गोरखा रेजीमेंट की खुखरी और शौर्य देख कांप उठे थे पाक सेना के जवान, कारगिल में ऐसे बजाया था डंका

भारतीय फील्ड मार्शल रहे सैम मनेकशॉ ने कहा था कि ‘अगर कोई यह कहता है कि उसे मरने से डर नहीं लगता तो या तो वह शख्स झूठ बोल रहा है या फिर वह एक गोरखा है।’

Indo-China War 1962

भारतीय सेना के जवान। (फाइल फोटो)

भारतीय फील्ड मार्शल रहे सैम मनेकशॉ ने गोरखा रेजीमेंट के लिए कहा था कि ‘अगर कोई यह कहता है कि उसे मरने से डर नहीं लगता तो या तो वह शख्स झूठ बोल रहा है या फिर वह एक गोरखा है।’

कारगिल युद्ध में भारतीय सेना की जिस भी रेजीमेंट ने हिस्सा लिया दुश्मनों को बुरी तरह भगा-भगाकर मारा। 1999 में लड़े गए इस युद्ध के दौरान हालात कैसे भी रहे हों पर हर रेजीमेंट ने अपनी ताकत और कला का परिचय दिया था। युद्ध के दौरान सेना की 1/11 गोरखा राइफल्स की बहादुरी की चर्चा आज भी होती है। गोरखा रेजीमेंट को सेना की सबसे खतरनाक रेजीमेंट कहा जाता है। इस रेजीमेंट के पास एक धारदार खुखरी होती है जो कि मुश्किल हालातों में दुश्मनों को भस्म करने में अहम भूमिका निभाती है।

भारतीय फील्ड मार्शल रहे सैम मनेकशॉ ने गोरखा रेजीमेंट के लिए कहा था कि ‘अगर कोई यह कहता है कि उसे मरने से डर नहीं लगता तो या तो वह शख्स झूठ बोल रहा है या फिर वह एक गोरखा है।’ मनेकाशॉ का यह कथन गोरखा पर एकदम सटीक बैठता है। गोरखा जवानों ने कारगिल में पाकिस्तानियों को इतनी बुरी तरह से खदेड़ा था जिसे यादकर वो आज भी थर-थर कांप उठता है।

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गोरखा राइफल्स ने 17 हजार फीट की ऊंचाई पर लड़े गए कारगिल युद्ध में पाकिस्तानी सेना के जवानों को करारी शिकस्त दी थी। गोरखा रेजीमेंट ने टाइगर हिल व बत्रा टॉप पर फतह हासिल की थी। कारगिल युद्ध में बहादुरी के लिए गोरखा राइफल्स को एक परमवीर चक्र व तीन वीर चक्र दिए गए थे। गोरखा राइफल्स के लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पांडेये गोरखा रेजीमेंट्स के एक मात्र परमवीर चक्र विजेता थे। कारगिल युद्ध में उनकी उल्लेखनीय भूमिका के लिए मरणोपरांत उनको परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।

1999 में पाकिस्तान ने कारगिल के सामरिक रूप से महत्वपूर्ण जगहों पर कब्जा कर लिया। कारगिल युद्ध, को ऑपरेशन विजय के नाम से भी जाना जाता है। ये युद्ध भारत और पाकिस्तान के बीच मई और जुलाई 1999 के बीच लड़ा गया। भारत-पाक सीमा से सटे कारगिल क्षेत्रों में सर्दियों कड़ाके की ठंड पड़ती है। दोनों देश हमेशा की तरह इस दौरान अपनी सेनाएं पीछे हटा लेते हैं। पर 1999 में भारत ने तो ऐसा किया पर पाकिस्तान ने ऐसा नहीं किया था जिसके बाद यह युद्ध हुआ।

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