Kargil War 1999: पैर गंवाने के बावजूद कम नहीं हुआ था इस जवान का हौसला, जीत के बाद खुशी से भर गए जख्म

भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में लड़े गए कारगिल युद्ध (Kargil War 1999) के दौरान भारतीय जवानों ने गहरे जख्मों के बावजूद अपना हौसला नहीं खोया था।

Kargil War 1999

राजपूताना राइफल्स के राइफल मैन रामसहाय बाजिया।

Kargil War 1999: युद्ध के दौरान इस जवान ने अपना पैर गंवा दिया था, लेकिन इसके बावजूद हौसला नहीं छोड़ा था। जब भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना के खिलाफ जीत हासिल की तो उनके जख्म खुशी से ही भर गए थे।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में लड़े गए कारगिल युद्ध (Kargil War 1999) के दौरान भारतीय जवानों ने गहरे जख्मों के बावजूद अपना हौसला नहीं खोया था। सेना के ऐसे कई जवान हैं जिन्होंने गोली लगने और घायल होने के बावजूद अदम्य साहस का परिचय दिया था। ऐसे ही एक जवान (राजपूताना राइफल्स) के राइफल मैन रामसहाय बाजिया भी हैं।

उन्होंने युद्ध के दौरान अपना पैर गंवा दिया था, इसके बावजूद हौसला नहीं छोड़ा था। जब भारतीय सेना (Indian Army) ने पाकिस्तानी सेना के खिलाफ जीत हासिल की तो उनके जख्म खुशी से ही भर गए थे।

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वह युद्ध (Kargil War 1999) के दिनों को याद करते हुए कहते हैं, “12 जून, 1999 की रात मेरे जेहन से कभी नहीं जाती। आज भी उस भयावह रात को याद करता हूं तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं। मैंने उस रात बहुत कुछ खो दिया था, लेकिन जो पाया उससे मेरा और देश का सीना चौड़ा हो जाता है। हमने वो हासिल किया था जो कि सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण था। मैंने और मेरी बटालियन ने जम्मू-कश्मीर की तोलोलिंग पहाड़ी को दुश्मन से मुक्त करवाया था। इस पहाड़ी से दुश्मनों को खदेड़ने के साथ ही यह कारगिल में हमारी पहली बड़ी जीत थी।”

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वह बताते हैं, “हम अंधेरे में ही बंकर बनाने में जुटे थे, लेकिन एकाएक मेरा पैर माइन्स पर पड़ गया और धमाका हुआ। मुझे 20 मिनट बाद होश आया तो देखा कि मेरा एक पैर ब्लास्ट में उड़ गया है। दर्द के बावजूद खुद को संभाला। जीत मिलते ही जख्म खुशी से भर गए थे।”

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