कारगिल युद्ध: नागा रेजीमेंट के अशुली माओ आज ही के दिन हुए थे शहीद, मरणोपरांत ‘वीर चक्र’ से किए गए सम्मानित, जानें स्टोरी

‘ऑपरेशन विजय’ के दौरान, सिपाही अशुली माओ नागा रेजीमेंट का हिस्सा था, जिसने द्रास सेक्टर में स्थित ‘ब्लैक टूथ’ पर हमला किया था।

शहीद के अशुली माओ।

‘ऑपरेशन विजय’ के दौरान, सिपाही अशुली माओ नागा रेजीमेंट का हिस्सा था, जिसने द्रास सेक्टर में स्थित ‘ब्लैक टूथ’ पर हमला किया था। दुश्मन ने यहां कंक्रीट बंकरों और ऑटोमेटेड हथियारों के साथ अच्छी सुरक्षा के साथ कब्जा किया हुआ था।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में कारगिल का युद्ध लड़ा गया था। 40 दिन चले इस युद्ध में भारत ने दुश्मन देश को बुरी तरह से हराया था। भारतीय सेना ने इस युद्ध में बेहतरीन प्रदर्शन किया था। इस युद्ध को जीतने के लिए सेना ने कई ऑपरेशन लॉन्च किए थे। युद्ध में जीत सही रणनीति और एक के बाद एक बेहतरीन ऑपरेशन लॉन्च के जरिए पाई गई। युद्ध में सेना के जवानों का बलिदान और शौर्य जीत की सबसे बड़ी वजह है।

आज ही के दिन यानी 23 जुलाई को इस युद्ध के दौरान सिपाही के अशुली माओ शहीद हुए थे। ‘ऑपरेशन विजय’ के दौरान, सिपाही अशुली माओ नागा रेजीमेंट का हिस्सा था, जिसने द्रास सेक्टर में स्थित ‘ब्लैक टूथ’ पर हमला किया था। दुश्मन ने यहां कंक्रीट बंकरों और ऑटोमेटेड हथियारों के साथ अच्छी सुरक्षा के साथ कब्जा किया हुआ था।

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नागा रेजीमेंट को ‘ब्लैक टूथ’ से दुश्मनों को खदेड़ने की जिम्मेदारी दी गई थी। दुर्गम इलाका होने की वजह से हमला अस्थायी रूप से रोक दिया गया था। हालांकि रास्ता दुर्गम था और चट्टाने चुनौती की तरह खड़ी थी। पर इन सब के बावजूद अशुली के हौसले बुलंद थे। उन्होंने चढ़ाई करने के लिए जान की परवाह किए बिना रस्सी के सहारे रास्ता बनाया और अपने साथी जवानों को भी इसके लिए प्रेरित किया। दुश्मन से छिपकर और इलाके की भयावह बाधाओं को भांपते हुए, अशुली ने साथियों के साथ कठिन पड़ाव को पार कर लिया था।

इसके बाद जैसे ही वह टॉप पर पहुंचे उन्होंने पहले तो दुश्मन पर बारीक नजर रखीं। इसके बाद अपने साथियों के साथ मिलकर ‘ब्लैक टूथ’ में दुश्मन के बंकर पर धावा बोल दिया और उस पर कब्जा कर लिया। इस ऑपरेशन के दौरान वह गंभीर रूप से घायल होने के बाद शहीद हो गए। अशुली को उनके बलिदान और साहस के लिए सेना ने मरणोपरांत ‘वीर चक्र’ से सम्मानित किया।

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