विंग कमांडर दिलीप पारुलकर को पाकिस्तानी सेना ने दी थीं घोर यातनाएं, जेल से भागने में हुए थे कामयाब

भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में लड़े गए युद्ध के दौरान विंग कमांडर दिलीप पारुलकर (Dilip Parulkar) ने अहम भूमिका निभाई थी। उन्होंने पाकिस्तान को बुरी तरह से पटखनी देते हुए अपने शौर्य का परिचय दिया था।

Dilip Parulkar

Dilip Parulkar

War of 1971: पाकिस्तान की कैद में आने के बाद उन्हें युद्धबंदी बना दिया गया। इस दौरान दिलीप पारुलकर (Dilip Parulkar) को कई यातनाएं दी गईं। उन्हें दो अन्य भारतीय पायलटों के साथ जेल में रखा गया था।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में लड़े गए युद्ध के दौरान विंग कमांडर दिलीप पारुलकर (Dilip Parulkar) ने अहम भूमिका निभाई थी। उन्होंने पाकिस्तान को बुरी तरह से पटखनी देते हुए अपने शौर्य का परिचय दिया था।

10 दिसंबर, 1971 को पूर्वी लाहौर के पास स्थित एक राडार स्टेशन को ध्वस्त कर  दिया था। हालांकि, इसे धवस्त करने के दौरान दुश्मन ने उनके सुखोई-7 विमान को मार गिराया था। इसका नुकसान हुआ कि इजेक्ट होकर वे लाहौर में गिर गए थे। पाकिस्तान की कैद में आने के बाद उन्हें युद्धबंदी बना दिया गया। इस दौरान उन्हें कई यातनाएं दी गईं। उन्हें दो अन्य भारतीय पायलटों एम एस गरेवाल और हरीश सिंह के साथ जेल में रखा गया था।

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जेल से भागने में हुए थे कामयाब: वे और उनके दो साथी पायलट पाकिस्तान की कैद से भागने में कामयाब हुए थे। उन्होंने इसके लिए जेल की दीवार का प्लास्टर खुरचा था। वे ये काम रात के समय करते थे और दिन में अन्य काम में लग जाते थे। एक दिन दीवार के जरिए रास्ता पूरी तरह क्लियर हो गया।

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14 अगस्त को पाकिस्तान का स्वंत्रतता दिवस था और उससे दो दिन पहले ही यानी 12 अगस्त को दिलीप (Dilip Parulkar) अपने दोनों साथियों के साथ जेल की दीवार फांदकर भाग निकलने में कामयाब रहे। बता दें कि 1971 में लड़ा गया युद्ध बेहद ही भीषण माना जाता है। इस युद्ध में हमारी सेना ने पाकिस्तानी सेना को बुरी तरह से पटखनी दी थी। इस युद्ध में हमारे वीर सपूतों ने पाकिस्तान के 36 टैंकों पर कब्जा करने के बाद भांगड़ा भी किया था।

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