स्वतंत्रता दिवस के मौके पर देख सकते हैं देशभक्ति की ये फिल्में, देखें पूरी लिस्ट
भारत 15 अगस्त 1947 के दिन अंग्रेजों से आजाद हुआ था। देशवासियों के के दिल में सिर्फ भारत मां बसती है। वे कितना प्यार करते हैं इसे फिल्मों में दिखायाा गया है।
जश्न-ए-आजादी के बीच तमाम विकृतियों की गुलामी की जकड़न में फंसा ये देश, सोचिये कि हम आजाद कहां हैं?
आजादी (Independence) के इस पावन पर्व पर सभी देशवासियों को इस तरह के परिवेश पर सच्चे मन से मंथन कर सही दिशा में संकल्प लेने की भावना जागृत करनी होगी, तभी आजादी के वास्तविक स्वरूप को परिलक्षित किया जा सकेगा।
15 अगस्त विशेष: भारत का वीर पुत्र ऊधम सिंह, जिसने 21 साल बाद लिया जलियांवाला बाग हत्याकांड का बदला
अमर शहीद ऊधम सिंह (Udham Singh) ने 13 अप्रैल, 1919 ई. को पंजाब में हुए भीषण जलियांवाला बाग हत्याकांड के उत्तरदायी माइकल ओ’डायर की लंदन में गोली मारकर हत्या करके निर्दोष भारतीय लोगों की मौत का बदला लिया था
देशभक्ति से लबरेज हिंदी फिल्में, जिन्हें देखकर जाग जाती है देशप्रेम की भावना
ताज्जुब तो भारतीय टेलीविजन चैनल के कार्यक्रमों से होता है, जो साल भर हर घर में फूहड़ता परोसते हैं वो भी अचानक देशभक्ति की फिल्में दिखाकर लोगों के दिलों में सोये देशभक्ति के जज्बे को जगाने की कोशिश करते हैं।
मंगल पांडे से पहले इस गुमनाम नायक की अगुवाई में 1400 सैनिकों ने किया था अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह, आज भी आर्मी मेस से जाता है तीन वक्त का खाना
बिंदी तिवारी (Bindi Tiwari) की मौत के बाद सिपाहियों ने उसी पीपल के पेड़ के पास एक छोटा सा मंदिर बिंदी तिवारी की याद में बना दिया। वो मंदिर आज भी है, उसे बिंदा बाबा के मंदिर के नाम से जाना जाता है।
ये है झंडा फहराने का नियम, ऐसे फहराया जाता है स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के दिन तिरंगा
15 अगस्त 1947 (Independence Day) के दिन हमारे देश को आजादी मिली थी। तब ब्रिटिश झंडे को नीचे उतारकर, भारतीय ध्वज को ऊपर चढ़ाया गया था, फहराया गया था।
Independence Day Special: कर्नल सुशील तंवर की कहानी ‘हम क्या चाहते’
अफ़ज़ल बारामुला डिग्री कॉलेज में बीए फर्स्ट ईयर का छात्र था। कई बार दोस्तों के साथ पत्थरबाज़ी में शरीक होता था। मज़ा आता था उसको दोस्तों के साथ नारे लगाने में और पत्थर फेंकने में। पर ये सब करने की वजह शायद उसको खुद मालूम नहीं थी।
Independence Day Special: कर्नल सुशील तंवर की कहानी ‘हम क्या चाहते’
अफ़ज़ल बारामुला डिग्री कॉलेज में बीए फर्स्ट ईयर का छात्र था। कई बार दोस्तों के साथ पत्थरबाज़ी में शरीक होता था। मज़ा आता था उसको दोस्तों के साथ नारे लगाने में और पत्थर फेंकने में। पर ये सब करने की वजह शायद उसको खुद मालूम नहीं थी।
1971 के युद्ध में इंडियन आर्मी की खास रणनीति थी ‘वॉर ऑफ मूवमेंट’, दुश्मनों का छूट जाता था पसीना
सेना ने खास रणनीति 'वॉर ऑफ मूवमेंट' के जरिए दुश्मनों के कब्जे वाले इलाकों पर कहर बरपा कर खुद का कब्जा जमाया था। यहां तक भारतीय सेना ढाका तक पहुंच गई थी।
1962 के युद्ध में शामिल हुए थे राधेश्याम तिवारी, अब बेटों से लेकर बहुएं तक फौज में शामिल
राधेश्याम तिवारी के बड़े बेटे साधूराम तिवारी एयर फोर्स से रिटायर्ट हैं। साधूराम बताते हैं कि मेरे भाई राजेश भी सेना से रिटायर्ड हैं। जबकि तीसरी पीढ़ी से धीरेंद्र तिवारी नेवी में लेफ्टिनेंट कमांडर से रिटायर हैं।
1971 के युद्ध का इतिहास बताता है लोंगेवाला वॉर मेमोरियल, जानें क्या है इसमें खास
इस वॉर मेमोरियल में आपको पता लगेगा कि कैसे युद्ध में भारतीय सैनिक बंकर से लेकर बंकर तक योजनाबद्ध तरीके से भागते हुए दुश्मन सेना पर हथगोले फेंकते थे।
भारत-पाक युद्ध: भैरो सिंह राठौड़ ने 30 सैनिकों को अकेले ही कर दिया था ढेर, जानें वीरता की कहानी
युद्ध के बारे में भैरो सिंह ने कई मौकों पर जिक्र किया है। वह बताते हैं कि जब हाईकमान से आदेश आया तो वह तनोट होते हुए लोंगेवाला के पास पहुंचे थे।
…जब 1967 में नाथु ला दर्रे पर हुआ टकराव, भारत माता के वीरों ने चीनी सैनिकों को भगा-भगाकर मारा
नाथु ला विवाद का केंद्र इसलिए है क्योंकि 1965 के भारत और पाकिस्तान के युद्ध के दौरान चीन ने इस इलाके को खाली करने के लिए बोला था लेकिन भारतीय सेना वहां से पीछे नहीं हटी थी।
पाकिस्तानी कबायली 1947 में कश्मीर हड़पने के लिए करते थे घुसपैठ और हमले, जानें कौन थे ये
1947-48 के युद्ध के बाद जम्मू-कश्मीर के दो तिहाई हिस्सा भारत में ही रहा जबकि एक तिहाई हिस्से पर आज भी पाकिस्तान का कब्जा है।
1971 का युद्ध: …जब भारतीय जवान ने पत्र लिखकर दुश्मन देश के सैनिक को मरणोपरांत दिलवाया था सैन्य सम्मान!
रजा इस युद्ध में सबसे आगे होकर लड़ रहे थे। भारतीय सेना ने मुंहतोड़ जवाब देते हुए पाकिस्तान के 250 से अधिक सैनिक मार गिराए। 17 दिसंबर की रात युद्ध खत्म हुआ।
1971 की जंग: …जब भारत ने पाकिस्तान के पूर्वी हिस्से पर कब्जा किया, जानें पूरा घटनाक्रम
साल 1971 भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश के लिए बेहद अहम था। 1971 में पूर्वी पाकिस्तान में आजादी का आंदोलन दिन ब दिन तेज होता जा रहा था।
माइनस 30 डिग्री में भी पाक सेना को कर दिया तहस-नहस, जानें ‘परमवीर चक्र’ विजेता बाना सिंह की कहानी
दुश्मनों ने 6500 मीटर की ऊंचाई पर स्थिति चोटिंयों पर कब्जा जमा लिया था। ग्लेशियर पर बर्फं ने पाकिस्तानी घुसपैठियों की स्थिति को बेहद मजबूत कर दिया था।