वीर चक्र विजेता जयराम सिंह: मिला था तोलोलिंग पहाड़ी से दुश्मनों को खदेड़ने का काम, जानें कैसा था अनुभव

कारगिल युद्ध (Kargil War) के दौरान कई सैनिकों ने अदम्य साहस का परिचय दिया था। अपनी जान की बाजी लगाकर दुश्मनों को नेस्तनाबूद कर इन जवानों ने देशप्रेम और बहादुरी का परिचय दिया था।

Jairam Singh

करगिल हीरो जाबांज जयराम सिंह।

Kargil War: दुश्मनों को नेस्तनाबूद कर इन जवानों ने देशप्रेम और बहादुरी का परिचय दिया था। ऐसे ही एक जवान 2 राजपूताना राइफल के राइफल मैन रहे जयराम सिंह (Jairam Singh) भी हैं।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में लड़े गए युद्ध (Kargil War) के दौरान कई सैनिकों ने अदम्य साहस का परिचय दिया था। अपनी जान की बाजी लगाकर दुश्मनों को नेस्तनाबूद कर इन जवानों ने देशप्रेम और बहादुरी का परिचय दिया था। ऐसे ही एक जवान 2 राजपूताना राइफल के राइफल मैन रहे जयराम सिंह (Jairam Singh) भी हैं।

युद्ध में अपनी बहादुरी का परिचय देने के लिए इन्हें सैन्य सम्मान ‘वीर चक्र’ से सम्मानित किया गया था। वे बताते हैं कि 25 अप्रैल, 1999 को हमें कारगिल के सामरिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर दुश्मन के घुसपैछ की जानकारी मिली थी। सूचना मिलते ही हम मोर्चे पर थे और मैं कंपनी के साथ मौके दुश्मनों से लोहा लेने पहुंच गया था। मुझे 17 हजार फीट की ऊंचाई पर पर स्थित तेलोलिंग पहाड़ी से दुश्मनों को मार भगाने का जिम्मा दिया गया था।

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जयराम सिंह आगे बताते हैं, “पहाड़ी पर पहुंचते ही हमारी टीम की दुश्मनों के साथ मुठभेड़ हो गई। मेरी आंखों के सामने ही कई जवान शहीद हो गए थे। लेकिन कड़ी मशक्कत के बाद आखिरकार हमने तेलोलिंग पहाड़ी पर अपना तिरंगा फहरा दिया था।” 

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जयराम आगे बताते हैं, “इसके बाद मुझे 12 जून 1999 को थ्री पिम्पल पहाड़ी पर से दुश्मनों को मार भगाने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी और इसे भी मैंने अपने साथियों के साथ मिलकर बेहतर तरीके से निभाया था। करगिल में देश के लिए दिखाई गई इस अदम्य वीरता और साहस के लिए मुझे 15 अगस्त 1999 में वीर चक्र से सम्मानित किया गया जो कि मेरे लिए सबसे बड़ा गौरव का पल था।”

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