1965 की जंग के दौरान मार्शल अर्जन सिंह ने संभाली थी वायु सेना की कमान, बुरी तरह हारा था PAK

मार्शल अर्जन सिंह (Arjan Singh) एक मात्र अधिकारी रहे जिनकी पदोन्नति पांच सितारा रैंक तक हुई। उनके असाधारण योगदान के लिए साल 2002 में एयर फोर्स का मार्शल बनाया गया था। 

Arjan Singh

1964 से 1969 तक अर्जन सिंह ने वायु सेना प्रमुख का पद संभाला।

Indian Air Force: मार्शल अर्जन सिंह (Arjan Singh) भारतीय वायुसेना के एक मात्र अधिकारी रहे जिनकी पदोन्नति पांच सितारा रैंक तक हुई। अर्जन सिंह को उनके असाधारण योगदान के लिए साल 2002 में एयर फोर्स का मार्शल बनाया गया था। 

भारत और पाकिस्तान के बीच साल 1965 में भीषण युद्ध लड़ा गया था। इस युद्ध में थल सेना (Indian Army) के साथ-साथ वायु सेना (Indian Air Force) ने भी अहम भूमिका निभाई थी। पाकिस्तानी सेना के ठिकानों पर बेहद ही चालाकी से वायु सेना ने अटैक किए थे। युद्ध में वायु सेना के शानदार प्रदर्शन की चौतरफा तारीफ हुई थी।

पाकिस्तान के साथ जंग के दौरान मार्शल अर्जन सिंह (Arjan Singh) ने वायु सेना कमान संभाली थी। वह एक निडर और बेहद ही चालाक नेतृत्व क्षमता वाले सेना प्रमुख थे। साल 2017 में उनका निधन हुआ था। मार्शल अर्जन सिंह को ‘मार्शल ऑफ द इंडियन एयरफोर्स’ भी कहा जाता है। 1964 से 1969 तक अर्जन सिंह ने वायु सेना प्रमुख का पद संभाला था।

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अर्जन सिंह (Arjan Singh) भारतीय वायुसेना के एक मात्र अधिकारी रहे जिनकी पदोन्नति पांच सितारा रैंक तक हुई। अर्जन सिंह को उनके असाधारण योगदान के लिए साल 2002 में एयर फोर्स का मार्शल बनाया गया था। उन्हें गणतंत्र दिवस के अवसर पर मार्शल रैंक से सम्मानित किया गया था।

बता दें कि युद्ध के दौरान पाकिस्तान ने ‘ऑपरेशन ग्रैंड स्लैम’ शुरू किया, जिसमें उसने जम्मू-कश्मीर के महत्वपूर्ण शहर अखनूर को निशाना बनाया गया था। पाकिस्तान के इस ऑपरेशन के खिलाफ सिंह (Arjan Singh) की भूमिका को आज भी सराहा जाता है। उन्होंने बेहद ही शानदार तरीके से इस ऑपरेशन के जरिए होने वाले हमलों को नेस्तनाबूद किया था।

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उन्होंने साहस, प्रतिबद्धता और पेशेवर दक्षता का परिचय दिया था। सिंह न केवल निडर पायलट के रूप में जाने जाते हैं बल्कि एयर फाइट के दौरान किस तरह जीत को अपने पक्ष में करना है, वह बखूबी जानते थे। खास बात यह है कि वायु सेना से रिटायर्ड होने के बाद उन्होंने राजनयिक, राजनीतिज्ञ और परामर्शदाता के रूप में भी कार्य किया। 

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