दुश्मन को उलझाए रखने की भी होती हैं कई ट्रिक्स, जीत के लिए हथियार से ज्यादा जरूरी है चालाकी

सेना के सीनियर अधिकारियों द्वारा ऐसी रणनीतियों पर काम होता है। लेकिन जंग के मैदान में सीनियर अधिकारी नहीं बल्कि निचली रैंक के जवान होते हैं।

Indian Army

Indian Army: सेना के सीनियर अधिकारियों द्वारा ऐसी रणनीतियों पर काम होता है। लेकिन जंग के मैदान में सीनियर अधिकारी नहीं बल्कि निचली रैंक के जवान होते हैं।

भारतीय सेना (Indian Army) अब तक 5 युद्ध लड़ चुकी है। चार युद्ध तो पाकिस्तान (Pakistan) के खिलाफ लड़े गए हैं। वहीं, एक चीन (China) के खिलाफ। युद्ध (War) में हथियारों से ज्यादा रणनीति काम आती है। दुश्मनों को चकमा देकर उन्हें अपने प्लान के मुताबिक घेरना ही बेहतर युद्ध कौशल माना जाता है।

सेना (Indian Army) के सीनियर अधिकारियों द्वारा ऐसी रणनीतियों पर काम होता है। लेकिन जंग के मैदान में सीनियर अधिकारी नहीं बल्कि निचली रैंक के जवान होते हैं। ऐसे में मौके पर चौतरफा गोलीबारी और अचानक होने वाले हमलों के दौरान तुरंत रणनीति बनानी होती है।

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सेना के जवान इस दौरान अपने कैप्टन की बात सुनते हैं और तय निर्देश के मुताबिक लड़ाई लड़ते हैं। सेना द्वारा यूं तो कई रणनीति अपनाई जाती रही है लेकिन एक रणनीति सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाती है और वह है दुश्मन को उलझाए रखना। यानी की दुश्मन को ऐसी चीजों में उलझा दो कि वह सामने वाले के घेराव को समझ पाने में अपना दिमाग ही न लगाया।

उदाहरण के तौर पर एक सेना की एक टुकड़ी अगर दूसरे छोर से लगातार गोलीबारी करती रहे और दूसरे छोर सेना की अगली टुकड़ी धीरे-धीरे दुश्मनों को घेरे तो इसे ‘उलझाए रखने वाली रणनीति’ कह सकते हैं।

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इससे सेना को कम से कम नुकसान झेलना पड़ता है और दुश्मनों पर जीत हासिल करने की संभावना भी ज्यादा होती है। कारगिल युद्ध के दौरान इस रणनीति के तहत सेना ने कई पोस्टों पर फतह हासिल करने में सफलता पाई थी।

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