भारतीय सेनाओं के पास ऐसे कई हथियार मौजूद हैं जिनके दम पर वह किसी भी देश के खिलाफ जीत हासिल कर सकते हैं। भारत पाकिस्तान और चीन के खिलाफ युद्ध में कई घातक हथियारों का इस्तेमाल कर चुका है।

सरेंडर करने के बाद भारत ने पाकिस्तान के इन जवानों को रिहा कर दिया था। पाकिस्तानी युद्धबंदियों को रिहा करने के पीछ राजनीतिक और आर्थिक कारण बताए जाते हैं।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में लड़े गए कारगिल युद्ध (Kargil War) के दौरान एक 19 साल के जवान ने देश भक्ति का शानदार परिचय दिया था। इस जवान ने जंग के मैदान में 17 दिन तक खाना नहीं खाया था।

भारतीय नौसेना (Indian Navy) दुनिया की एडवांस सेनाओं में से एक मानी जाती है। नौसेना ने कई मौकों पर अपनी अहमियत को दर्शाया है। नौसेना की मैरीन कमांडो फोर्स (MARCOS) बेहद ही खतरनाक विंग मानी जाती है।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में लड़े गए कारगिल युद्ध (Kargil War) में हमारे वीर सपूतों ने शानदार प्रदर्शन किया था। पाकिस्तान ने धोखे से भारत के खिलाफ यह युद्ध छेड़ा था। लेकिन उसे इसका बुरा अंजाम भुगतना पड़ा था।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में लड़े गए कारगिल युद्ध (Kargil War) के दौरान भारतीय सेना (Indian Army) के 500 से ज्यादा जवान शहीद हो गए थे। भारत मां की रक्षा के लिए इन वीर सपूतों ने अपने प्राणों की आहूति दे दी थी।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1965 में भीषण युद्ध (War Of 1965) लड़ा गया था। इस युद्ध में पाकिस्तान को बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा था। पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ यह सोचकर युद्ध छेड़ा था कि 1962 में चीन से हार के बाद वह हमें हरा देगा।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में लड़े गए कारगिल युद्ध (Kargil War) के दौरान हमारे वीर सपूतों ने शानदार प्रदर्शन किया था। युद्ध में पाकिस्तान को बुरी तरह से हराकर ही जवानों ने दम लिया था।

कारगिल युद्ध (Kargil War) में शहीद होने वाले जवानों में से एक जवान सीकर जिले के गांव सिगडोला छोटा के बनवारी लाल (Banwari Lal) भी थे।  28 अप्रैल, 1996 को आर्मी ज्वॉइन करने वाले इस जवान ने महज तीन साल के कार्यकाल में ही देश के लिए कुर्बानी दे दी।

वीर सपूतों ने शहीद होने से पहले अपने परिवारों को खत भी लिखे थे। शहीद होने से पहले 17 जाट रेजीमेंट में तैनात नरेश कुमार ने भी परिवार को खत लिखा था।

किसी भी युद्ध में जीत और हार हथियारों पर निर्भर करती है। जिस सेना के पास जितने बढ़िया और मॉर्डन हथियार होंगे उसका पलड़ा उतना ही भारी होगा।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में लड़े गए कारगिल युद्ध (Kargil War)  में पंजाब के 105 जवानों ने शहादत दी थी। भारत मां की रक्षा के लिए ये सैनिक दुश्मनों को नेस्तनाबूद करने के लिए किसी भी हद से गुजर गए थे।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में लड़ा गया कारगिल युद्ध (Kargil War) भारतीय सेना (Indian Army) के शौर्य गाथा को बयां करता है। युद्ध में हमारे वीर सपूतों ने पाकिस्तान को हर मोर्चे पर फेल कर दिया था।

युद्ध में भारतीय सेना (Indian Army) कश्मीर की हिफाजत के लिए पाक सैनिकों और कबायलियों को नेस्तनाबूद कर दिया था। हमलों ने तत्कालीन राजा हरि सिंह की चिंताएं बढ़ा दी थीं।

भारत और पाक के बीच हुए पहले युद्ध की वजह कश्मीर बना था। पाकिस्तान ने कश्मीर को पाने के लिए 1947 में नापाक साजिश रची जिसे सेना (Army) ने बुरी तरह से विफल कर दिया। 

मार्शल अर्जन सिंह (Arjan Singh) एक मात्र अधिकारी रहे जिनकी पदोन्नति पांच सितारा रैंक तक हुई। उनके असाधारण योगदान के लिए साल 2002 में एयर फोर्स का मार्शल बनाया गया था। 

मेजर सोमनाथ शर्मा (Major Somnath Sharma) टूटे हाथ के दर्द को नजरअंदाज कर अपने साथी जवानों को मैग्जीन में गोलियां भरकर देते जा रहे थे। उनकी बहादुरी की मिसाल आज भी पेश की जाती है।

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