कारगिल युद्ध: मुश्किल पहाड़ी इलाके में हथियार ढोने में आती थी दिक्कत, फिर भी हौसले थे बुलंद
Kargil War: दो सैनिक एक हथियार को अपने-अपने कंधे पर ढोते थे। हथियार ढोना इतना आसान भी नहीं था क्योंकि कारगिल की ऊंचाई पर ऑक्सीजन की कमी रहती है।
कारगिल युद्ध: जब पाकिस्तानी सैनिकों ने कारगिल की ऊंची पहाड़ियों पर घुसपैठ करके बना लिए अपने ठिकाने
Kargil War 1999: पाकिस्तानी घुसपैठिए कारगिल के कुछ चरवाहों को अपनी गिरफ्त में लेने की प्लानिंग कर रहे थे लेकिन उन्होंने किसी कारण ऐसा नहीं किया।
1999 का युद्ध: पाक सैनिकों का गुपचुप तरीके से कारगिल की पहाड़ियों पर जा बैठने का मकसद क्या था?
Kargil War 1999: गुपचुप तरीके से घुसपैठ को अंजाम देना का मकसद सियाचिन से भारत को अलग-थलग करना था। भारत ने 1984 में सियाचिन पर कब्जा कर लिया था।
शहीद मूलाराम बिडियासर: कारगिल युद्ध में दुश्मनों ने किए कई जुल्म, फिर भी देश के लिए आखिरी सांस तक लड़े
Kargil War: मूलाराम बिडियासर समेत अन्य 4 जवानों के शरीर को दुश्मनों ने सिगरेटों से दागा था। उनके नाक, कान और होंठ काटे गऐ थे, उंगलियां काटी गईं थीं।
कारगिल युद्ध: वे जवान जिन्होंने पाकिस्तानी सैनिकों को भस्म किया और फिर खुद तिरंगे में लिपटकर घर पहुंचे
कुछ जवान ऐसे थे जिन्होंने पाकिस्तानी सैनिकों को भारी नुकसान पहुंचाया और जंग के मैदान में ही शहादत दे दी। इस युद्ध में कई ऐसे जवान थे जिन्होंने शहादत दी।
शहीद नरेश सिनसिनवार: कारगिल युद्ध में भारी संख्या में तैनात पाक सैनिकों के साथ जा भिड़े थे, बचपन से था सेना में भर्ती होने का सपना
Kargil War: बजरंग पोस्ट पर पेट्रोलिंग के दौरान जवानों का अपहरण कर लिया गया था। पहले से सुसज्जित बंकरों में घात लगाए बैठे पाकिस्तानी सेना के जवानों ने घात लगाकर हमला किया था।
Kargil War: युद्ध से जुड़ी वो बातें जो आपको जाननी चाहिए, पाकिस्तान ने ऐसे दिया था धोखा
युद्ध ऊंची पहाड़ियों पर लड़ा गया था लिहाजा दुश्मन को हराने के लिए वायु सेना का बखूबी इस्तेमाल किया गया। मिग-27 से कब्जे वाले इलाकों पर बम गिराए गए थे।
‘जिंदगी खतरे में है, रोज गोलियां झेल रहा हूं’, भाई को शहीद विक्रम बत्रा का खत
कारगिल युद्ध को पाकिस्तान ने धोखे से अंजाम दिया था। पाकिस्तान की इस हरकत का भारतीय सेना ने माकूल जवाब दिया था। भारतीय सेना ने हर मोर्चे पर पाकिस्तान को फेल किया था।
शहीद होने से पहले परमवीर चक्र विजेता मनोज पांडेय ने लिखा था परिवार को खत, जानें क्या कहा था
'परमवीर चक्र' विजेता मनोज कुमार पांडेय (Captain Manoj Kumar Pandey) ने शहादत से पहले अपने दोस्त को एक खत लिखा था। उन्होंने युद्ध के दौरान अपने अनुभवों को दोस्त के साथ साझा किया था।
Corona: कारगिल युद्ध के दौरान सेना प्रमुख रहे जनरल मलिक ने किया देश को आगाह, दिया ये बयान
कारगिल युद्ध के दौरान भारतीय सेना के प्रमुख रहे जनरल वेद प्रकाश मलिक (Ved Prakash Malik) ने कोरोना महामारी को लेकर जनता को सतर्क किया है।
Kargil War: 1972 में हुए शिमला समझौते का उल्लंघन कर पाकिस्तान ने दिखा दिया था अपना असली चेहरा, वीर सपूतों ने लिया था बदला
भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में कारगिल युद्ध (Kargil War) लड़ा गया था। इस युद्ध में पाकिस्तान ने भारत को धोखा दिया था। पाकिस्तान के खिलाफ भारतीय सेना ने बखूबी प्रदर्शन कर जीत हासिल की थी।
अमर शहीद कैप्टन अमोल कालिया: कारगिल युद्ध के दौरान हुए थे शहीद, घर पर चल रही थी शादी की तैयारी
भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में लड़े गए कारगिल युद्ध (Kargil War) के दौरान कैप्टन अमोल कालिया (Captain Amol Kalia) ने बेहद ही शानदार प्रदर्शन किया था।
हवलदार डोला राम ने कारगिल युद्ध में निभाई थी अहम भूमिका, यहां जानें पूरी कहानी
kargil war: डोला राम ने 10वीं की परीक्षा राजकीय उच्च विद्यालय नित्थर से पास की थी। उनमें देश सेवा का जज्बा था। इस जज्बे को उन्होंने पूरा भी किया।
चेहरे पर फटा ग्रेनेड फिर भी दुश्मन को किया ढेर, जानें इस जवान की वीरता की कहानी
पीरू सिंह ने न सिर्फ अपनी टीम के साथ दुश्मन सेना पर धावा बोला बल्कि ऊंचाई पर तैनात पाकिस्तानी सेना के पास पहुंचने में सफलता पाई थी।
Kargil War 1999: पैर गंवाने के बावजूद कम नहीं हुआ था इस जवान का हौसला, जीत के बाद खुशी से भर गए जख्म
भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में लड़े गए कारगिल युद्ध (Kargil War 1999) के दौरान भारतीय जवानों ने गहरे जख्मों के बावजूद अपना हौसला नहीं खोया था।
Kargil War 1999: साथी की जान बचाने के लिए कुर्बान कर दी अपनी जिंदगी, ऐसे थे शहीद विक्रम बत्रा
पाक सेना और भारतीय सेना (Indian Army) की ओर से श्रीनगर-लेह मार्ग के बेहद करीब स्थिति 5140 प्वाइंट पर लगातार गोलीबारी की जा रही थी और दुशमन ऊंचाई पर थे।
पति कारगिल युद्ध में हुए थे शहीद, पत्नी बच्चों को भी ज्वॉइन करवाना चाहती हैं आर्मी
कई जवान ऐसे थे जो जंग के मैदान में ही शहीद हो गए थे। ऐसे ही एक जवान खतौली के पास गांव फुलत जिला मुज्जफरनगर के रहने वाले सतीश कुमार भी थे।