भारत और पाक के बीच 1972 में क्यों हुआ था शिमला समझौता? कारगिल से भी जुड़ा है कनेक्शन

भारत ने समझौते के तहत सेना को पीछे बुला लिया पर पाक ने ऐसा नहीं किया। पाकिस्तानी सेना के 5 हजार जवानों ने कारगिल की महत्वपूर्ण पोस्टों पर कब्जा कर लिया।

Kargil war

भारत ने समझौते के तहत अपनी सेना को पीछे बुला लिया लेकिन पाकिस्तान ने ऐसा नहीं किया। पाकिस्तानी सेना के 5 हजार जवानों ने कारगिल के सामरिक रूप से महत्वपूर्ण पोस्टों पर कब्जा कर लिया।

भारत और पाकिस्तान (Pakistan) के बीच 1999 में कारगिल (Kargil) का युद्ध लड़ा गया था। भारतीय सेना ने युद्ध में पाकिस्तानियों को बुरी तरह से हराया था। पाकिस्तान को ऐसी हार मिली जिसे याद कर वह आज भी थर-थर कांप उठता होगा। इस युद्ध की शुरुआत पाकिस्तान के धोखे के साथ हुई थी। धोखा ऐसा जिसकी भनक भारत को बाद में लगी।

कारगिल युद्ध (Kargil War) के पीछे 1972 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए एक समझौते का लिंक है। इसे शिमला समझौता कहा जाता है। दरअसल दोनों देशों के बीच 1972 में हुए शिमला समझौते के तहत तय हुआ था कि ठंड के मौसम में दोनों देशों की सेनाएं जम्मू-कश्मीर में बेहद बर्फीले स्थानों पर मौजूद लाइन ऑफ कंट्रोल (एलओसी) को छोड़कर कम बर्फीले वाले स्थान पर चली जाएंगी, क्योंकि सर्दियों में ऐसी जगहों का तापमान माइनस डिग्री में चले जाने की वजह से दोनों देशों की सेनाओं को काफी मुश्किलें होती थीं।

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भारत ने समझौते के तहत अपनी सेना को पीछे बुला लिया लेकिन पाकिस्तान ने ऐसा नहीं किया। पाकिस्तानी सेना के 5 हजार जवानों ने कारगिल के सामरिक रूप से महत्वपूर्ण पोस्टों पर कब्जा कर लिया। फिर क्या था जैसे ही भारत को कुछ समय बाद इसकी भनक लगी तो मुंहतोड़ जवाब दिया गया। करीब 40 दिन चले इस युद्ध में सेना ने पाकिस्तानियों को भगा-भगाकर मारा।

सेना ने हर पोस्ट को जीतकर तिरंगा लहराया। इस युद्ध के दौरान कई ऑपरेशन्स को सलफतापूर्वक लॉन्च किया गया था। हालांकि इस युद्ध में भारत के भी जवान शहीद हुए। सेना के बलिदान और शौर्य की गाथा आज भी देश के लिए गर्व का विषय है।

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