शादी की खुशियां बदलीं मातम में, सेहरा बांधने से पहले ही सीमा पर शहीद हो गए रोहिन कुमार
जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) के पूंछ सेक्टर पाकिस्तान की ओर से किए गए सीजफायर उल्लंघन (Ceasefire Volation) में हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर का जवान शहीद हुआ है। शहीद की पहचान रोहन कुमार (Martyr Rohin Kumar) को तौर पर हुई है।
1965 की लड़ाई की जीत का झूठा जश्न मनाता है पाकिस्तान, युद्धविराम की घोषणा कर पीछे हट गई थीं सेनाएं
पाकिस्तान 1965 में लड़े गए युद्ध में खुद को जीता हुआ मानता है। वह इसका लगातार जश्न भी मानाता आ रहा है जो कि झूठ पर आधारित है।
1965 के युद्ध में मोहम्मद शफीक और मोहम्मद नौशाद का बजा था डंका, पाक की अमेरिकी जीप पर किया था कब्जा
पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने कश्मीर हड़पने के बहुत बड़ी साजिश रची थीं जिसे जवानों ने हर मोर्चे पर फेल कर दिया था।
कर्नल वसंत वेणुगोपाल से थर-थर कांपते थे आतंकी, घायल होने के बावजूद दुश्मनों को चटाई थी धूल
आज भारतीय सेना (Indian Army) के एक ऐसे जांबाज का शहादत दिवस है जिसने आतंकियों (Terrorists) से भारत भूमि की रक्षा करते हुए अपनी जान कुर्बान कर दी। उस शूरवीर का नाम है कर्नल वसंत वेणुगोपाल (Colonel Vasanth Venugopal)।
चीफ ऑफ द आर्मी स्टाफ सैम मानेकशॉ के नेतृत्व में लड़ा गया था 1971 का युद्ध, जानें कौन थे ये
1971 के भारत-पाकिस्तान जंग में सैम मानेकशॉ की मुख्य भूमिका रही और पाक के खिलाफ जीत हासिल की गई थी। वह युद्ध में पूरी तैयारी के साथ उतरे थे।
1965 की जंग: क्या था ऑपरेशन जिब्राल्टर? पाकिस्तान ने ऐसे बिछाई थी युद्ध की बिसात
दुश्मनों ने 8 सितंबर 1965 को खेमकरण सेक्टर के उसल उताड़ गांव पर धावा बोल दिया। ये हमला पैदल सैन्य टुकड़ी के साथ पैटन टैंक के साथ किया गया था।
1947 में कश्मीर हड़पने आया था PAK लेकिन भारतीय सेना के इस ‘हीरो’ ने बुरी तरह खदेड़ा
सेना के कई जवानों ने अकल्पनीय साहस का परिचय दिया था जिसकी मिसाल आज भी पेश की जाती है। कुछ जवान ऐसे थे जिनके प्रदर्शन से सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है।
भारत और पाकिस्तान के बीच पहला युद्ध क्यों और कब हुआ? यहां जानें
हरि सिंह ने देर से ही सही लेकिन भारत को कश्मीर में मिलाने के लिए हामी भरी तो देखते ही देखते भारतीय सेना कश्मीर पहुंची और दुश्मनों को भगा-भगाकर मारना शुरू किया।
1971 भारत-पाक युद्ध: इस जवान को जिंदा रहते मिला था परमवीर चक्र, जानें इस सैन्य सम्मान की खासियतें
3 दिसंबर, 1971 को पाक एयर फोर्स ने भारत पर हमला कर दिया था। भारत के अमृतसर और आगरा समेत कई शहरों को निशाना बनाया। 16 दिसंबर, 1971 को पाकिस्तान की सेना के आत्मसमर्पण और बांग्लादेश के जन्म के साथ युद्ध का समापन हुआ।
कारगिल युद्ध: …जब मिग विमानों के जरिए Air Force ने पाक के कब्जे वाले इलाकों पर गिराए बम
कारगिल युद्ध में सेना को लीड करने वाले कई अधिकारियों ने कई मौकों पर कहा है कि भारतीय वायुसेना के हवाई हमले से दुश्मन का मनोबल टूटा था।
CRPF का 82वां स्थापना दिवस आज, घने जंगलों से लेकर दुर्गम पहाड़ियों तक दुश्मनों को खत्म करने में हासिल है महारत
देश की सेवा में पूरी तरह समर्पित यह फोर्स पर्यावरण को लेकर कितनी सजग है, इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इसने देशभर में 22 लाख पेड़ लगाने का लक्ष्य तय किया है।
कारगिल विजय दिवस: …जब वीर मोहम्मद असद के पास आकर गिरा बम, हाथ गंवाकर भी पीछे नहीं हटे
युद्ध के दौरान 13 जून 1999 की रात को मोहम्मद असद कभी भुला नहीं पाते। उनके पास में आकर गिरे एक बम से हुए धमाके ने उन्हें जीवन भर के लिए दिव्यांग बना दिया।
‘हमें रोटी नहीं सिर्फ गोली चाहिए’ थी, कारगिल में दुश्मन को ढेर करने वाले जवान ने सुनाया किस्सा
युद्ध के दिनों को याद करते हुए नायक दीपचंद ने अपने अनुभवों और उस दौरान किन परिस्थितियों में जीत हासिल हुई थी इसका जिक्र किया है।
कारगिल के इस योद्धा ने 19 साल तक लड़ी पेंशन की लड़ाई लेकिन नहीं मानी हार
उन्होंने कारगिल युद्ध की सबसे दुर्गम चोटी टोलोलिंग पर दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब देकर जीत हासिल की थी। इस दौरान उन्हें गोली लगी और वह घायल हो गए थे।
Kargil Vijay Diwas: ब्रिगेडियर कारिअप्पा की वीरगाथा, हथियारों की कमी के बाद भी ऐसे जीती जंग
पूरे 21 साल पहले हुए कारगिल युद्ध को यादकर ब्रिगेडियर कारिअप्पा की आंखे नम हो जातीं हैं।
कारगिल युद्ध: टाइगर हिल पर कब्जे की कहानी परमवीर चक्र विजेता की जुबानी, जानें क्या हुआ था उस वक्त
हम टाइगर हिल से 50 से 60 मीटर की दूरी पर थे तभी पाक सैनिकों को भनक लग गई और उन्हें पता लग गया हम कब्जे वाले इलाके में हैं। इसके बाद उन्होंने तुरंत फायरिंग शुरू कर दी। हम जिस जगह पर खड़े थे अगर उससे एक कदम आगे बढ़ाते तो तब भी मरना पक्का था।
कारगिल युद्ध: Pak ने इन पोस्ट पर किया था कब्जा, सेना ने दुश्मनों को भगा-भगाकर मारा और फहराया तिरंगा
कारगिल में भारतीय सेना के हथियारों ने अपनी ऐसी छाप छोड़ी जिसको याद कर आज भी पाकिस्तान थर-थर कांप उठता है।