कारगिल: 3 तरफ से घिरे होने के बाद भी इस भारतीय वीर ने पाकिस्तान को सिखाया था सबक

क्या आपने कभी कल्पना भी की है, क्या मंजर होता होगा युद्ध के मैदान में। भारत-पाक सीमा के सबसे खतरनाक चेक पोस्ट पर तैनात महेंद्र प्रताप सिंह राणा ने इस युद्ध के संघर्ष की कहानी के बारे में मीडिया से बात की।

ब्रिगेडियर ने चेकपोस्ट पर बंकर बनाने का आदेश दिया। महेंद्र की टीम के पास बंकर बनाने का पूरा सामान नहीं था। वहीं पास के गांव खाखिया में रह रहे सिखों से मदद मांगी गई। 100 से अधिक सिखों ने बंकर बनाने में मदद की और 10 घंटे में ही बंकर बनकर तैयार हो गया।

26 जुलाई 1999 भारत के इतिहास का वह दिन था जब भारतीय शूरवीरों ने पाकिस्तानी सैनिकों को खदेड़ कर कारगिल की जंग जीत जीती थी।

इस दिन को याद करने के लिए हर साल 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस (Kargil Vijay Diwas) मनाया जाता है। यही वो दिन था जब भारतीय सेना (Indian Army) ने “ऑपरेशन विजय” को सफलतापूर्वक अंजाम देकर पाकिस्तान के नापाक इरादों को मिट्टी में मिला दिया था।

क्या आपने कभी कल्पना भी की है, क्या मंजर होता होगा युद्ध के मैदान में। भारत-पाक सीमा के सबसे खतरनाक चेक पोस्ट पर तैनात महेंद्र प्रताप सिंह राणा ने इस युद्ध के संघर्ष की कहानी के बारे में मीडिया से बात की।

राजस्थान के श्रीगंगानागर जिले में स्थित हिन्दूमल कोट तीन ओर से पाकिस्तान (Pakistan) से घिरा इलाका है। बिलासपुर निवासी एसीपी-वन महेंद्र प्रताप सिंह राणा की तैनाती हिंदुमल कोट चेकपोस्ट पर थी। 1999 में जब युद्ध प्रारंभ हुआ तो महेंद्र प्रताप अपने 10 फौजियों की टीम के साथ हेडक्वार्टर पर हाजिर हो गए।

हेडक्वार्टर से उन्हे हिंदुमल कोट चेकपोस्ट पर जाने को कहा गया। महेंद्र प्रताप सिंह राणा और उनकी टीम जब चेकपोस्ट पर गई तो वहां पाकिस्तानी सेना युद्ध की तैयारी करके बैठी थी। इसकी सूचना बिना देरी किए उन्होंने हेडक्वार्टर को दी। वहां से आदेश मिला कि कुछ भी हो जाए चेकपोस्ट नहीं छोड़ना है और हर गतिविधि की जानकारी हेडक्वार्टर को देनी है। 35 मिनट में पूरी ब्रिगेड युद्ध सामग्री के साथ चेकपोस्ट पर पहुंच गई।

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ब्रिगेडियर ने चेकपोस्ट पर बंकर बनाने का आदेश दिया। महेंद्र की टीम के पास बंकर बनाने का पूरा सामान नहीं था। वहीं पास के गांव खाखिया में रह रहे सिखों से मदद मांगी गई। 100 से अधिक सिखों ने बंकर बनाने में मदद की और 10 घंटे में ही बंकर बनकर तैयार हो गया।

महेंद्र बताते हैं कि इस बंकर में उन्हे 24 घंटे अलर्ट पर रहना पड़ता था। तीन ओर से पाकिस्तान की सीमा से घिरे इस पोस्ट पर रहना अपने आप में बड़ी बात थी, ना जाने कब क्या हो जाए। इन सब के बीच महेंद्र,हेडक्वार्टर को पाकिस्तानी सेना की हर गतिविधि की जानकारी देते रहे।

कारगिल में विजय मिली और सैन्य मुख्यालय से जब आदेश आया तब उन्होंने पोस्ट छोड़ी और ग्रामीणों ने वीर महेंद्र प्रताप सिंह राणा को उनके गांव तक सुरक्षित पहुंचाया।

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