गलवान घाटी: फौलादी इरादों के साथ डटी हुई है भारतीय सेना, इस चुनौती से हो सकता है सामना

सर्दियों का समय आने को है और ठंड में गलवान घाटी का तापमान शून्य से 20 से 30 डिग्री नीचे चला जाता है। इस समय सैनिकों को तमाम मुश्किलों से गुजरना पड़ता है।

War of 1971

फाइल फोटो।

पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल संधू बताते हैं कि इस बार हमारे पास समय बहुत कम है और जिम्मेदारियां बहुत बड़ी। ठंड के मौसम की शुरुआत होते ही श्रीनगर लेह राजमार्ग बर्फ से ढक जाता है। जिससे सेना के लिए आवश्यक सामग्री ले जा रहे ट्रकों को बहुत मुश्किल का सामना करना पड़ता है। इस बार फ्रंट लाइन पर 30 हजार से अधिक सैनिक तैनात हैं।

15 जून को भारत और चीन (China) के बीच हुई झड़प की वजह से भारत ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर सुरक्षा व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त कर दी है। पूर्वी लद्दाख की गलवान (Galwan) घाटी का ये इलाका चारों तरफ से बर्फीली वादियों से घिरा है। फ्रंट लाइन पर सैनिकों की तैनाती बढ़ा दी गई है। भारतीय सेना (Indian Army) अब कोई रिस्क लेना नहीं चाहती है। इस वजह से गलवान घाटी और इसके आस पास के इलाकों में चीनी सैनिकों के बराबर (लगभग 30 हजार से अधिक) भारतीय सैनिकों की तैनाती कर दी गई है।

सर्दियों का समय आने को है और ठंड में गलवान घाटी का तापमान शून्य से 20 से 30 डिग्री नीचे चला जाता है। इस समय सैनिकों को तमाम मुश्किलों से गुजरना पड़ता है। इतने कम तापमान में लड़ने के काबिल बने रहने के लिए उन्हें आग जलाकर शरीर को गर्म रखना पड़ता है।

इस दौरान सैनिकों को विशेष कपड़े, विशेष स्नो बूट, विशेष हेलमेट, स्टिक, रोप, मेडिकल किट, सपोर्ट, स्पेशल फूड पैकेट, अन्य लॉजिस्टिक सपोर्ट की जरूरत पड़ती है।

पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल संधू बताते हैं कि इस बार हमारे पास समय बहुत कम है और जिम्मेदारियां बहुत बड़ी। ठंड के मौसम की शुरुआत होते ही श्रीनगर लेह राजमार्ग बर्फ से ढक जाता है। जिससे सेना के लिए आवश्यक सामग्री ले जा रहे ट्रकों को बहुत मुश्किल का सामना करना पड़ता है। इस बार फ्रंट लाइन पर 30 हजार से अधिक सैनिक तैनात हैं।

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सैनिकों के खाने-पीने समेत आवश्यक वस्तुओं को पहुंचाना सेना के लिए एक बड़ी चुनौती है। श्रीनगर से लेह तक 8 से 10 टन सामान ले जाने में ट्रकों को तीन दिन का समय लगता है। लेह से चीन के घुसपैठ वाले क्षेत्र तक जाने में 13 से 15 दिन का समय लगता है। हेलिकॉप्टर से सामान ले जाना भी आसान काम नहीं है, क्योंकि धूप होते ही हवा हल्की हो जाती है और ऐसे में हेलीकॉप्टर उड़ाने में असुविधा होती है।

लेकिन इन सारी परेशानियों के बाद भी भारतीय सेना के इरादे मजबूत हैं। सेना के मजबूत इरादों और कार्यकुशलता से खाद्य सामग्री और आवश्यक वस्तुओं के समय रहते पहुंच जाने का अनुमान है।

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