लांस नायक मोहिंदर सिंह: उग्रवादियों के मशीन गन का मुंह हाथ से दबोच लिया, वीर जवान की अमरगाथा

16 सिख की दो कंपनियों ने तय किया कि वो LTTE के ठिकानों पर दो तरफ से हमला करेंगे। ब्रावो कंपनी की एक प्लाटून ने LTTE के ठिकाने पर पश्चिम दिशा की तरफ से पहुंची लेकिन उग्रवादियों ने उन पर भीषण फायरिंग शुरू कर दी।

Indian Army, Lance Naik Mohinder Singh

वीर शहीद लांस नायक मोहिंदर सिंह। फोटो स्रोत- Twitter @adgpi

भारतीय सेना ने LTTE के खिलाफ बड़े ऑपरेशन किए। लेकिन अभी युद्ध खत्म नहीं हुआ था। उस वक्त लांस नायक मोहिंदर सिंह की 16 सिख यूनिट को 23 जुलाई. 1988 को एक टास्क सौंपा दिया गया।

लांस नायक मोहिंदर सिंह पंजाब के गुरदसापुर के रहने वाले थे। 1 अप्रैल 1960 को भैनी पासवल गांव में जन्मे मोहिंदर सिंह ने 8 दिसंबर, 1978 को आर्मी ज्वायन किया था। भारतीय सेना के सिख रेजिमेंट के इस बहादुर जवान की वीरगाथाएं याद कर आज भी हर हिन्दुस्तानी का सीना फख्र से चौड़ा हो जाता है।

बात अगस्त 1987 की है। उस वक्त ऐसी उम्मीद जगी थी कि उग्रवादी सरेंडर करेंगे लेकिन लेकिन खूंखार उग्रवादी संगठन LTTE ने भारतीय सेना के साथ जंग छेड़ दी। जुलाई 1988 में भारतीय सेना ने LTTE के खिलाफ बड़े ऑपरेशन किए। लेकिन अभी युद्ध खत्म नहीं हुआ था। उस वक्त लांस नायक मोहिंदर सिंह की 16 सिख यूनिट को 23 जुलाई. 1988 को एक टास्क सौंपा दिया गया।

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16 सिख की दो कंपनियों ने तय किया कि वो LTTE के ठिकानों पर दो तरफ से हमला करेंगे। ब्रावो कंपनी की एक प्लाटून ने LTTE के ठिकाने पर पश्चिम दिशा की तरफ से पहुंची लेकिन उग्रवादियों ने उन पर भीषण फायरिंग शुरू कर दी। उसी वक्त पूरब दिशा से उग्रवादियों के करीब बढ़ रही लांस नायक मोहिंदर सिंह की डेल्टा कंपनी भी भीषण गोलीबारी में घिर गई।

युद्ध के मैदान में उग्रवादी हमारे जवानों से बेहतर पोजिशन में थे और वो ऑटोमैटिक हथियारों से लगातार हमला कर रहे थे। उग्रवादी उस वक्त GPMG (General Purpose Machine Gun) इस्तेमाल कर रहे थे। लड़ाई के दौरान लांस नायक मोहिंदर सिंह को एहसास हुआ कि GPMG से गोलियों की बौछार रूक गई है। इसके बाद लांस नायक ने अपने कमांडरों की जिंदगी बचाने के लिए एक साहसिक फैसला कया।

अदम्य साहस दिखाते हुए लांस नायक मोहिंदर सिंह अपने खुले हाथों से दुश्मनों की मशीन गन का मुंह पकड़ लिया। उनके इस साहस को देख उग्रवादी दंग रह गए उन्होंने उस मशीन गन से मोहिंदर सिंह पर कई गोलियां बरसाई। लेकिन मोहिंदर सिंह की दिलेरी ने उग्रवादियों को दहशत में डाल दिया और वो उस वक्त वहां से भाग खड़े हुए।

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