INDIAN ARMY की इस खास ट्रिक से मिली थी कारगिल युद्ध में विजय, PAK के उड़ गए थे होश

परमवीर चक्र विजेता सूबेदार संजय कुमार ने बताया कि मुश्किल हालात से निपटने के लिए सेना ने युद्ध में एक खास ट्रिक ‘साइलेंट मूवमेंट’ का इस्तेमाल किया था।

परमवीर चक्र विजेता सूबेदार संजय कुमार।

परमवीर चक्र विजेता सूबेदार संजय कुमार ने बताया कि मुश्किल हालात से निपटने के लिए भारतीय सेना ने युद्ध में एक खास ट्रिक ‘साइलेंट मूवमेंट’ का इस्तेमाल किया था।

कारगिल की लड़ाई 1999 में पाकिस्तान और भारत के बीच लड़ी गई थी। हमेशा हार का मुंह देखने वाले पाकिस्तान ने इस युद्ध में भी हार का सामना किया था। भारतीय सेना ने इस युद्ध में जीत का ऐसा डंका बजाया था जिसे याद करके दुश्मन देश की सेना आज भी थर-थर कांप उठती होगी। सेना ने एक के बाद एक कई ऑपरेशन लॉन्च कर दुश्मनों को कारिगल से खदेड़ दिया था।

इस जीत के पीछे कोई एक ऑपरेशन या एक जवान नहीं बल्कि हर छोटी से लेकर बड़ी चीजें काम आईं। इस युद्ध में भारतीय सेना की एक खास ‘ट्रिक’ भी जीत की वजहों में से एक मानी जाती है। ये ट्रिक कुछ और नहीं, बल्कि साइलेंट मूवमेंट थी। यानी गोली लगने के बावजूद चिल्लाने पर पाबंदी। सेना ने युद्ध के दौरान दुश्मनों के ऊंचाई वाले इलाकों में पहुंचने के लिए इसका बखूबी इस्तेमाल किया था।

परमवीर चक्र विजेता सूबेदार संजय कुमार ने बताया कि मुश्किल हालात से निपटने के लिए भारतीय सेना ने युद्ध में एक खास ट्रिक ‘साइलेंट मूवमेंट’ का इस्तेमाल किया था। जवानों व अफसरों को युद्धक्षेत्र में जाने से पहले बाकायदा साइलेंट ड्रिल भी करवाई गई थी। इसके तहत चढ़ाई के दौरान गोली लगने पर चिल्लाने की इजाजत नहीं थी।

अगर ऐसा नहीं किया जाता तो दुश्मनों को सेना के मूवमेंट की भनक लग जाती और वह हमला बोल देते। दर्द होने पर शांति बनाकर आंखों के इशारे से घायल अवस्था में बातचीत के जरिए ऑपरेशन्स को अंजाम दिया गया।

उल्लेखनीय है कि कारगिल युद्ध में भारतीय सेना की जीत की 21वीं वर्षगांठ 26 जुलाई को मनाई जाएगी। पाकिस्तान, कश्मीर हड़पने के बारे में सोचकर कब्जा करने आया था लेकिन सेना ने उन्हें भगा-भगाकर मारा। सेना के सामने इस युद्ध में एक से बढ़कर एक कई चुनौतियां थीं लेकिन सेना ने रणनीति, साहस और बलिदान के दम पर जीत हासिल की।

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