
भारतीय नौसेना की मैरीन कमांडो फोर्स।
Indian Navy: इन कमांडोज की खासियत का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि करीब 10 हजार में से औसतन सिर्फ एक ही सैनिक मार्कोस कमांडो बन पाता है। खास बात यह है कि मार्कोस हाथ-पैर बंधे होने पर भी तैर सकते हैं।
भारतीय नौसेना (Indian Navy) दुनिया की एडवांस सेनाओं में से एक मानी जाती है। नौसेना ने कई मौकों पर अपनी अहमियत को दर्शाया है। नौसेना की मैरीन कमांडो फोर्स (MARCOS) बेहद ही खतरनाक विंग मानी जाती है। यह नौसेना की एक विशेष कमांडो फोर्स है। मार्कोस इकाई 1987 में भारतीय नौसेना द्वारा बनाई गई थी।
मैरीन कमांडो फोर्स (MARCOS) ने 1988 में ‘ऑपरेशन पवन’ के दौरान सेवाएं दी थीं। वे 1988 में ‘ऑपरेशन कैक्टस’ का हिस्सा थे। उन्हें वुलर झील में भी तैनात किया गया था, जो आतंकवादियों के लिए घुसपैठ का एक प्रमुख बिंदु था।
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साल 2008 के मुंबई हमलों के दौरान, मार्कोस ने राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड के साथ अभियान में भाग लिया था। मार्कोस सभी प्रकार के इलाकों में ऑपरेशन करने में सक्षम हैं, लेकिन समुद्री परिचालन में विशेष हैं। इसका गठन खास ऑपरेशन और बचाव कार्य के लिए किया गया है। स्पेशल ऑपरेशन के लिए इंडियन नेवी (Indian Navy) के इन कमांडोज को बुलाया जाता है।
भारतीय नौसेना (Indian Navy) के इस विंग के बेड़े में विमानवाहक पोत, ट्रांसपोर्ट जहाज, 14 पनडुब्बियां, 8 लैडिंग जहाज टैंक, 10 बड़े तटीयगश्ती जहाज, एक-एक परमाणु संचालित पनडुब्बी, 14 फ्रिगेट और 23 कॉर्वेट शामिल हैं। बता दें कि मार्कोस कमांडो सबसे ट्रेंड और मार्डन माने जाते हैं।
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इनकी ट्रेनिंग दुनिया के बेहतरीन यूएस नेवी सील्स की तर्ज पर की जाती है। इन कमांडो की खासियत का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि करीब 10 हजार में से औसतन सिर्फ एक सैनिक ही MARCOS कमांडो बन पाता है। खास बात यह है कि मार्कोस हाथ-पैर बंधे होने पर भी तैर सकते हैं। ये कमांडो हमेशा सार्वजनिक होने से बचते हैं।
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