सरहद पर बनाए गए हैं काउंटर घुसपैठ ग्रिड, कारगिल युद्ध के बाद भारत पहले से ज्यादा मुस्तैद

Kargil War: भारत ने इस युद्ध के बाद सरहद की सुरक्षा काफी मुस्तैद किया है। इस युद्ध के बाद सीख लेते हुए सरहद पर काउंटर घुसपैठ ग्रिड बनाए गए हैं। 

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Kargil War 1999: भारत ने इस युद्ध के बाद सरहद की सुरक्षा को काफी कड़ा किया है। इस युद्ध के बाद सीख लेते हुए सरहद पर काउंटर घुसपैठ ग्रिड बनाए गए हैं। 

भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में कारगिल युद्ध लड़ा गया था। इस युद्ध के दौरान पाकिस्तान को बुरी तरह से नुकसान पहुंचाया गया था। पाकिस्तान को हराने के लिए हमारी सेना ने दिन रात एक कर दी थी। पाकिस्तान को 2 महीने के भीतर ही हमारी सेना घुटनों पर ले आई थी।

इस युद्ध की शुरुआत पाकिस्तान के धोखे के साथ हुई थी। पाकिस्तान को उसके धोखे की सजा हार के रूप में मिली थी। पाकिस्तान ने घुसपैठ कर एलओसी पर धोखे से कारिगल के महत्वूपर्ण इकालों पर कब्जा कर लिया था।

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दरअसल दोनों देशों के बीच 1972 में हुए शिमला समझौते के तहत तय हुआ था कि ठंड के मौसम में दोनों देशों की सेनाएं जम्मू-कश्मीर में बेहद बर्फीले स्थानों पर मौजूद लाइन ऑफ कंट्रोल (एलओसी) को छोड़कर कम बर्फीले वाले स्थान पर चली जाएंगी, क्योंकि सर्दियों में ऐसी जगहों का तापमान माइनस डिग्री में चले जाने की वजह से दोनों देशों की सेनाओं को काफी मुश्किलें होती थीं।

भारत ने समझौते के तहत अपनी सेना को पीछे बुला लिया लेकिन पाकिस्तान ने ऐसा नहीं किया। भारत ने इस युद्ध के बाद सरहद की सुरक्षा काफी मुस्तैद किया है। इस युद्ध के बाद सीख लेते हुए सरहद पर काउंटर घुसपैठ ग्रिड बनाए गए हैं।

भारत की सीमा में पाकिस्तानी अब पहले की तरह घुसपैठ नहीं कर सकते। पाकिस्तानी जहां से घुसपैठ करते थे उसे ढूंढा जा चुका है और वहां उनसे निपटने के लिए काउंटर घुसपैठ ग्रिड बनाए गए हैं। सेना की तैनाती तीन गुना बढ़ चुकी है। सर्दी के मौसम में अब पोस्ट को खाली नहीं छोड़ा जाता है।

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