना सालों से आम लोगों के लिए नेक काम करती आई है लेकिन, साल 2014 में जम्मू-कश्मीर में भीषण बाढ़ (Jammu Kashmir Floods 2014) के दौरान सेना के जवान वहां के लोगों के लिए संकट मोचक बनकर सामने आए थे।

भारत और पाक के बीच 1972 में क्यों हुआ था शिमला समझौता? कारगिल से भी जुड़ा है कनेक्शन

बाढ़ के दौरान सेना (Indian Army) के जवानों ने अपनी जान पर खेलकर वहां फंसे लोगों की जान बचाई थी। सिर्फ सेना के जवानों ने ही नहीं बल्कि उनके परिवारों ने भी बाढ़ पीड़ित लोगों के रहने, उनके खाने-पीने और इलाज की जिम्मेदारी उठाई थी। इतना ही नहीं, बाढ़ खत्म होने के बाद लोगों के पुनर्वास में भी सेना ने यहां पहली पंक्ति में खड़े होकर काम किया था।

Indisn Army
जम्मू-कश्मीर में बाढ़ के दौरान लोगों को सुरक्षित स्थान पर ले जाते सेना के जवान। (फाइल फोटो)

आपको शायद पता न हो, बाढ़ खत्म होने के बाद वहां जब मलबों को हटाने और सफाई की बारी आई तब इस कार्य में भी सेना के जवान सबसे आगे थे। कीचड़, बदबू, भयंकर गंदगी और शवों के बीच सेना के ऊंचे रैंक के अधिकारियों तक ने अपने हाथों से मलबों को हटाने में मदद की थी। रातों रात सेना ने वहां लोगों के लिए पुल तैयार कर दिया। कुछ ही दिनों के भीतर सेना ने उन इलाकों में बिजली, पानी, स्वास्थ्य और स्कूल जैसी सुविधाएं बहाल करवाईं।

कारगिल पर कब्जा करने की नापाक कोशिश में PAK ने रची थी ये साजिश, सेना ने ऐसे सिखाया था सबक

उस वक्त लोगों के लिए सेना (Indian Army) एक ऐसे मददगार, एक ऐसे दोस्त की तरह थी जिसने सबसे मुश्किल घड़ी से उबरने में उनका न केवल साथ दिया बल्कि उनके मनोबल को भी टूटने नहीं दिया। यह वो वक्त था, जब सेना के कंधों पर दोहरी जिम्मेदारी थी। एक तो पाकिस्तान की सीमा पर दुश्मनों और आतंकियों से देश की रक्षा करना और दूसरी, बाढ़ की भीषण तबाही से घाटी के लोगों को उबारना। उस बाढ़ ने आम कश्मीरियों और सेना के बीच एक मजबूत रिश्ता बना दिया। 

यह सिर्फ एक आपदा की कहानी है। सेना ने तो न जाने कितनी ऐसी आपदाओं में आम जनमानस की मदद की है। चाहे 2013 में उत्तरखंड में आई तबाही की बात करें, 2001 में गुजरात में आए भयावह भूकंप की बात करें या केरल और राजस्थान में आई बाढ़ की। केरल में बाढ़ की भयावहता का अंदाजा तो इसी बात से लगाया जा सकता है कि पहली बार इडुक्की बांध के पांचों गेट खोलने पड़ गए थे। ये जवान हजारों लोगों को मौत के मुंह से निकल कर लाए हैं। आप सोच सकते हैं इतनी खतरनाक स्थिति में सेना के जवान हमारे लिए ढाल बनकर खड़े रहते हैं।

Indian Army
केरल में बाढ़ के दौरान भारतीय सेना का जवान। (फाइल फोटो)

कारगिल युद्ध में 527 जवान हो गए थे शहीद, पाकिस्तान को हर मोर्चे पर फेल कर दी कुर्बानी

आपदा में तो सेना (Indian Army) लोगों की मदद के लिए तत्पर रहती ही है, इसके अलावा वर्तमान में कोरोना महामारी के मुश्किल समय में भी सेना ने अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह किया है। चीन और पाकिस्तान की सीमाओं पर तनाव और मुश्किल हालातों के बीच सेना ने कोरोना की वजह से देश भर में हुए लॉकडाउन के दौरान लोगों की हरसंभव मदद की है। लोगों कर जरूरतों के सामान और राशन के अलावा दवाईयां और स्वास्थ्य सुविधाओं को भी सेना ने लोगों तक पहुंचाया है।

सेना (Indian Army) ने कोरोना महामारी काल में बदतर होते हालातों को देखते हुए कई जगहों पर अस्पताल बनवाया, ताकि लोगों को इलाज के लिए इधर-उधर भटकना न पड़े। दिल्ली के लोगों के लिए तो सेना ने रिकॉर्ड टाइम में 1000 बेड का अस्पताल तैयार कर दिया। इसके अलावा, सेना के जवान जरूरत पड़ने पर रक्तदान करने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं। रक्तदान शिविर लगाकर सेना ने अब तक न जाने कितने ही लोगों की जिंदगियां बचाई है।

Hindi News के लिए हमारे साथ फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, यूट्यूब पर जुड़ें और डाउनलोड करें Hindi News App

यह भी पढ़ें