India Pakistan War 1971: ढाका पर कब्जा करना सेना के प्लान में शामिल क्यों नहीं किया गया था? ये थी वजह

भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में लड़े गए युद्ध (India Pakistan War 1971) में भारतीय सेना का पराक्रम देखने को मिला था। इस जंग में हार के चलते पाकिस्तान की पूरी दुनियाभर में बेइज्जती हुई थी।

India Pakistan War 1971

War of 1971 (File Photo)

India Pakistan War 1971: युद्ध के अंत में मेजर जनरल जेएफआर जैकब ने ही पाकिस्तानी जनरल नियाजी से बात कर उन्हें हथियार डालने के लिए राजी किया था।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में लड़े गए युद्ध (India Pakistan War 1971) में भारतीय सेना (Indian Army) का पराक्रम देखने को मिला था। इस जंग में हार के चलते पाकिस्तान की पूरी दुनियाभर में बेइज्जती हुई थी।

पाकिस्तान को हराकर हमारी सेना ने अपनी साख काफी ज्यादा बढ़ा ली थी। पाकिस्तान पर जैसे-जैसे हमारी सेना भारी पड़ती गई पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) के गठन की नींव मजबूत होने लगी।

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यह युद्ध बांग्लादेश की आजादी के लिए ही लड़ा गया था। पाकिस्तान से अलग होकर ही बांग्लादेश का गठन हुआ है। पाकिस्तानी सेना के 90 हजार सैनिकों ने भारतीय सेना के सामने सरेंडर किया था। भारतीय सेना के प्रमुख फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ ने मेजर जनरल जैकब को ही समर्पण की सारी व्यवस्था करने के लिए ढाका भेजा था।

युद्ध के अंत में मेजर जनरल जेएफआर जैकब ने ही पाकिस्तानी जनरल नियाजी से बात कर उन्हें हथियार डालने के लिए राजी किया था। अक्सर यह सवाल उठते हैं कि युद्ध के अंत में भारतीय सेना ढाका तक कब्जा कर सकती थी लेकिन ऐसा नहीं किया गया।

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मेजर जनरल जैकब ने अपनी आत्मकथा में इसका उल्लेख किया है। वे बताते हैं कि हमें सिर्फ खुलना और चटगाव पर कब्जा करने के आदेश मिले थे। भारतीय सेना के प्रमुख फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ इसपर लंबी बहस भी हुई थी। मेजर जनरल जैकब बताते हैं कि उनसे कहा था कि खुलना एक मामूली बंदरगाह है। यही वजह थी कि हमने ढाका पर कब्जा नहीं किया।

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