कर्नल सुशील तंवर की कहानी ‘ये दिल’
कार के बंपर पर थोड़ा पानी छिड़क कर खून के चंद धब्बे साफ किए और वापिस आ कर गाड़ी में बैठ गया। लेकिन लाख कोशिशों के बावजूद आकाश की आंखों से वो दृश्य ओझल नहीं हो पा रहा था।
स्वतंत्रता दिवस पर तिरंगा फहराने वाले 30 ग्रामीणों को घर से उठा ले गए नक्सली, जंगल ले जाकर पीटा
बुधवार रात कटेकल्याण थाना क्षेत्र के चिकपाल गांव के करीब 30 ग्रामीणों को नक्सली (Naxalites) जंगल ले गए थे और इसके बाद उनकी लाठी और लात-घूसों से पिटाई की गई।
दंतेवाड़ा: नक्सल प्रभावित क्षेत्र में जगी नई उम्मीद, आजादी के बाद पहली बार इस गांव में लहराया तिरंगा
छत्तीसगढ़ राज्य बनने के 20 साल बाद धुर नक्सल (Naxal) प्रभावित गांव मारजुम में आजादी के बाद पहली बार सुरक्षाबल के जवान, महिला कमांडो और ग्रामीणों ने मिलकर तिरंगा लहराया।
आजादी से पहले की फिल्मी गीतों में राष्ट्रीय भावना, जिसे सुनकर देशवासियों में जगी क्रांति की चिंगारी
आजाद हिंद फौज के प्रयाणगीत 'कदम-कदम बढ़ाए जा खुशी के गीत गाए जा' को सी. रामचंद्र ने' समाधि' में भावपूर्ण अभिव्यक्ति दी थी। राष्ट्रभक्ति पूर्ण गीतों का सिलसिला यों तो 1947 के बाद के वर्षों में बनी कई फिल्म (Film) तक चला।
एकबार फिर देशभक्ति का जज्बा जगाएंगी बॉलीवुड स्टार्स की ये फिल्म, इस साल होने जा रही हैं रिलीज
देशभक्ति पर बॉलीवुड में सालों से फिल्में बनती आ रही है। कई फिल्में तो सुपर हिट रही हैं। देशभक्ति एक ऐसा टॉपिक है जिससे हर नागरिक जुड़ा रहता है।
Independence Day: आजादी के लिए ऐसे तय हुआ था 15 अगस्त का दिन, जानें पूरी कहानी…
Independence Day: लार्ड माउंटबेटन ने 3 जून को ही मीटिंग में 15 अगस्त (15th August) के दिन को आजादी के लिए चुना लेकिन इस तारीख पर देशभर के तमाम ज्योतिषियों में आक्रोश फैल गया।
स्वतंत्रता दिवस पर इन 5 गानों को सुनकर गर्व से चौड़ा हो जाएगा सीना, इनमें से एक लता मंगेशकर ने गाया
74वें स्वतंत्रता दिवस के इस खास मौके पर आप देशभक्ति के गीत सुन सकते हैं। आप परिवार के साथ मिलकर गीतों का आनंद ले सकते हैं।
स्वतंत्रता दिवस के मौके पर देख सकते हैं देशभक्ति की ये फिल्में, देखें पूरी लिस्ट
भारत 15 अगस्त 1947 के दिन अंग्रेजों से आजाद हुआ था। देशवासियों के के दिल में सिर्फ भारत मां बसती है। वे कितना प्यार करते हैं इसे फिल्मों में दिखायाा गया है।
जश्न-ए-आजादी के बीच तमाम विकृतियों की गुलामी की जकड़न में फंसा ये देश, सोचिये कि हम आजाद कहां हैं?
