Indian Army

भारत-कजाकिस्तान संयुक्त प्रशिक्षण अभ्यास KAZIND 21 के 5वें संस्करण का समापन कजाकिस्तान के आयशा बीबी प्रशिक्षण नोड में हुआ। इस दौरान दोनों देशों के सैनिकों ने बेहतरीन प्रदर्शन किया।

Indian Army: कुछ सैनिक ऐसे थे जो जंग के मैदान में शहीद हो गए थे। ऐसे ही एक जवान सुरेंद्र भी थे। सुरेंद्र ने अपने साथियों के साथ ऐसा हमला किया कि पाक के करीब 20 जवान मौके पर ही ढेर हो गए थे।

Jammu and Kashmir: घाटी में आतंकियों के खिलाफ लगातार अभियान चलाया जा रहा है। फिर भी आतंकी अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं।

भारतीय सेनाओं के उप प्रमुखों की वित्तीय शक्तियों को 500 करोड़ रुपए की कुल सीमा के अधीन 10 प्रतिशत तक बढ़ा दिया गया है।

कारगिल की लड़ाई में तोलोलिंग की जीत बहुत जरूरी थी तो गलत नहीं होगा। यह सामरिक रूप से बेहद ही महत्वपूर्ण जगह थी। सेना इस पर लगातार फतेह की कोशिश कर रही थी।

Siachen: करीब 23000 फीट की ऊंचाई पर 75 किलोमीटर लंबे और करीब दस हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले सियाचिन ग्लेशियर के कई इलाके बेहद ही दुर्गम हैं।

Kargil War 1999: 16,700 फीट ऊंची टाइगर हिल पर कब्जा करने की कोशिश में ही यह हमले किए गए थे। यह पहला मौका था जब इतनी ऊंचाई पर इस तरह के हथियार का इस्तेमाल हुआ था।

India Pakistan War 1965: पाकिस्तानी जवानों का टारगेट था कि तीन भारतीय हवाई अड्डों हलवारा, आदमपुर और पठानकोट पर रात के अंधेरे में पैराशूट के जरिए उतरा जाए।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में लड़े गए युद्ध (India Pakistan War 1971) में भारतीय सेना का पराक्रम देखने को मिला था। इस जंग में हार के चलते पाकिस्तान की पूरी दुनियाभर में बेइज्जती हुई थी।

Indian Army: भारतीय सैनिकों ने बड़े दिल का परिचय दिया था और घायल पायलट के इलाज के लिए तुरंत डॉक्टर को बुलाया था। दरअसल यह घटना 22 नवंबर, 1971 की थी।

चीन (China) के साथ जारी तनाव के बीच भारतीय सेना (Indian Army) की फायर एंड फ्यूरी कोर ने 2 सितंबर को पूर्वी लद्दाख में अपने स्नो लेपर्ड ब्रिगेड का एक एकीकृत युद्धाभ्यास और लाइव-फायर अभ्यास किया।

भारत-कजाकिस्तान का संयुक्त सैन्य अभ्यास 'KAZIND 2021' ट्रेनिंग नोड आयशा बीबी कजाकिस्तान में चल रहा है। यह अभ्यास दोनों देशों की सेना के वार्षिक द्विपक्षीय संयुक्त अभ्यास का 5वां संस्करण है।

घाटी में आतंकियों के खिलाफ लगातार अभियान चलाया जा रहा है, फिर भी आतंकी अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं।

कारगिल युद्ध (Kargil War) के दौरान कई सैनिकों ने अदम्य साहस का परिचय दिया था। अपनी जान की बाजी लगाकर दुश्मनों को नेस्तनाबूद कर इन जवानों ने देशप्रेम और बहादुरी का परिचय दिया था।

सेना के सीनियर अधिकारियों द्वारा ऐसी रणनीतियों पर काम होता है। लेकिन जंग के मैदान में सीनियर अधिकारी नहीं बल्कि निचली रैंक के जवान होते हैं।

सेना द्वारा अबतक कई बार इस रणनीति का इस्तेमाल कर आतंकवादियों और पाकिस्तानी सैनिकों को ढेर किया जा चुका है। यह कोई आसान रणनीति नहीं होती क्योंकि दुश्मन भी अपनी सुरक्षा के लिए चौकस रहते हैं।

भारतीय सेना (Indian Army), चीन और पाकिस्‍तान सहित यूरेशिया और दक्षिण एशिया के 17 देशों की सेनाओं के साथ जपड़-2021 (ZAPAD 2021) युद्धाभ्‍यास में अपना दमखम दिखाएगी।

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