
कर्नल सुशील तंवर
कर्नल सुशील तंवर की कहानी ‘ये दिल’। बीती रात हुए एक हादसे से आकाश सदमे में था। हादसे का दृश्य रह-रह कर उसके जेहन में कौंध रहा था। आकाश की परेशानी देख सभी दोस्त चिंतित थे। फिर जो खबर आई उसने सभी दोस्तों को सोचने पर मजबूर कर दिया कि क्या आकाश सच में कमजोर दिल का था?
“दिल पे पत्थर रख के मुंह पे मेकअप कर लिया, मेरे सैयां जी से आज मैंने ब्रेकअप कर लिया…”
दिल्ली जयपुर हाईवे पर दौड़ती महिंद्रा एक्सयूवी में ये गाना पूरे जोर-शोर से बज रहा था। लेकिन उससे कहीं ज्यादा तेज और बेसुरी आवाज उस कार में बैठे चारों दोस्त कर रहे थे। गाड़ी आकाश चला रहा था ।
– अरे यार गाना तो सुनने दो। नहीं तो यहीं साइड में गाड़ी रोक दूंगा।
– चुप कर बे।
पिछली सीट पर बैठे हनीफ और आयशा एक साथ चिल्लाए- तू बस गाड़ी ढंग से चला और हमें मस्ती करने दे।
– ठीक ही तो है। गाड़ी साइड पर लगा दो। फिर हम नीचे उतर कर इसी सड़क पर नाचेंगे और अगला गाना होगा राउडी बेबी। क्या कमाल का डांस है उसमें। क्या लचक-लचक कर नाच रही है साई पल्लवी इस पूरे गाने में।
आगे बैठी शिल्पा क्यूं भला आकाश को परेशान करने में पीछे रहती।
– यार तुम लोग ना… जो करना है करो।
ये कहकर आकाश अपना ध्यान वापस हाईवे पर ले आया। कुछ ज्यादा ट्रैफिक नहीं था उस दिन। शायद इसलिए कि अगले दिन पंद्रह अगस्त को छुट्टी थी और रास्ते में कई जगह पुलिस के नाके लगे थे।
लेकिन वो चारों जिगरी दोस्त इस खाली सड़क का खूब मज़ा लूट रहे थे। कभी फोटो खींचना। कभी तेज़ संगीत और कभी एक दूसरे से प्यार भरी छेड़छाड़। बस यही सिलसिला चल रहा था कि अचानक शिल्पा चिल्लाई।
– अरे.. अरे…ध्यान से।
इससे पहले कि आकाश ब्रेक लगाता, दुर्घटना हो चुकी थी। कुछ खास नहीं, बस पता नहीं कहां से एक छोटा सा हिरण उनकी कार से टकरा गया था। कार को कुछ ज्यादा नुकसान नहीं हुआ। लेकिन वो बेचारा हिरण जरूर इस दुनिया से चल बसा था। आकाश को तो मानो सांप सूंघ गया। उसने उतर कर उस बेजान लाश को देखा।
कार के बंपर पर थोड़ा पानी छिड़क कर खून के चंद धब्बे साफ किए और वापिस आ कर गाड़ी में बैठ गया। फिर धीरे-धीरे खामोशी से उन्होंने दोबारा अपना सफर शुरू किया। लेकिन लाख कोशिशों के बावजूद आकाश की आंखों से वो दृश्य ओझल नहीं हो पा रहा था।
– शिट यार, कैसे हो गया। सब मेरी ग़लती है। बेचारा हिरण।
– ठीक है यार। हो जाता है। दिल छोटा मत करो।
शिल्पा खुद भी आत्मग्लानि में डूबी हुई थी।
– अरे तुम दोनों मातम मनाना बंद करो। ऐसी कितनी दुघर्टनाएं होती हैं इन सड़कों पर। शुक्र करो, ज्यादा नुकसान नहीं हुआ।
आयशा उनको समझाने में लग गई।
– अरे यार, ज्यादा नुकसान नहीं हुआ का क्या मतलब? वो बेचारा हिरण मर गया। मैंने उसको मार दिया, बेवजह… और तू बोल रही है कि…
आकाश सचमुच सदमे में था। अब बारी हनीफ की थी।
– अबे आकाश। क्या हो गया है? इतना कमज़ोर मत बन। चिड़िया से भी छोटा दिल है क्या बे तेरा? जबरदस्ती घबरा रहा है।

हनीफ इसके आगे कुछ बोलता शिल्पा ने उसे इशारे से चुप करा दिया था। वो मामले की नाज़ुकता को समझती थी। आकाश सचमुच परेशान था। शिल्पा को तो ये डर था कि उसकी आंखों से आंसू ना टपक पड़ें।
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उस रात को आकाश बड़ी मुश्किल से सो पाया था। बहुत बेचैन और भावुक था वो उस हादसे को लेकर। शायद इसलिए रोज़ सवेरे जल्दी उठने वाला आकाश अगले दिन कुछ ज्यादा देर तक सोता रहा था। मोबाइल की घंटी भी लगातार बज रही थी। तभी हनीफ और आयशा उसके पास अचानक से धमक पड़े थे। उसके उठने से भी पहले। इतनी जल्दी उनका जागना और उसके पास आना अपने-आप में एक अजूबा था।
– उठ जा मेरे शेर। तूने तो कमाल कर दिया।
हनीफ आकाश के ऊपर कूद पड़ा और उसे अपनी बाहों में भर लिया। उसकी इस हरकत से आकाश के गालों पर दो सुंदर से छोटे-छोटे डिंपल भी अचानक प्रकट हो गए थे।
– कितना अच्छा लगेगा ना शिल्पा। जब हम बोलेंगे- इनसे मिलिए, मेजर आकाश सूद, ‘शौर्य चक्र’। तीन आतंकवादियों को अकेले मौत के घाट उतारा था इन्होंने। बधाई हो दोस्त!
आयशा भी उनके ऊपर कूद पड़ी थी।
– अबे छछुन्दर। कल तो एक हिरण के मरने से तेरी हवा निकल गई थी। इतना सा दिल हो गया था तेरा और आज पंद्रह अगस्त को तुझे ‘शौर्य चक्र’ मिल गया। तू तो बड़ा दिलेर निकला, तीन आतंकवादियों को टपका दिया तूने..वाह!
आकाश हंस पड़ा था।
– अरे यार, वो अलग बात है। वहां फर्ज था, वर्दी थी, देशभक्ति थी। इन सब में बहुत ताकत होती है न।
और फिर उसने एक ठंडी सी आह भरी।
– लेकिन कल वो हिरण….काश हम उस बचा पाते।
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