Kargil War: चुनौतियों को दरकिनार कर कई जवान दुश्मनों के कैंप में घुसने में सफल हुए थे। इनमें से एक जवान थे ब्रिगेडियर खुशाल सिंह। इन्होंने बेहद ही चालाकी से दुश्मनों को नुकसान पहुंचाया था।
भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 का कारगिल युद्ध बेहद ही ऊंचाई पर लड़ा गया था। दुश्मन 18 हजार फीट की ऊंचाई पर सिर पर बैठा था। पाकिस्तान इस युद्ध में ऊंचाई पर होने की वजह से बेहद ही फायदे में था जबकि चढ़ाई करते भारतीय जवानों के लिए दुश्मनों तक पहुंचना बेहद ही चुनौतीपूर्ण था।
युद्ध में हमारे जवानों की चुनौती का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि उन्हें पथरीली सीधी चढ़ाई चढ़नी होती थी, उनके पास छिपने के लिए एक घास का तिनका भी नहीं था। दुश्मनों की गोली कभी भी उन पर चल जाती थी।
कई जवान तो ऐसे ही शहीद हो गए थे। इन चुनौतियों को दरकिनार कर कई जवान दुश्मनों के कैंप में घुसने में सफल हुए थे। इनमें से एक जवान थे ब्रिगेडियर खुशाल सिंह। इन्होंने बेहद ही चालाकी से दुश्मनों को नुकसान पहुंचाया था।
ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर ने जिस 18 ग्रेनेडियर का नेतृत्व किया उसमें 900 जवान थे। इनकी कमान के 34 जवान शहीद हुए और सबसे ज्यादा 52 वीरता पुरस्कार भी इनकी कमान को ही मिले थे। यानी की इनकी बटालियन को दुश्मनों के छक्के छुड़ाने पर सबसे ज्यादा बहादुरी सम्मान मिले थे।
वे युद्ध के दिनों को याद करते हुए बताते हैं कि आज भी उन हालात के बारे में सोचता हूं तो सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है। युद्ध में एक पल ऐसा नहीं था, जब जवान डगमगाए हों। हमने अपना पूरा जोर लगाया था और दुश्मनों को भारी नुकसान पहुंचाया था। हमने टाइगर हिल को दुश्मनों के कब्जे से छुड़ाकर वहां पर अपना तिरंगा फहराया था।
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