Kargil War: इन हथियारों की जीत में रही अहम भूमिका, दुश्मनों को कर दिया था चारों खाने चित्त

बोफोर्स का युद्ध में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया गया था। करीब दो महीने चले इस युद्ध में 27 किलोमीटर तक गोले दागने वाली बोफोर्स तोपों को बखूबी इस्तेमाल हुआ।

Bofors

Bofors (File Photo)

Kargil War: बोफोर्स तोप का युद्ध में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया गया था। करीब दो महीने चले इस युद्ध में 27 किलोमीटर तक गोले दागने वाली बोफोर्स तोपों को बखूबी इस्तेमाल हुआ।

कारगिल युद्ध (Kargil War) में भारतीय सेना (Indian Army) के जवानों ने पाकिस्तान को बुरी तरह से हराया था। 1999 में लड़े गए इस युद्ध में सेना के वीर सपूतों ने बेड़े में शामिल हथियारों को बखूबी इस्तेमाल कर दुश्मनों को हर मोर्चे पर विफल किया था। युद्ध में जवानों का शौर्य और बलिदान जितना अहम था, उतना ही अहम था हथियारों का जखीरा। इस युद्ध में भारतीय सेना के पास बेहतरीन हथियार थे। तोपों से लेकर बंदूकों का सेना के जवानों ने बखूबी इस्तेमाल किया था।

बोफोर्स तोप का युद्ध में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया गया था। करीब दो महीने चले इस युद्ध में 27 किलोमीटर तक गोले दागने वाली बोफोर्स तोपों को बखूबी इस्तेमाल किया गया था। इसका बैरल 70 डिग्री तक घूम सकता है।

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ये तोपें कारगिल युद्ध में अहम हथियार बनकर उभरी थीं। युद्ध में तोपखाने से 2,50,000 गोले और रॉकेट दागे गए थे। वहीं, पिनाका मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर ने दुश्मनों की पैदल सेना को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया था।

इसके साथ ही जवानों के पास इंसास राइफल थीं, जिनके जरिए दुश्मनों को गोलियों से ढेर किया गया था। इनके अलावा एके-47 राइफल, एसएएफ कार्बाइन 2ए1, ड्रेगुनोव स्नाइपर राइफल और कॉर्ल गुस्ताव रॉकेट लॉन्चर का भी इस्तेमाल किया गया था। सेना के पास जितने ज्यादा मजबूत और मॉर्डन हथियार होंगे दुश्मन उतना ही कमजोर नजर आएगा। इस युद्ध में भी ऐसा ही हुआ था।

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वहीं, पाकिस्तानी सेना ने 7.62 एमएम एमजी 1ए गन मशीन, रॉ‍केट लॉन्‍चर (आरपीजी 7) और अत्‍याधुनिक राइफलें एके-47 और एके-56 भी इस्तेमाल की गई थीं। पाकिस्‍तान की ओर से इस्‍तेमाल किए गए कुछ हथियारों और गोला-बारूद को कब्‍जे में लिया गया था। वे सभी जम्‍मू-कश्‍मीर के लेह स्थित ‘हॉल ऑफ फेम म्‍यूजियम’ में रखे गए हैं।

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