आजादी (Independence) के इस पावन पर्व पर सभी देशवासियों को इस तरह के परिवेश पर सच्चे मन से मंथन कर सही दिशा में संकल्प लेने की भावना जागृत करनी होगी, तभी आजादी के वास्तविक स्वरूप को परिलक्षित किया जा सकेगा।
15 अगस्त विशेष: भारत का वीर पुत्र ऊधम सिंह, जिसने 21 साल बाद लिया जलियांवाला बाग हत्याकांड का बदला
अमर शहीद ऊधम सिंह (Udham Singh) ने 13 अप्रैल, 1919 ई. को पंजाब में हुए भीषण जलियांवाला बाग हत्याकांड के उत्तरदायी माइकल ओ’डायर की लंदन में गोली मारकर हत्या करके निर्दोष भारतीय लोगों की मौत का बदला लिया था
देशभक्ति से लबरेज हिंदी फिल्में, जिन्हें देखकर जाग जाती है देशप्रेम की भावना
ताज्जुब तो भारतीय टेलीविजन चैनल के कार्यक्रमों से होता है, जो साल भर हर घर में फूहड़ता परोसते हैं वो भी अचानक देशभक्ति की फिल्में दिखाकर लोगों के दिलों में सोये देशभक्ति के जज्बे को जगाने की कोशिश करते हैं।
मंगल पांडे से पहले इस गुमनाम नायक की अगुवाई में 1400 सैनिकों ने किया था अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह, आज भी आर्मी मेस से जाता है तीन वक्त का खाना
बिंदी तिवारी (Bindi Tiwari) की मौत के बाद सिपाहियों ने उसी पीपल के पेड़ के पास एक छोटा सा मंदिर बिंदी तिवारी की याद में बना दिया। वो मंदिर आज भी है, उसे बिंदा बाबा के मंदिर के नाम से जाना जाता है।
ये है झंडा फहराने का नियम, ऐसे फहराया जाता है स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के दिन तिरंगा
15 अगस्त 1947 (Independence Day) के दिन हमारे देश को आजादी मिली थी। तब ब्रिटिश झंडे को नीचे उतारकर, भारतीय ध्वज को ऊपर चढ़ाया गया था, फहराया गया था।
Independence Day Special: कर्नल सुशील तंवर की कहानी ‘हम क्या चाहते’
अफ़ज़ल बारामुला डिग्री कॉलेज में बीए फर्स्ट ईयर का छात्र था। कई बार दोस्तों के साथ पत्थरबाज़ी में शरीक होता था। मज़ा आता था उसको दोस्तों के साथ नारे लगाने में और पत्थर फेंकने में। पर ये सब करने की वजह शायद उसको खुद मालूम नहीं थी।
Independence Day Special: कर्नल सुशील तंवर की कहानी ‘हम क्या चाहते’
अफ़ज़ल बारामुला डिग्री कॉलेज में बीए फर्स्ट ईयर का छात्र था। कई बार दोस्तों के साथ पत्थरबाज़ी में शरीक होता था। मज़ा आता था उसको दोस्तों के साथ नारे लगाने में और पत्थर फेंकने में। पर ये सब करने की वजह शायद उसको खुद मालूम नहीं थी।
1971 के युद्ध में इंडियन आर्मी की खास रणनीति थी ‘वॉर ऑफ मूवमेंट’, दुश्मनों का छूट जाता था पसीना
सेना ने खास रणनीति 'वॉर ऑफ मूवमेंट' के जरिए दुश्मनों के कब्जे वाले इलाकों पर कहर बरपा कर खुद का कब्जा जमाया था। यहां तक भारतीय सेना ढाका तक पहुंच गई थी।
1962 के युद्ध में शामिल हुए थे राधेश्याम तिवारी, अब बेटों से लेकर बहुएं तक फौज में शामिल
राधेश्याम तिवारी के बड़े बेटे साधूराम तिवारी एयर फोर्स से रिटायर्ट हैं। साधूराम बताते हैं कि मेरे भाई राजेश भी सेना से रिटायर्ड हैं। जबकि तीसरी पीढ़ी से धीरेंद्र तिवारी नेवी में लेफ्टिनेंट कमांडर से रिटायर हैं।