Kargil War

Kargil War: गोली लगने के बाद भी मनोज के सिर पर दुश्मनों के खात्मे की धून सवार थी। गोलियों ने उनका पूरा सिर ही उड़ा दिया और वो जमीन पर गिर गए।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में कारगिल (Kargil War 1999) क्षेत्र में भीषण लड़ाई लड़ी गई थी। युद्ध में भारतीय सेना के जवानों ने पाकिस्तानी सैनिकों को बुरी तरह से हराया था।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1965 में लड़े गए युद्ध में भारतीय सेना (Indian Army) ने पाकिस्तान में घुसकर उसकी पहाड़ियों पर कब्जा कर लिया था। भारतीय सेना के इस कदम से पाकिस्तानी सेना बुरी तरह से घबरा गई थी।

Kargil War 1999: वह अपनी पहली सैलरी लेने से पहले ही शहीद हो गए थे। कालिया सेना में कैप्टन का रैंक हासिल करने के एक माह बाद देश के लिए शहीद हो गए थे।

Kargil War 1999: कारगिल जिला 1999 में भारत पाक के बीच हुई लड़ाई का पर्याय बन गया था। वैसे यह स्थान मुख्य से बौद्ध पर्यटन केंद्र के रूप में प्रसिद्ध है।

कारगिल का युद्ध (Kargil War) लड़कर पाकिस्तान (Pakistan) को हार का सामना करना पड़ा था। लेकिन साथ ही साथ अमेरिका (America) ने भी उसका साथ देने से साफ इनकार कर दिया था।

बोफोर्स का युद्ध में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया गया था। करीब दो महीने चले इस युद्ध में 27 किलोमीटर तक गोले दागने वाली बोफोर्स तोपों को बखूबी इस्तेमाल हुआ।

शहीद सतबीर सिंह ने शहादत से महज 15 दिन पहले ही अपनी पत्नी को खत लिखा था। खत में उन्होंने गेहूं कटाई शुरू होने से पहले आने की बात कही थी।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में कारगिल का भीषण युद्ध (Kargil War) लड़ा गया था। इस युद्ध में हमारे एक-एक जवान ने भारत मां की रक्षा की थी। युद्ध में कई जवान घायल हुए तो कुछ ने शहादत दी।

चुनौतियों को दरकिनार कर कई जवान दुश्मनों के कैंप में घुसने में सफल हुए थे। इनमें से एक जवान थे ब्रिगेडियर खुशाल सिंह। उन्होंने दुश्मनों को भारी नुकसान पहुंचाया था।

पाक सेना भारी मात्रा में रसद साथ लाई थी, यानी वे लंबा चलने वाले युद्ध के लिए तैयार थे। पाक ने कारगिल के इलाके में अपने कई एडवांस हथियार भी तैनात किए थे।

भारत और पाकिस्तान के बीच साल 1999 में कारगिल युद्ध (Kargil War) लड़ा गया था। इस युद्ध में पाकिस्तान को बुरी तरह हार मिली थी। युद्ध में एक-एक जवान के प्रदर्शन की अहमियत होती है। एक-एक जवान जीत की इबारत लिखता है।

Kargil War: भारत ने इस युद्ध के बाद सरहद की सुरक्षा काफी मुस्तैद किया है। इस युद्ध के बाद सीख लेते हुए सरहद पर काउंटर घुसपैठ ग्रिड बनाए गए हैं। 

60 दिनों के घटनाक्रम के बारे में सेना और सरकार द्वारा जो जानकारियां सामने आई हैं उसके मुताबिक युद्ध की नींव 1999 के फरवरी महीने में ही रख दी गई थी।

यह पोस्ट सामरिक रूप से हमारे लिए बेहद महत्व रखती है। इसपर दुश्मन का कब्जा लगातार बने रहने का मतलब था भारतीय सरजमीं पर पाक सेना की आसानी से पहुंच हो जाना।

रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल मोहिंदर पुरी ने एक न्यूज वेबसाइट से बातचीत में इस पोस्ट पर किस तरह टू राजपूताना ब्रिगेड ने कब्जा किया था इसका जिक्र किया है।

हमला पैटन टैंक के साथ किया गया था। कश्मीर के चार ऊंचाई वाले इलाके पीरपंजाल, गुलमर्ग, उरी और बारामूला पर कब्जे के लिए इस ऑपरेशन को चलाया था।

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