आजादी और बंटवारे के दर्द के बीच खून-खराबे का था माहौल, जानें 15 अगस्त, 1947 के दिन की कहानी

एक तरफ देश आजादी का जश्न मना रहा था तो साथ-साथ  बंटवारे के दर्द के बीच खून-खराबे का माहौल भी था। मुसलमानों के लिए अलग देश की मांग को लेकर हिंसा भड़क गई थी।

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एक तरफ देश आजादी (Independence) का जश्न मना रहा था तो साथ-साथ बंटवारे (Partition) के दर्द के बीच खून-खराबे का माहौल भी था। मुसलमानों के लिए अलग देश की मांग को लेकर हिंसा भड़क गई थी।

भारत 15 अगस्त, 1947 के दिन अंग्रेजों की हूकुमत से आजाद हुआ था। आजादी से एक दिन पहले यानी 14 अगस्त को भारत के दो हिस्से हो गए थे। पाकिस्तान नाम का एक अलग देश दुनिया के नक्शे पर आया। विभाजन माउंटबेटन योजना के आधार पर निर्मित भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम के आधार पर किया गया था।

इसी के तहत भारत और पाकिस्तान नाम के दो मुल्कों का गठन किया गया। 15 अगस्त, 1947 की आधी रात को भारत और पाकिस्तान कानूनी तौर पर दो स्वतंत्र राष्ट्र बने।

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एक तरफ देश आजादी का जश्न मना रहा था तो साथ-साथ बंटवारे (Partition) के दर्द के बीच खून-खराबे का माहौल भी था। मुसलमानों के लिए अलग देश की मांग को लेकर हिंसा इस कदर भड़क गई थी। पाकिस्तान से हिंदू भारत की ओर कूच कर रहे थे तो वहीं भारत से मुस्लिम। इस आवाजाही के दौरान हिंसा भड़कीं थीं।

लोगों को बेवजह मारा जा रहा था। 15 अगस्त की सुबह भी ट्रेनों में, घोड़े-खच्चर और पैदल हर तरफ लोग भाग रहे थे। भारत के विभाजन से करोड़ों लोग प्रभावित हुए।

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माना जाता है कि विभाजन के दौरान हुई हिंसा में करीब 10 लाख लोग मारे गए और करीब 1.45 करोड़ शरणार्थियों ने अपना घर-बार छोड़कर बहुमत संप्रदाय वाले देश में शरण ली। भारत के ब्रिटिश शासकों ने हमेशा ही भारत में ‘फूट डालो और राज्य करो’ की नीति का अनुसरण किया जो भारत और पाकिस्तान के अलग होने से सफल साबित हुई।

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