‘1971 में पिताजी शहीद हुए थे, मैं भी पीछे नहीं हटूंगा’, 17 जाट रेजीमेंट के जवान नरेश कुमार का आखिरी खत

वीर सपूतों ने शहीद होने से पहले अपने परिवारों को खत भी लिखे थे। शहीद होने से पहले 17 जाट रेजीमेंट में तैनात नरेश कुमार ने भी परिवार को खत लिखा था।

Naresh Kumar

शहीद नरेश कुमार (फाइल फोटो)।

Kargil War: वीर सपूतों ने शहीद होने से पहले अपने परिवारों को खत लिखे थे। शहीद होने से पहले 17 जाट रेजीमेंट में तैनात नरेश कुमार (Naresh Kumar) ने भी अपने परिवार को खत लिखा था।

भारत और पाकिस्तान के बीच साल 1999 में लड़े गए कारगिल युद्ध (Kargil War) में हमारे वीर सपूतों ने दुश्मनों के दांत खट्टे कर दिए थे। इस युद्ध में पाकिस्तानी सैनिकों को बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा था। कारगिल के सामरिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर कब्जा कर बैठे पाक सैनिकों को हर मोर्चे पर विफल किया गया था।

इस युद्ध में हमारे 500 से ज्यादा जवानों ने शहादत दी थी। वहीं करीब 1,300 जवान घायल हुए थे। कारगिल युद्ध में सेना के इन वीर सपूतों ने शहीद होने से पहले अपने परिवारों को खत भी लिखे थे। शहीद होने से पहले 17 जाट रेजीमेंट में तैनात नरेश कुमार (Naresh Kumar) ने भी अपने परिवार को खत लिखा था।

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उन्होंने इस खत में कहा था कि जिस तरह  साल 1971 में पिताजी शहीद हुए थे, ठीक उसी तरह वह भी कारगिल युद्ध में शहीद होना चाहते हैं। उन्होंने खत में कहा था, “आदरणीय दादाजी, सादर चरण स्पर्श। मैं अपने स्थान पर भगवान की दया से राजी खुशी से हूं। आप सभी को पता है कि भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध चल रहा है। लेकिन मैं आपको बताना चाहता हूं कि आप मेरी बिल्कुल भी चिंता मत करना। जिस तरह 1971 में पिताजी शहीद हुए थे, मैं भी पीछे नहीं हटूंगा।”

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इस खत में नरेश कुमार (Naresh Kumar) आगे लिखते हैं, “आप सभी को गर्व होना चाहिए कि मैं भारत मां की रक्षा के लिए दुश्मनों से लोहा ले रहा हूं। जब लड़ाई खत्म होगी तो छुट्टी लेकर घर आऊंगा। मेरे इस खत का जरूर जवाब देना।”

 

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