सच के सिपाही

भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में भीषण युद्ध लड़ा गया था। बांग्लादेश, पाकिस्तान के अत्याचारों से आजाद हुआ और इसमें भारतीय सेना की भूमिका को वह आज तक मानता है।

भारत और चीन के बीच 1962 में भीषण युद्ध लड़ा गया था। चीन ने इस युद्ध में भारतीय सेना को बुरी तरह से हराया था। चीनी सेना पूरी तैयारी के साथ आई थी जबकि भारतीय सेना (Indian Army) अधूरी तैयारी के साथ जंग के मैदान में उतरी थी।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में भीषण युद्ध लड़ा गया था। इस युद्ध में भारत ने पाकिस्तान को बुरी तरह से हराया था। युद्ध पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) की आजादी के लिए लड़ा गया था।

बीजापुर-सुकमा सीमा पर नक्सली मुठभेड़ (Bijapur Sukma Encounter) हुई थी। इस मुठभेड़ में हमारे 22 जवान शहीद हो गए थे। इस मुठभेड़ में डीआरजी (DRG) के दो भाइयों ने हिस्सा लिया था, जिनमें एक शहीद हो गया।

युद्ध तकरीबन 12 दिन चला था लेकिन इस दौरान पाकिस्तान को भारी नुकसान झेलना पड़ा था। अगर पाकिस्तान सरेंडर नहीं करता तो उसे और ज्यादा नुकसान झेलना पड़ सकता था।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में लड़े गए युद्ध के दौरान विंग कमांडर दिलीप पारुलकर (Dilip Parulkar) ने अहम भूमिका निभाई थी। उन्होंने पाकिस्तान को बुरी तरह से पटखनी देते हुए अपने शौर्य का परिचय दिया था।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में लड़े गए युद्ध के दौरान विंग कमांडर धीरेंद्र सिंह जाफा (Dhirendra Singh Jafa) बहादुरी का परिचय दिया था। युद्ध के दौरान दुश्मनों को नुकसान पहुंचाने के दौरान वे पाकिस्तानी सेना की कैद में आ गए थे।

छत्तीसगढ़ के नक्सली हमले में लालगंज के रहने वाले सीआरपीएफ के डिप्टी कमांडेंट संदीप द्विवेदी (Sandeep Dwivedi) भी घायल हुए हैं।

उनकी शहादत की खबर सुनकर पूरे घर में मातम छा गया है। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। बता दें कि दीपक भारद्वाज (Deepak Bhardwaj) उप निरीक्षक के पद पर तैनात थे।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में लड़े गए भीषण युद्ध में भारतीय वायुसेना ने अपनी अलग ही छाप छोड़ी थी। युद्ध में भारत को जीत हासिल हुई थी। पाकिस्तान के 93 हजार सैनिकों ने भारतीय सेना के सामने सरेंडर किया था।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में भीषण युद्ध (War of 1971) लड़ा गया था। इस युद्ध में पाकिस्तानी सेना को बुरी तरह से पटखनी दी गई थी। भारतीय सेना (Indian Army) के वीर सपूतों ने हर मोर्चे पर दुश्मन को विफल किया था।

छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के बीजापुर-सुकमा में एक बार फिर से कुख्यात नक्सली कमांडर हिडमा ने खून की होली खेली है। इस बार उसने 22 जवानों की जान ली है। बीजापुर-सुकमा के बॉर्डर पर नक्सलियों से हुई मुठभेड़ में 22 जवान शहीद (Martyr) हो गए हैं।

धर्मदेव (Dharmadev) के घर पर आस-पास के लोगों का जमावड़ा लग गया। जिले के अधिकारी भी उनके घर पहुंचे और परिजनों से बात की।

छत्तीसगढ़ के बीजापुर-सुकमा बॉर्डर पर शनिवार को हुए नक्सली हमले में यूपी के अयोध्या निवासी जवान राजकुमार यादव भी शहीद हुए हैं।

इस नक्सली घटना में गरियाबंद जिले के मौहदा गांव के रहने वाले एसटीएफ जवान सुखराम फरस (Sukhram Fars) भी शहीद हुए हैं। खबर सुनते ही उनके घर में मातम पसर गया है।

Bijapur Sukma Encounter: मां तीन दिन पहले ही बेटे से मिलकर अपने गांव लौटी थी। मां से मिलने के बाद जुर्री ड्यूटी पर लौटकर सर्च ऑपरेशन में लग गए थे।

India Pakistan War 1971: सुरजीत सिंह का परिवार आज भी अपने वीर सपूत के जिंदा होने की उम्मीद लगाए बैठा है। पंजाब के गांव टहना फरीदकोट के रहने वाले हैं।

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