कारगिल युद्ध: पिता की चिट्ठी मिली तो रोम-रोम देश पर मर-मिटने के जज्‍बे से भर उठा, जांबाज जवान राजेश ढ़ुल की कहानी

हवलदार के पद से रिटायर हुए सैनिक राजेश ढुल ने कारगिल की लड़ाई में दुश्मन से लोहा लिया था। उन्होंने बताया कि युद्ध के दौरान उनका काम माइंस बिछाने का था।

सेना में हवलदार के पद से रिटायर हुए सैनिक राजेश ढुल ने कारगिल की लड़ाई में दुश्मन से लोहा लिया था। उन्होंने बताया कि युद्ध के दौरान उनका काम माइंस बिछाने का था। उस समय मोबाइल फोन नहीं थे, घर से चिट्ठी ही पहुंचती थी।

कारगिल युद्ध में भारतीय सैनिकों ने पाकिस्तान को 1999 में बुरी तरह से हराया था। पाकिस्तानी सैनिकों को कारिगल के सामरिक रूप से महत्वपूर्ण इलाकों से खदेड़ कर सेना ने तिरंगा लहराया था। करीब 40 दिन चले इस युद्ध में पाकिस्तान ने घुटने टेक दिए थे। इस लड़ाई में सेना के जज्बे और बलिदान को हर साल 26 जुलाई के दिन ‘विजय दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।

इस युद्ध में कैथल के जांबाज जवान राजेश ढ़ुल ने भी हिस्सा लिया था। वह उन दिनों को याद करते हुए भावुक हो जाते हैं। वह अपने पिता की उस चिट्ठी में लिखी बातों को याद करते हैं तो और ज्यादा भावुक हो जाते हैं। वह बताते हैं कि जब युद्ध के दौरान उन्हें पिता की चिट्ठी मिली तो रोम-रोम देश पर मर-मिटने के जज्‍बे से भर उठा था।

सेना में हवलदार के पद से रिटायर हुए सैनिक राजेश ढुल ने कारगिल की लड़ाई में दुश्मन से लोहा लिया था। उन्होंने बतायता कि युद्ध के दौरान उनका काम माइंस बिछाने का था। उस समय मोबाइल फोन नहीं थे, घर से चिट्ठी ही पहुंचती थी।

INDIAN ARMY की इस खास ट्रिक से मिली थी कारगिल युद्ध में विजय, PAK के उड़ गए थे होश

युद्ध के दौरान पिता कि चिट्ठी मिलने पर वह बताते हैं ‘बेटा तुम भारत मां की रक्षा कर रहे हो, अगर बलिदान भी देना पड़े तो पीछे नहीं हटना। पिता की इस चिट्ठी के बाद उनके हौसले और बुलंद हो गए। देश ने कारगिल की जंग जीत ली। इस बात का भी दुख था कि उन्होंने कई साथी खो दिए थे। जब लड़ाई जीतकर घर लौटा तो सभी का गर्व से सीना चौड़ा हो गया।’

कारगिल युद्ध से पहले पाकिस्तान और भारत के संबंध मधूर हो रहे थे। लेकिन पाकिस्तान ने भारत के साथ उसी समय धोखा किया और कारगिल के क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया था। उस हार को यादकर पाकिस्तान आज भी पछताता है।

कारगिल युद्ध: …जब चार दिन भूखे रहने के बावजूद दुश्मनों पर कहर बनकर टूट पड़े थे दशरथ सिंह गुर्जर

Hindi News के लिए हमारे साथ फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, यूट्यूब पर जुड़ें और डाउनलोड करें Hindi News App

यह भी पढ़ें